कमलनाथ सरकार का नसबंदी टारगेट फेल, वापस लेना पड़ा फैसला, भाजपा ने याद दिलाया आपातकाल
By गुणातीत ओझा | Published: February 21, 2020 06:21 PM2020-02-21T18:21:04+5:302020-02-21T18:21:04+5:30
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि इमरजेंसी के समय कमलनाथ जी के गुरू कौन थे पता है न कहने की जरूरत नहीं है। जनसंख्या नियंत्रण गुंडई से नहीं होनी चाहिए।
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को नसबंदी को लेकर जारी किया गया फरमान वापस लेना पड़ा है। चारों तरफ से आलोचनाएं झेलने और घिरने के बाद कमलनाथ सरकार को मजबूर होकर यह फैसला रद्द करना पड़ा है। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने राज्य सरकार ने फैसले को वापस लेने की जानकारी दी। इतना ही नहीं इस फैसले को जारी करने वाली राज्य नेशनल हेल्थ मिशन की निदेशक छवि भारद्वाज पर भी कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया गया है। पद से हटाकर उन्हें सचिवालय में ओएसडी बना दिया गया है।
बताते चलें कि कमलनाथ सरकार स्वास्थ्य कर्मचारियों को पुरुषों की नसबंदी करने का टारगेट दिया था। इस टारगेट में कहा गया था कि अगर कर्मचारी टारगेट पूरा नहीं कर सकेंगे तो उनकी सैलरी काट दी जाएगी। इतना ही नहीं कर्मचारियों से यहां तक कह दिया गया था कि उन्हें अनिवार्य रिटायरमेंट भी दिया जा सकता है।
राज्य सरकार ने परिवार नियोजन प्रोग्राम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए मेल मल्टी पर्पस हेल्थ कर्मचारी (MPHWs) को यह फरमान जारी किया था। इसमें राज्य सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों को हर महीने 5 से 10 पुरुषों की नसबंदी करने का टारगेट दिया था। बताते चलें कि मध्यप्रदेश में पिछले पांच वर्षों में नसबंदी के लिए पुरुषों की संख्या लगातार घटी है। 2019-20 में 3 लाख 34 हजार महिलाओं की तुलना में 20 फरवरी 2020 तक 3,397 पुरुषों ने नसबंदी कराई थी। 2015-16 में राज्य ने 9,957 पुरुष नसबंदी कराई थी और उसके बाद के तीन वर्षों में संख्या क्रमशः 7,270, 3,719 और 2,925 रही थी।
कमलनाथ सरकार के लिए गए इस फैसले पर भाजपा ने भी निशाना साधा है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि इमरजेंसी के समय कमलनाथ जी के गुरू कौन थे पता है न कहने की जरूरत नहीं है। जनसंख्या नियंत्रण गुंडई से नहीं होनी चाहिए।