मध्य प्रदेशः गुना में पांच हजार के लिए 3 साल से बंधुआ बने आदिवासी को केरोसिन डालकर जिंदा जलाया, आयोग ने मांगा जवाब

By शिवअनुराग पटैरया | Published: November 9, 2020 09:05 PM2020-11-09T21:05:36+5:302020-11-09T21:06:46+5:30

मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर और एस.पी. गुना से जवाब मांगा है. बताया जाता है कि करीब 3 साल पहले आरोपी राधेश्याम ने विजय को 5 हजार रुपए उधार दिये थे. बदले में दबंग ने उसे अपने घर बंधुआ मजदूर बना रखा था.

Madhya Pradesh Guna crime burnt alive tribal 3 years five thousand commission asks answer sp dm | मध्य प्रदेशः गुना में पांच हजार के लिए 3 साल से बंधुआ बने आदिवासी को केरोसिन डालकर जिंदा जलाया, आयोग ने मांगा जवाब

आयोग के अनुसार एसपी ने बताया कि आरोपी को रात में ही गिरफ्तार कर लिया है.

Highlightsविजय ने बीते शुक्रवार को काम करने से मना कर दिया और कहा कहीं और काम करके आपके पैसे चुका दूंगा.विवाद हुआ और दबंग ने विजय को उसके घर से करीब 30 मीटर दूर ले जाकर केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया. आखिर देर रात एक बजे विजय ने दम तोड़ दिया. आयोग के अनुसार एसपी ने बताया कि आरोपी को रात में ही गिरफ्तार कर लिया है.

भोपालः गुना जिले के बमोरी ब्लॉक के उकावद खुर्द गांव में बीते शुक्रवार देर रात 20 वर्षीय आदिवासी विजय सहरिया को गांव के दबंग ने जिंदा जला दिया.

इस मामले पर म.प्र. मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर और एस.पी. गुना से जवाब मांगा है.  बताया जाता है कि करीब 3 साल पहले आरोपी राधेश्याम ने विजय को 5 हजार रुपए उधार दिये थे. बदले में दबंग ने उसे अपने घर बंधुआ मजदूर बना रखा था. विजय ने बीते शुक्रवार को काम करने से मना कर दिया और कहा कहीं और काम करके आपके पैसे चुका दूंगा.

इसपर विवाद हुआ और दबंग ने विजय को उसके घर से करीब 30 मीटर दूर ले जाकर केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया. घटना के बाद राधेश्याम भाग गया, जबकि लपटों में घिरा विजय बदहवास इधर-उधर भागता रहा. थोड़ी देर बाद वह सड़क पर गिर गया. आनन-फानन में परिजन विजय को बमोरी स्वास्थ्य केन्द्र ले गये, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. आखिर देर रात एक बजे विजय ने दम तोड़ दिया. आयोग के अनुसार एसपी ने बताया कि आरोपी को रात में ही गिरफ्तार कर लिया है.

मृतक के परिवार को 20 हजार रुपए की मदद की गई है. हम जल्द ही मामला कोर्ट में ले जायेंगें. मामले पर बवाल न बढे, इसलिये पुलिस व प्रशासन ने पहले विजय के शव को बमोरी भेजा, जहां सुबह 6 बजे अंधेरे में ही उसका पोस्टमार्टम करा दिया और शव को गांव भेज दिया.

आरोप है कि पुलिस ने परिजनों पर मृतक का अंतिम संस्कार जल्द करने का भी दबाव डाला. हालांकि इस दौरान मामला तूल पकड़ चुका था और कई सामाजिक कार्यकर्ता एवं सहरिया समुदाय के लोग एकत्रित हो गये. आखिरकार दोपहर करीब सवा दो बजे मृतक का अंतिम संस्कार हुआ. इस मामले में आयोग ने पुलिस महानिदेशक म.प्र. तथा पुलिस अधीक्षक, गुना से तत्काल प्रतिवेदन मांगा है. साथ ही यह भी पूछा है कि प्रकरण में एफआईआर दर्ज की गई अथवा नहीं ? आयोग द्वारा प्रकरण की अद्यतन स्थिति की जानकारी भी चाही गई है.

गंभीर कुपोषित बच्चे, लेकिन न जांच हो रही न इलाज मिल रहा :  भोपाल में कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग कुपोषित बच्चों को भी भूल गया. न इनकी जांच हो रही, न इलाज. जेपी अस्पताल की पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) में रोज एक-दो बच्चे ही पहुंच रहे हैं, उन्हें भी नर्स ही संभालती हैं. इसका बड़ा कारण एनआरसी में डॉक्टर न होना है. दरअसल पीजीएमओ के रूप में डॉ. पल्लव दुबे नियुक्त थे, लेकिन कोरोना की शुरूआत में उन्हें फीवर क्लीनिक नोडल अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया. म.प्र. मानव अधिकार आयोग ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

आयोग के अनुसार भोपाल जिले में 1973 कुपोषित बच्चे हैं, जिनको सतत निगरानी की जरूरत है. ऐसे में एनआरसी में डॉक्टर के न होने से इन बच्चों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है. प्रदेश में 1 लाख 14 हजार 926 कुपोषित पाये गये. कुपोषण से ग्रस्त बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण दिक्कतें हो सकती है. पर्याप्त देखभाल न होने के कारण कुपोषण बढ़Þ सकता है, जिससे बच्चे की जान जा सकती है. जेपी अस्पताल में चिकित्सक न होने से यहां आने वाले बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस मामले में आयोग ने प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है.

Web Title: Madhya Pradesh Guna crime burnt alive tribal 3 years five thousand commission asks answer sp dm

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