तो क्या मध्यप्रदेश में बीजेपी चुकाएगी शिवराज सिंह चौहान के 'पापों' की कीमत? पीएम मोदी ने भी की थीं उम्मीद से कम रैलियाँ
By जनार्दन पाण्डेय | Published: December 7, 2018 08:02 PM2018-12-07T20:02:40+5:302018-12-07T20:02:40+5:30
Madhya Pradesh Exit poll: रिजल्ट के काफी करीब एग्जिट पोल जारी करने वाले चाणक्य ने भी कांग्रेस को 125 सीटें और बीजेपी को महज 103 सीटें जीतते दिखा रहा है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के एग्जिट पोल आ गए हैं। प्रमुख सात सर्वे एजेंसियों में पांच में कांग्रेस को जीतता हुआ बताया जा रहा है। यहां तक कि रिजल्ट के काफी करीब एग्जिट पोल जारी करने वाले चाणक्य ने भी कांग्रेस को 125 सीटें और बीजेपी को महज 103 सीटें जीतते दिखा रहा है। क्या इसके पीछे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं।
व्यापमं घोटाले ने कराई भारी किरकिरी
शिवराज सिंह चौहान की छवि को व्यापमं घोटाले से भारी नुकसान होता दिखाई दे रहा है। शिवराज सरकार में हुए इस भर्ती घोटाला से जुड़े ज्यादातर लोग या तो आकस्मिक मौत का शिकार हो गए या हत्या कर दी गई। इसने शिवराज सिंह चौहान की छवि का बट्टा लगा दिया।
मध्यप्रदेश का क्राइम कैपिटल के तौर पर छवि बनाना
चुनाव के ऐन पहले बीजेपी के सबसे मजबूत पकड़ वाले राज्य में भी कांग्रेस शिवराज सरकार के खिलाफ यह छवि बनाने में सफल रही है कि प्रदेश में शासन व सुरक्षा व्यवस्था दोयम दर्जे की है। एक के बाद एक मध्यप्रदेश में ऐसी घटनाएं भी सामने आईं जिससे सरकार की छवि धूमिल हुई। सरकार ने कुछ मामलों में फांसी की दिलाने के बाद अपनी छवि नहीं सुधरवा पाई। इसका सबसे ज्यादा नुकसान किसी होगा तो वे शिवराज सिंह चौहान हैं।
शिवराज सिंह के बयानों से हुई किरकिरी
शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ करीब एक साल पहले से ही अभियान तेज हो गए थे। इस साल के शुरुआत में उनकी अमेरिकी यात्रा के बाद यह कहना कि एमपी की सड़कें न्यूयॉर्क से भी बेहतर हैं का जमकर मजाक बना। ऐसी कई रिपोर्ट आईं जिनमें एमपी की खस्ताहाल सड़कों का खुलासा हुआ। ऐसे ही शिवराज के कई बयानों को विपक्ष भुनाने में कामयाब रहा।
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक इस बार भी बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाने में सफल रहेगी। लेकिन कमजोर संगठन होने के बाद भी कांग्रेस अच्छी-खासी सीटें पाने में सफल रहेगी। इसका ठिकारा शिवराज सिंह चौहान पर फोड़ा जाएगा।
मोदी के बरक्स खड़े होने की कोशिश
यह बात सर्वविदित है कि नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने की राह में वे कौन से बीजेपी नेता हैं जो रोड़ा थे। पीएम मोदी के आने के बाद उन नेताओं को बीजेपी में कहां भेज दिया गया है, इस बात का भी गाहे-बहाने नमूना देखने को मिल जाता है।
चाहे वह हाल ही में सुषमा स्वराज का यह कहना हो कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ना चाहती हो या फिर मध्यप्रदेश से सांसद होने के बाद भी सुषमा स्वराज को प्रमुख चुनाव प्रचारकों में शामिल ना करना।
यही स्थिति संगठन में शिवराज सिंह चौहान की भी है। मध्यप्रदेश का 2013 चुनाव राजनाथ सिंह के नेतृत्व में लड़ा गया था। तब बीजेपी शीर्ष नेतृत्व मोदी-शाह की जोड़ी का प्रभुत्व नहीं था। साल 2014 में बीजेपी पीएम उम्मीदवार तय करने का मन बना रही थी तब नीतीश कुमार, रमन सिंह, शिवराज सिंह चौहान सरीखे नेता ही सबसे आगे थे, जो नरेंद्र मोदी की राह में रोड़ा थे।
ऐसे में अपने हाथ में कमान लेने के बाद बीजेपी ने ऐसे नेताओं को सबसे पहले शांत कराया। ऐसी कई बार चर्चा होती है कि मोदी-शाह की पसंदीदा नेताओं की लिस्ट में शिवराज सिंह चौहान शामिल नहीं है।