'आपका दर्द समझ सकता हूँ, लेकिन...' राज्यपाल लालजी टंडन ने स्पीकर के पत्र का दिया जवाब

By स्वाति सिंह | Published: March 18, 2020 11:43 AM2020-03-18T11:43:31+5:302020-03-18T11:52:07+5:30

स्पीकर प्रजापति ने राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखकर प्रदेश के कथित तौर पर ‘‘लापता’’ विधायकों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए उनकी वापसी के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया था। इसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल लालजी टंडन ने जावाब दिया है।

Madhya Pradesh Governor's Reply To Speaker On Rebel MLA says Can Understand Your Pain | 'आपका दर्द समझ सकता हूँ, लेकिन...' राज्यपाल लालजी टंडन ने स्पीकर के पत्र का दिया जवाब

कांग्रेस का दावा है कि सभी विधायकों को 'किडनैप' किया गया है और बीजेपी द्वारा बंदी बनाकर रखा गया है।

Highlights मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने राज्यपाल लालजी को पत्र लिखकर विधायकों की सुरक्षा पर चिंता जताई।राज्यपाल लालजी टंडन ने जावाब दिया है।

मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को बुधवार तड़के पत्र भेजकर छह मंत्रियों के त्यागपत्र को स्वीकार करने में ‘‘निष्पक्ष, साहसपूर्ण एवं शीर्घ’’ निर्णय लेने के लिए उनकी प्रशंसा की है। इसके साथ ही राज्यपाल टंडन ने प्रजापति को लिखा है, ‘‘आपने पत्र में विधायकों की सुरक्षा की मांग की है। प्रदेश के सभी नागरिकों की सुरक्षा का दायित्व कार्यपालिका का है और आप उससे ही सुरक्षा चाहते होंगे किन्तु त्रुटिवश यह पत्र मुझे प्रेषित हुआ प्रतीत होता है।’’

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी के 22 विधायकों ने अपना त्यागपत्र दे दिया था। इससे प्रदेश की 15 माह पुरानी कमलनाथ सरकार संकट में आ गई है। विधानसभा अध्यक्ष ने छह विधायकों के त्यागपत्र मंजूर कर लिए हैं जबकि 16 विधायकों के त्यागपत्र पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

टंडन ने अपने पत्र में प्रजापति द्वारा उन्हें लिखे गए पत्र का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ आपके 17 मार्च 2020 के पत्र में विधायकों की अनुपस्थिति के कारण उनकी सुरक्षा के संबंध में आपकी चिंता की मैं सराहना करता हूं। इस संबंध में पिछले 8-10 दिनों से आप जिस पीड़ा से गुजर रहे होंगे, उसका भी मुझे अंदाजा हो रहा है।’’

उन्होंने कहा कि हालांकि इन दिनों में इस बारे में सदस्यों की बारे में जानकारी प्राप्त करने बाबत आपके द्वारा किए गए प्रयासों का उल्लेख पत्र में नहीं है। फिर भी निश्चत रुप से आपने समुचित प्रयास किए होंगे। राज्यपाल ने लिखा, ‘‘जहां तक सदस्यों के त्यागपत्र स्वीकार किए जाने की बात है, मैं आपके द्वारा 22 में से छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के निष्पक्ष, साहसपूर्ण एवं शीघ्र किये गए निराकरण की भी प्रशंसा करता हूं। आप अध्यक्ष होने के नाते भली भांति अवगत होंगे कि किसी सदस्य के इस्तीफे को स्वीकार करने की प्रक्रिया अथवा विधानसभा की बैठक आहूत होने के बाद बिना सूचना के अनुपस्थित होने पर किस विधिक प्रक्रिया का पालन कर क्या कार्यवाही की जानी चाहिए।

हालांकि विधायकों के त्यागपत्र आवेदन के निराकरण में आपको हो रहे असमंजस का भी मुझे आभास है।’’ तथाकथित लापता विधायकों के बारे में टंडन ने कहा कि वे लगातार उन्हें और अध्यक्ष को पत्र लिख रहे हैं लेकिन किसी पत्र में उन्होंने यह उल्लेख नहीं किया कि वे कहां है तथा अपनी किसी समस्या का भी उल्लेख विधायकों ने नहीं किया है।

टंडन ने कहा कि इन विधायकों के पत्र और वीडियो अखबारों, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया में भी लगातार प्रकाशित हो रहे हैं और अब वे उच्चतम न्यायालय भी पहुंच गए हैं। राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को यह भी लिखा है, ‘‘मुझसे कुछ प्रश्नों के उत्तर की अपेक्षा की गई है। उक्त अपेक्षा निश्चित ही किसी नियमावली के तहत होगी और आपने उसका अवलोकन किया होगा। कृपया संबंधित नियमावली मुझे प्रेषित करने का कष्ट करें।’’

बता दें कि स्पीकर प्रजापति ने राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखकर प्रदेश के कथित तौर पर ‘‘लापता’’ विधायकों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए उनकी वापसी के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। इन विधायकों ने अपने त्यागपत्र अध्यक्ष को भेज दिए हैं। कांग्रेस का दावा है कि सभी विधायकों को 'किडनैप' किया गया है और बीजेपी द्वारा बंदी बनाकर रखा गया है। ये सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं। सिंधिया पिछले हफ्ते बीजेपी में शामिल हो गये थे।

बहरहाल, प्रजापति ने सदन के लापता सदस्यों की वापसी के विषय में राज्यपाल को पत्र में लिखा, '‘मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप प्रदेश के कार्यकारी प्रमुख एवं अभिभावक होने के नाते उक्त सभी लापता विधायकों के परिवारजनों एवं आत्मीयजनों की उपरोक्त शंकाओं के निराकरण एवं समाधान हेतु उनकी वापसी सुनिश्चत कराने की दिशा में ठोस कदम उठाकर मेरी और उन सदस्यों के परिजनों की चिंताओं का समाधान करने का कष्ट करें।’’ 

उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘उपरोक्त विषयांतर्गत मैं आपका ध्यान एक अति गंभीर विषय की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। 16 माननीय सदस्यों के त्यागपत्र अन्य लोगों के माध्यम से मुझे प्राप्त हुए। मध्यप्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 276-1 ख के अंतर्गत इन्हें समक्ष उपस्थित होने के निर्देश दिये गये किन्तु एक भी सदस्य उपस्थित नहीं हुआ। परिणामत: उनके त्यागपत्र प्रकरण मेरे समक्ष विचाराधीन है।’’ 

उन्होंने पत्र में लिखा है कि ये विधायक 16 मार्च 2020 को आहूत विधानसभा की बैठक में भी अनुपस्थित रहे। इससे इन विधायकों में से कुछ के परिजनों द्वारा उनकी सुरक्षा के संबंध में चिन्ता भी व्यक्त की गई है तथा विधानसभा का पीठासीन प्रमुख होने के नाते इस पर चिंता व्यक्त की। 

प्रजापति ने कहा, ‘‘यहां यह उल्लेख करना अनुचित न होगा कि सोशल मीडिया पर अनेक वीडियो जारी हुए हैं। ये त्यागपत्र प्रस्तुत करते समय विधायक के परिवार का व्यक्ति मेरे समक्ष प्रस्तुत नहीं हुआ। इससे इस आशंका की पुष्टि होती है कि उक्त त्यागपत्र सुनिश्चित रुप से दबाव डालकर लिखवाये गये हैं। यदि उक्त त्यागपत्र स्वेच्छा से प्रस्तुत किये गये होते तो क्या संबंधित विधायक के परिवार के सदस्य, निकट संबंधी अथवा उनके कार्यकर्ता साथ नहीं होते। क्या, यह स्पष्टत: संविधान के मौलिक अधिकारों में प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंधन नहीं है। क्या, प्रदेश के अन्य राजनेताओं की तरह ही इनके द्वारा स्वच्छंद वातावरण में प्रेस के सम्मुख निर्भीक होकर स्वेच्छा से बयान दिये जा रहे हैं।’’ 

गौरतलब है कि कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर उपेक्षा किये जाने से परेशान होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गये। इसके बाद ही मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं। 14 मार्च, शनिवार को अध्यक्ष ने छह विधायकों के त्यागपत्र मंजूर कर लिए जबकि शेष 16 विधायकों के त्यागपत्र पर अध्यक्ष ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है। 

इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर संकट गहरा गया है। ये सभी 22 सिंधिया समर्थक विधायक एवं पूर्व विधायक बेंगलुरु में डेरा डाले हुए हैं। बेंगलुरु में इन 22 सिंधिया समर्थक विधायाकों और पूर्व मंत्रियों ने पत्रकार वार्ता में बिना किसी कैद की अपनी स्वेच्छा से वहां रहने के बात कही और कहा कि यदि उन्हें केन्द्रीय सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए तो वह मध्यप्रदेश आने के लिए तैयार हैं।

Web Title: Madhya Pradesh Governor's Reply To Speaker On Rebel MLA says Can Understand Your Pain

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