मध्य प्रदेशः रीवा अस्पताल में विचाराधीन कैदी की मौत, आयोग ने महानिदेशक जेल समेत अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा
By शिवअनुराग पटैरया | Published: October 27, 2020 08:15 PM2020-10-27T20:15:59+5:302020-10-27T20:15:59+5:30
आयोग के अनुसार जयकुमार उर्फ राजा चौबे जेल में निरूद्ध था, जहां उसकी तबीयत अधिक बिगड़ने के बाद उसे 6 अक्तूबर को रीवा में भर्ती कराया गया था, जहां 16 अक्तूबर की सुबह उसने दम तोड़ दिया. मृतक के पिता ने जेल प्रशासन पर प्रताड़ना के आरोप लगाये है.
भोपालः पन्ना जिले के ब्योहारी मऊ उपजेल के विचाराधीन बंदी की मेडिकल कालेज रीवा में उपचार के दौरान मौत हो गई. इस मामले को लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने महानिदेशक जेल समेत अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा है.
आयोग के अनुसार जयकुमार उर्फ राजा चौबे जेल में निरूद्ध था, जहां उसकी तबीयत अधिक बिगड़ने के बाद उसे 6 अक्तूबर को रीवा में भर्ती कराया गया था, जहां 16 अक्तूबर की सुबह उसने दम तोड़ दिया. मृतक के पिता ने जेल प्रशासन पर प्रताड़ना के आरोप लगाये है.
वार्ड क्र. 13 नगरिया टोला निवासी जयकुमार उर्फ राजा चौबे को एनडीपीएस व मादक पदार्थ की तस्करी के मामले में 15 अगस्त को देवलौद थाना पुलिस ने जेल में निरुद्ध किया था. स्वास्थ्य परीक्षण के बाद डाक्टर द्वारा अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी गई.
पांच अक्तूबर को सिविल हास्पिटल ब्यौहारी में भर्ती कराया गया, हालत में सुधार नहीं होने पर रीवा के लिये रेफर किया गया था. इस मामले में आयोग ने पुलिस महानिदेशक, जेल विभाग, म.प्र. एवं जेल अधीक्षक, पन्ना एवं अन्य संबंधित अधिकारियों से तत्काल प्रतिवेदन मांगा है.
प्रताड़ना से तंग आकर दो बंदियों ने एसिड पी लिया: बैतूल जिले में अधिकारियों और स्टाफ की प्रताड़ना से तंग आकर दो बंदियों ने बुधवार को एसिड पीकर आत्महत्या की कोशिश की. दोनों को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां से दोनों को भोपाल रेफर किया गया. म.प्र. मानव अधिकार आयोग के अनुसार एक बंदी ने सुसाइड नोट में प्रताड़ना सहित चाय-नाश्ते और भोजन को लेकर गंभीर आरोप लगाये हैं. शिकायत करने पर नग्न करके पीटने की बात भी कही है. जानकारी के मुताबिक जिला जेल में बलात्कार के आरोप में बंद बृजेश मालवी निवासी खंजनपुर और हत्या का आरोपी मंटू निवासी हमलापुर ने बीते बुधवार सुबह एसिड पी लिया. इस मामले में आयोग ने पुलिस महानिदेशक (जेल) भोपाल तथा जेल अधीक्षक, बैतूल से चार सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है.
वन विभाग के अधिकारी ने मजदूरों को नहीं दी मजदूरी: गुना जिले में कोविड-19 और लाकडाउन के चलते पहले से ही आर्थिक मंदी और बेरोजगारी झोल रहे मजदूरों को वन विभाग के एक अधिकारी द्वारा उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इस मामले में म.प्र. मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर गुना से जवाब मांगा है.
आयोग के अनुसार मजदूरी न मिलने के चलते उक्त मजदूरों के समूह ने बीते गुरूवार को बीनागंज से चलकर गुना पहुंचकर कलेक्टरेट में डेरा डाल दिया. दरअसल मामले में प्रदेश के कटनी जिले के ग्राम पानउमरिया निवासी मजदूरों का समूह मजदूरी के लिये बीनागंज में वन विभाग अधिकारियों के बुलावे पर आया था.
यहां मजदूर परिवारों द्वारा वन विभाग के एक अधिकारी के निर्देश पर 65 हजार गढ्डे खोदने का काम किया गया. मजदूरों को उक्त अधिकारी द्वारा प्रति गढ्डे 15 रुपए मजदूरी देने की बात कही गई थी. इस दौरान मजदूरों ने अपना काम पूरा कर दिया. लेकिन उन्हें मात्र थोड़ी बहुत राशि के अलावा कुछ नहीं मिला. इसके लिये वह बार-बार वनाधिकारी के समक्ष गुहार लगाते रहे. लेकिन हर बार उन्हें टालमटोल करते रहे. परेशान मजदूरों का उक्त जत्था कलेक्टर से मदद की आस में बीनागंज से चलकर कलेक्टरेट पहुंचा. इस मामले में आयोग ने कलेक्टर, गुना से दो सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है.