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मंदिर में श्रद्धालुओं ने नियम तोडे़, बाबा महाकाल की सवारी, श्रद्धा और आस्था, सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं

By बृजेश परमार | Updated: July 20, 2020 22:02 IST

बाबा महाकाल की सवारी में प्रशासन ने नियमों का पूरी तरह पालन किया और करवाया। कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या के बावजूद सोमवार को श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धा और आस्था परवान चढ़ी हुई थी। इसके चलते अनुमति प्राप्त श्रद्धालु जमकर पहुंच रहे थे।

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ठळक मुद्दे नियमों को हवा में उड़ा दिया और मंदिर के कर्मचारियों के समझाने पर भी नहीं मान रहे थे। यह स्थिति बाहर के बेरिकेड्स में देखी जा रही थी। मंदिर के अंदर सोश्यल डिस्टेंस का पालन करने के लिए श्रद्धालुओं को दबाव दिया गया।श्री महाकालेश्वर मंदिर के बाहर रविवार को पूरी तरह सन्नाटा पसरा था, लेकिन सोमवार सुबह इसी जगह का नजारा पूरी तरह बदला रहा।

उज्जैनः श्रावण सोमवार के साथ हरियाली अमावस्या के संयोग में श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धा परवान पर रही। दर्शन की लाइन में श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंस को हवा में उड़ा दिया।

लाइन में तोडे़ जा रहे नियम को जिम्मेदार देखते रहे। अपरांन्ह के समय बाबा महाकाल की सवारी में प्रशासन ने नियमों का पूरी तरह पालन किया और करवाया। कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या के बावजूद सोमवार को श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धा और आस्था परवान चढ़ी हुई थी। इसके चलते अनुमति प्राप्त श्रद्धालु जमकर पहुंच रहे थे।

लाइन में लगे श्रद्धालुओं ने सोश्यल डिस्टेंसिंग के नियमों को हवा में उड़ा दिया और मंदिर के कर्मचारियों के समझाने पर भी नहीं मान रहे थे। यह स्थिति बाहर के बेरिकेड्स में देखी जा रही थी। मंदिर के अंदर सोश्यल डिस्टेंस का पालन करने के लिए श्रद्धालुओं को दबाव दिया गया।

 श्री महाकालेश्वर मंदिर के बाहर रविवार को पूरी तरह सन्नाटा पसरा था, लेकिन सोमवार सुबह इसी जगह का नजारा पूरी तरह बदला रहा। भगवान के दर्शनों को सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे जिन्होंने कोरोना नियमों का पालन भी नहीं किया। लोगों ने न तो मुंह पर मास्क लगाये थे और न ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जा रहा था।

महाकाल मंदिर के बाहर सुबह भीड़ के कारण पैदल चलने की जगह तक नहीं बची थी वहीं दर्शनों के लिये कतार में खड़े लोग सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी नहीं कर रहे थे। भगवान के दर्शन के लिए एक दिन पूर्व आनलाईन अनुमति ली जा रही है।

सोमवती अमावस्या होने के कारण नदी के घाटों पर स्नान को लेकर प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद सैंकड़ों लोग नहीं माने और उन्होंने नदी में स्नान किया साथ ही सोमवती अमावस्या पर सोमतीर्थ में स्नान के महत्व को जानने वाले श्रद्धालुओ ने प्रतिबंध के बावजूद रणजीत हनुमान रोड पर कुंड पर पहुंच कर यहां गंदे पानी में स्नान किया है।

भगवान मनमहेश पालकी में, चंद्रमौलेश्वर हाथी पर सवार होकर निकले

श्रावण के तीसरे सोमवार पर भगवान महाकालेश्‍वर पालकी में मनमहेश रूप में तथा हाथी पर चंद्रमौलेश्वर के स्‍वरूप में भ्रमण पर निकले। मंदिर के सभाकक्ष में भगवान की आरती की गई। पूजन में कलेक्टर आशीष सिंह सपत्नीक , पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह शामिल हुए।

इस अवसर पर पंचायती श्री महानिर्वाणी अखाड़ा के महन्त विनीत गिरीजी महाराज मौजूद थे। पूजन के पश्चात कंधा देकर कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने पालकी को आगे बढ़ाया। सवारी निकलने के पूर्व सभामंडप में पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी पं.घनश्‍याम शर्मा द्वारा संपन्‍न कराया गया।

सर्वप्रथम भगवान श्री महाकालेश्‍वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर भगवान को सशस्त्र गार्ड ने सलामी दी।तीसरी सवारी होने पर भी मंदिर समिति ने कोरोना हालातों के चलते भगवान मनमहेश एवं चंद्रमोलेश्वर के मुघोटे ही निकाले। भगवान महाकालेश्वर की श्रावण मास की तीसरी सवारी कोरोना संक्रमण के कारण परिवर्तित मार्ग से रामघाट पहुंची। रामघाट पर पहुंचने के पश्चात भगवान महाकालेश्वर का मां शिप्रा के पवित्र जल से विधिवत पूजन-अर्चन किया गया।

इसके बाद भगवान का विधि-विधान से पूजन व आरती की गई। भगवान महाकालेश्वर की सवारी कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर परिवर्तित मार्ग से निकाली गई। महाकालेश्वर मन्दिर से सवारी हरसिद्धि मन्दिर के सामने से होकर नृसिंह घाट पर झालरिया मठ होते हुए रामघाट पहुंची। रामघाट पर भगवान महाकालेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन पुजारी पं.आशीष गुरु द्वारा सम्पन्न कराया गया।

इस दौरान घाट के दूसरी तरफ दत्त अखाड़े की ओर से भी भगवान का पूजन-अर्चन किया गया। भगवान महाकालेश्वर के पूजन के पश्चात आरती की गई। पुलिस बैण्ड द्वारा “ओम जय शिव ओंकारा” के धुन बजाई गई। आरती के पश्चात भगवान महाकालेश्वर की सवारी परिवर्तित मार्ग से होती हुई हरसिद्धि मन्दिर मार्ग पहुंची। हरसिद्धि मन्दिर आगमन पर मन्दिर के पुजारियों द्वारा भगवान महाकालेश्वर की आरती की गई। यहां से भगवान महाकाल की सवारी पुन: महाकालेश्वर मन्दिर पहुंची।

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