मद्रास HC ने शतरंज ओलंपियाड के विज्ञापनों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति की तस्वीरों के इस्तेमाल का दिया आदेश, जानें पूरा मामला

By अनिल शर्मा | Published: July 29, 2022 11:25 AM2022-07-29T11:25:36+5:302022-07-29T11:29:31+5:30

पीएम मोदी और राष्ट्रपति की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर उच्च न्यायालय में सरकार ने दलील दी कि राष्ट्रपति की तस्वीर इसलिए प्रकाशित नहीं की गई क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव संपन्न नहीं हुआ था और प्रधानमंत्री की तस्वीर उनके कार्यालय से देर से आने के कारण प्रकाशित नहीं हुई थी। 

Madras HC orders use of photographs PM Modi and President in Chess Olympiad advertisements | मद्रास HC ने शतरंज ओलंपियाड के विज्ञापनों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति की तस्वीरों के इस्तेमाल का दिया आदेश, जानें पूरा मामला

मद्रास HC ने शतरंज ओलंपियाड के विज्ञापनों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति की तस्वीरों के इस्तेमाल का दिया आदेश, जानें पूरा मामला

Highlightsतमिलनाडु सरकार ने शतरंज ओलंपियाड के विज्ञापनों में सिर्फ मुख्यमंत्री की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया थाइसको लेकर याचिकाकर्ता आर राजेश कुमार ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थीमामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हर नागरिक के दिमाग में राष्ट्र (का) सर्वोपरि होना चाहिए

चेन्नईः चेन्नई में 44वें शतरंज ओलंपियाड के लिए होर्डिंग पर हुए विवाद के एक दिन बाद मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को तमिलनाडु सरकार को विज्ञापनों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें सुनिश्चित करने का आदेश दिया। 

मामला दरअसल यह है कि शतरंज ओलंपियाड के तमिलनाडु सरकार द्वारा जारी सभी विज्ञापनों में राज्य के मुखिया एम के स्टालिन की फोटो का ही इस्तेमाल किया गया था। इसी बात से नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं ने होर्डिंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें चस्पा कर दीं। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा जिसमें न्यायालय ने राज्य सरकार को विज्ञापनों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति, दोनों की तस्वीरों का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर उच्च न्यायालय में सरकार ने दलील दी कि राष्ट्रपति की तस्वीर इसलिए प्रकाशित नहीं की गई क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव संपन्न नहीं हुआ था और प्रधानमंत्री की तस्वीर उनके कार्यालय से देर से आने के कारण प्रकाशित नहीं हुई थी। 

सरकार के इस दलील का खारिज करते हुए  मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति एस अनंती की पीठ ने  कहा कि प्रत्येक नागरिक के दिमाग में राष्ट्र (का) सर्वोपरि होना चाहिए"। पीठ ने कहा कि “होस्ट किए गए अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश की छवि को दर्शाते हैं। यह न केवल देश के विकास को दर्शाता है, बल्कि इतने कम समय में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करने की उसकी क्षमता को दर्शाता है ... राज्य सरकार सहित हर सरकार को काम करना चाहिए ... जब हमारा देश इस तरह के एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है, तो यह एक का बाध्य कर्तव्य है और सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह के समारोह को कुशलतापूर्वक आयोजित किया जाए और हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अमिट छाप छोड़ दें।''

पीठ ने जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि "यह सुनिश्चित करें कि मुख्यमंत्री के अलावा माननीय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरों वाले किसी भी विज्ञापन को कोई नुकसान या विनाश न हो और यदि ऐसी किसी भी गतिविधि की सूचना दी जाती है, ऐसे कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।"

बता दें, शिवगंगा जिले के याचिकाकर्ता आर राजेश कुमार ने शतरंज ओलंपियाड के "विज्ञापन / प्रचार" में मुख्यमंत्री की तस्वीर के इस्तेमाल को "अवैध, मनमाना और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन" घोषित किए जाने को लेकर याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले- कॉमन कॉज बनाम भारत संघ (2015) और कर्नाटक राज्य बनाम कॉमन कॉज (2016) जिसने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरों के प्रकाशन का निर्देश दिया था का हवाला दिया था।

Web Title: Madras HC orders use of photographs PM Modi and President in Chess Olympiad advertisements

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