मध्य प्रदेशः बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने पर शिवराज सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस, मांगा 3 सप्ताह में जवाब
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 9, 2018 05:56 PM2018-04-09T17:56:25+5:302018-04-09T17:56:25+5:30
शिवराज सिंह चौहान ने पिछले सप्ताह मध्य प्रदेश सरकार में पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था।
इन्दौर, 9 अप्रैल (रिपोर्ट- मुकेश मिश्र): शिवराज सिंह सरकार द्वारा पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिये पर उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ संत समाज के लोग इसका विरोध कर रहे है तो दूसरी ओर यह मामला कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले को लेकर लगी एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इन्दौर बेंच ने सरकार को नोटिस जारी कर तीन हप्ते में जवाब मांगा है कि उसने किस आधार पर इन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया है।
मप्र सरकार ने हाल ही में नर्मदानंद, हरिहरानंद, कम्प्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पं. योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। इन सभी संतों को सरकार ने विशेष समिति का सदस्य बनाया है।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ इन्दौर के रहने वाले रामबहादुर वर्मा ने एडवोकेट गौतम गुप्ता के जरिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि मंत्री परिषद गठित होने के बाद भी पांच बाबाओं को मप्र सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया। सरकार के इस फैसले से जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। पहले से ही सरकार 90 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है।
वही याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकार ने यह भी नहीं बताया कि किस आधार पर इन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया। जबकि सरकार ने जिन्हें राज्यमंत्री बनाया कुछ दिन पहले वे सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले थे।
इस याचिका पर सोमवार को जास्टिस पीके जायसवाल तथा जास्टिस सुशील कुमार अवस्थी की युगलपीठ ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा किस आधार पर दिया गया? तीन हफ्तों में जवाब दें।