महाराष्ट्र चुनाव: एक ऐसी सीट, जहां गठबंधन के बावजूद एकदूसरे के खिलाफ आ खड़े हुए हैं बीजेपी-शिवसेना

By अभिषेक पाण्डेय | Published: October 13, 2019 10:13 AM2019-10-13T10:13:41+5:302019-10-13T10:14:09+5:30

Kankavli Seat: बीजेपी द्वारा नारायण राणे के बेटे नितेश राणे को कंकावली से टिकट देने से नाराज शिवसेना ने उनके खिलाफ सतीश सावंत को उतार दिया है

Maharashtra Assembly polls 2019: Kankavli becomes a friction point between BJP-Sena ties, Narayan Rane son Nitesh contesting here | महाराष्ट्र चुनाव: एक ऐसी सीट, जहां गठबंधन के बावजूद एकदूसरे के खिलाफ आ खड़े हुए हैं बीजेपी-शिवसेना

महाराष्ट्र चुनावों में कंकावली सीट को लेकर आमने-सामने खड़ी हुई शिवसेना और बीजेपी

Highlightsसिंधुगढ़ की कंकावली सीट से बीजेपी ने नारायण राणे के बेटे नितेश को उतारा हैनितेश राणे के खिलाफ शिवसेना ने इस सीट से सतीश सावंत को उतार दिया है

भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में साथ मिलकर लड़ रहे हैं, लेकिन इन दोनों दलों के बीच सिंधुगढ़ की कंकावली सीट को लेकर मतभेद दिख रहा है, जहां बीजेपी ने नारायण राणे के बेटे नितेश राणे को उतारा है, जो 2014 में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। 

पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे 2005 में कड़वाहट के साथ शिवसेना छोड़कर कांग्रेस से जुड़ने के बाद से ही सेना को खटकते रहे हैं। राणे ने बाद में कांग्रेस को छोड़कर महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष के नाम से अपनी एक अलग पार्टी बनाई थी, जो बीजेपी में शामिल होने की राह पर है।  

कंकावली में 'राणे' को लेकर बीजेपी-शिवसेना आमने-सामने

बीजेपी द्वारा राणे के टिकट को कंकावली से उतारने से नाराज शिवसेना ने इस सीट से नितेश राणे के खिलाफ सतीश सावंत के रूप में अपना उम्मीदवार उतारा है। सावंत ने पहले अपना नामांकन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दाखिल किया था। 

शिवसेना के इस कदम के जवाब में नारायण राणे ने कुडल और सावंतवाड़ी में शिवसेना उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार उतारे हैं। राणे ने शिवसेना के उम्मीदवारों, सावंतवाड़ी से दीपक केसारकर और कुडल सीट से वैभव नायक खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवारों क्रमश: रंजन तेली और रंजीत देसाई को उतारा है।
 
इन दोनों सत्तारूढ़ दलों के बीच ये लड़ाई अब और तीव्र होने की संभावना है क्योंकि दोनों पार्टियां चुनावी रैलियां कर रही हैं, जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कंकावली में अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने वाले हैं।  

फड़नवीसत-उद्धव की रैलियों से गर्माएगा मामला

फड़नवीस नितेश राणे के साथ कंकावली में 15 अक्टूबर को चुनाव प्रचार करने वाले हैं। उसी रैली में, नारायण राणे की महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष बीजेपी में मिल जाएगी।

बीजेपी के सिंधुगढ़ जिले के अध्यक्ष प्रमोद जाठार ने कहा, 'राणे की राजनीति में एंट्री यहां पार्टी का विस्तार करेगी। हमारा लक्ष्य 2024 के चुनाव हैं।'

शिवसेना कंकावली की स्थिति से नाराज और चिंतित दोनों है। रत्नागिरी-सिंधुगढ़ से शिवसेना के एमपी विनायक राउत ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, 'हम सीएम को प्रचार करने से नहीं रोक सकते हैं...हमने उनसे (बीजेपी) उम्मीद की थी कि वह नितेश राणे को टिकट ना दें। इसी तरह ही हम उम्मीद करते हैं कि सीएम यहां उनके (नितेश) लिए प्रचार न करें। वह समझदार और सुलझे हुए व्यक्ति हैं और जानते हैं कि वह जो कर रहे हैं उससे गठबंधन पर क्या असर पड़ता है।'

नितेश राणे के लिए उनकी जीत उद्धव ठाकरे को ये संदेश देने का तरीका भी होगी कि उनके परिवार को इस इलाके में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 

नितेश ने एचटी से कहा, 'हम बीजेपी प्रमुख (अमित शाह) को स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं कि पार्टी जिस तरह विदर्भ और शहरी क्षेत्रों में मजबूत है, हम वैसा ही कोंकण क्षेत्र में हासिल करेंगे...उद्देश्य यहां आधार बढ़ाने का है। वे हमे कोंकण (ठाकरे और शिवसेना) में और नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।'

शिवसेना हालांकि मानना है कि कंकावाली में लड़ाई पार्टी और राणे के बीच है। शिवसेना उम्मीदवार सतीश सावंत का कहना है कि मतदाता यहां राणे से नाराज हैं, जिन्होंने कुछ नहीं किया है। ये बीजेपी बनाम शिवसेना की जंग नहीं है बल्कि सेना बनाम राणे की जंग है और इस जंग में वही जीतेगी। 

शिवसेना के लिए सिंधुगढ़ की तीनो सीटें प्रतिष्ठा का प्रश्न

शिवसेना के लिए सिंधुगढ़ की तीनों सीटें कंकावाली, कुडल और सावंतवाड़ी जीतना प्रतिष्ठा का विषय हैं। उद्धव ठाकरे 16 अक्टूबर को तीनों सीटों पर प्रचार करेंगे।

शिवसेना नारायण राणे के बेटो को उम्मीदवार बनाए जाने की बात बर्दाश्त नहीं कर सकती क्योंकि राणे पार्टी के बागी रहे हैं, इसलिए बीजेपी के साथ इस सीट पर पार्टी की टकराव तय थी।  

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी राणे को सिंधुगढ़ में प्रवेश द्वार के तौर पर देख रही है। पार्टी यहां अपना आधार तैयार करने में असफल रही थी, क्योंकि ये हमेशा से सेना का गढ़ रहा है।

नारायण राणे और शिवसेना के बीच प्रतिद्वंद्विता 2005 में तब से जारी है, जब राणे अपने समर्थक विधायकों के साथ शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इससे कोंकण क्षेत्र में शिवसेना  को झटका लगा था, जो पार्टी का गढ़ रहा था। राणे ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधने के बाद पार्टी छोड़ दी थी, जो उस समय बाल ठाकरे की जगह शिवसेना की कमान संभाल रहे थे। 

Web Title: Maharashtra Assembly polls 2019: Kankavli becomes a friction point between BJP-Sena ties, Narayan Rane son Nitesh contesting here

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