मध्यप्रदेश: भारतीय सेना को सौंपी गई धनुष तोप, जानिए इसकी खासियत
By संजय परोहा | Published: April 9, 2019 12:41 AM2019-04-09T00:41:34+5:302019-04-09T00:41:34+5:30
धनुष के निर्माण पश्चात जुलाई 2016 से जून 2018 तक धनुष के कई ट्रायल किए गए. इसके अलावा उक्त तोप से नवंबर 2012 से अब तक कुल 4599 राउण्डफायर किए जा चुके हैं.
आज का दिन न केवल गन कैरिज फैक्टरी जीसीएफ वरन जबलपुर के लिए भी बेहद खास रहा जब यहां फैक्टरी परिसर में आयोजित एक गरिमामय समारोह में जीसीएफ प्रबंधन की ओर से इसी फैक्टरी में स्वदेशी तकनीक से बनाई गई धनुष तोप 155 एमएम/45कैलिबर गन की पहली खेप के रूप में 6 धनुष तोप भारतीय सेना के लिए सौंप दी गई.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथिा डॉ. अजय कुमार ,सचिव रक्षा उत्पादन रहे जबकि अध्यक्ष सौरभ कुमार महानिदेशक ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड ओएफबी, कमाडेंट आर्टिलरी स्कूल आरएस कलारिया, लेफ्टिनेंट जनरल आर्टिलरी पीके श्रीवास्तव, हरि मोहन बोर्ड मेंम्बर, रजनीश जौहरी ओएफबी के जीएम मौजूद रहे.कार्यक्रम में रक्षा सचिव उत्पादन अजय कुमार ने कहा कि आज हम जीत गये, आज का दिन एतिहासिक है .
115 वर्ष पुराने इतिहास को मानकर कह सकता हॅूं आज हमें बहुत बड़ी उपलब्धि धनुष तोप को बना कर मिली है. आज धनुष तोप की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है,पूर्णत:स्वदेशी धनुष गन 38 किलोमीटर मारक क्षमता वाली है. जिसकी डिजाईन आयुध निर्माणी में हुई है. जीसीएफ जबलपुर में बनी यह गन बोफोर्स तोप से भी उन्नत टैक्नोलॉजी वाली है, और इस काम में जीसीएफ व सेना के संयुक्त प्रयास रहे.
आज 6 गन सेना को सौंपी जा रही है आने वाले दिनों में सेना की मांग के अनुसार 60 गने सेना को सौंपी जायेंगी. हम चाहते हैं कि अब हम एक्सपोर्ट की ओर बढ़े हैं पूरी दुनिया में 300 बिलियन का आधुन का मार्केट है और हम एक्सपोर्ट के जरिये बड़ी शक्ति बन कर उभरे और इसके लिए पहली बार ओएफबी ने एक्सपोर्ट सदस्य की नियुक्ति की है और परिणाम स्वय एक्सपोर्ट के आर्डर आने शुरू हो गये हैं. अब हम अपने तकनीकी कौशल से एक्सपोर्ट के मार्केट को छोड़ना नहीं चाहिए, और इसे हमे जीतना है.
इस अवसर पर आयुध निर्माणी बोर्ड के अध्यक्ष सौरभ कुमार ने कहा कि आज का दिन मेरे लिए एक सपे को साकार होने जैसा है, जो 25 वर्ष पहले संभव नहीं था, मै आज गौरवांवित महसूस कर रहा हँू कि में स्वदेशी गन धनुष सेना को समर्पित कर रहा हॅूं. 25 वर्ष पूर्व हमने कुछ टुकड़ों में हमने डिजाईन किये थे और फिर गन सिस्टम को डिजाईन किया तो एक लंबी मेहनत बाद हम आज यहां कि आयुध निर्माणी स्वदेशी गन धनुष तैयार कर सके. सौरभ कुमार ने कहा कि सेना की आवश्यकता एक वर्ष में 60 गन की है और चुनौती यह है हमारे लिए कि हम 600 गनों को बनाने की है, धनुष तोप से एक नई परंपरा की शुरूआज हो रहीहै पहली बार हम उच्च गुणवत्ता की गन हम सेना को सौंप रहे हैं. हम अपने लक्ष्य के साथ लगे रहेंगे तो सेना की मदद कर सकेंगे.
सबसे आधुनिक गन धनुष- देश में विकसति सबसे बड़ी आर्टीलरी गन धनुष में कई खूबियां हैं. 2012 में इस पर काम शुरू हुआ था. इसमें अपग्रेडेड कंम्युनिकेशन सिस्टम लगाया गया है. ये तोप सेलेलाइट के जरिए न केवल दुश्मन के ठिकानों की पोजीशन हासिल कर सकती है बल्कि खुद गोले लोड कर फायर करने में भी सक्षम है. जीसीएफ को नए वित्तीय वर्ष के लिए 114 गनों का बल्क प्रोडक्शन आर्डर हाल ही में हासिल हुआ है जिसके बादसे उत्पादन की रफ्तार भी बढ़ा दी गई है. 38 मिमी.
दूरी तक निशाना साधने वाली इस एक मात्र गन की तैनाती पाकिस्तान और चायना से लगी सरहद पर की जाएगी. धनुष के निर्माण पश्चात जुलाई 2016 से जून 2018 तक धनुष के कई ट्रायल किए गए. इसके अलावा उक्त तोप से नवंबर 2012 से अब तक कुल 4599 राउण्डफायर किए जा चुके हैं. सेना ने इसे निम्न एवं उच्च तापमान में परखा है. देश में पांच जगहों पर हुआ परीक्षण में फायरिंग के परिणाम सकारात्मक आने के बाद ही इसे हरी झण्डी मिली और आज यह अवसर आया जब जबलपुर में धनुष तोप सेना को सौंपी गई है.