महाराणा प्रताप जयंती: चेतक की मौत पर फूट फूट कर रोए थे राणा, जानिए रोचक बातें

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 9, 2018 07:40 PM2018-05-09T19:40:15+5:302018-05-09T19:40:15+5:30

राजपूत राजा महाराणा प्रताप की बहादुरी के किस्सों के साथ ही उनके घोड़े चेतक की वफादारी और जाँबाजी मशहूर है। चेतक ने राणा की जान बचाने के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की।

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maharana pratap birth anniversary

आज (नौ मई) को महाराणा प्रताप की जयंती है। महाराणा का जिक्र आते ही हल्दीघाटी का जिक्र आता है। जून 1576 में महाराणा प्रताप का मुगल बादशाह अकबर का सेना से हल्दीघाटी में सामना हुआ था। हल्दीघाटी का युद्ध हारकर भी राणा अमर हो गये। हल्दीघाटी का युद्ध न केवल राणा बल्कि उनके घोड़े चेतक की बहादुरी के लिए भी याद किया जाता है। चेतक ने महाराणा प्रताप के साथ कई युद्धों में अहम भूमिका निभायी थी। हल्दीघाटी के युद्ध में राणा की सेना में करीब 20 हजार सैनिक थे। वहीं मुगल सेना में करीब 85 हजार सैनिक थे। चार गुना बड़ी सेना से लड़ते हुए एक वक्त ऐसा आया कि राणा को अपनी हार दिखने लगी। राणा के लिए अपना प्राण बचाने का सवाल खड़ा हो गया। 

राणा हल्दीघाटी के मैदान से दुश्मन सेना को चीरते हुए चेतक पर सवार होकर निकले। दुश्मनों ने राणा और चेतक पर घातक हमला किया। हमले में चेतक घायल हो गया लेकिन वो रुका नहीं। चेतक के सामने सबसे मुश्किल घड़ी तब आयी जब राणा को बचाने के लिए उसे 26 फीट गहरे दरिया में छलांग लगानी पड़ी। अगर चेतक ने वो जानलेवा छलाँग न लगायी होती तो राणा का दुश्मन के हाथों पड़ना तय था। चेतक ने राणा की जान तो बचा ली लेकिन इस छलाँग ने उसे बुरी तरह घायल कर दिया। घायल चेतक ने दम तोड़ दिया। कहते हैं कि चेतक की मौत पर राणा फूट फूट कर रोये थे।

जहाँ चेतक की मौत हुई वहाँ आज उसके नाम का मंदिर और बाग बना हुआ है। चेतक की आँखें नीली थीं। उसकी ताकत का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि अपने भाले और कवच के साथ राणा का कुल वजन 200 किलो से ज्यादा होता था जिसके साथ चेतक को बिजली की रफ्तार से दौड़ लगानी होती थी। 

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 में मेवाड़ (राजस्थान) में हुआ। वह राजा उदयसिंह के पुत्र थे। कहा जाता है कि महाराणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट था। उनका वजन 110 किलोग्राम था। उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और भाले का वजन 80 किलो था। कवच, भाला, ढाल और तलवार आदि को मिलाये तो वे युद्ध में 200 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन उठाकर लड़ते थे। 

महाराणा की वीरता से केवल राजपूत या मेवाड़ के लोग प्रभावित नहीं थे। अकबर के नवरत्नों में शामिल कवि और सिपहसालार रहीम ने राणा की मौत के बाद लिखा था कि उनके जैसे वीर की कीर्ति सदैव गूँजती रहेगी और हिंदुसस्तानी राजकुमारों में उनका जैसा कोई नहीं।

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Web Title: maharana pratap birth anniversary interesting facts about about his horse chetak

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