मध्यप्रदेश: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने संबोधन में क्या-क्या बोले? ये रहे उनके भाषण के अहम बिंदु

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 1, 2025 16:10 IST2025-12-01T16:08:39+5:302025-12-01T16:10:53+5:30

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने कहा कि पूरे प्रदेश में तीन लाख लोग गीता के 15वें अध्याय का पाठ कर रहे हैं। यह वाकई हमारे लिए गौरवांवित करने वाले क्षण हैं।

Madhya Pradesh: CM Dr. Mohan Yadav addresses at the International Gita Festival Here are the key points from his speech | मध्यप्रदेश: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने संबोधन में क्या-क्या बोले? ये रहे उनके भाषण के अहम बिंदु

मध्यप्रदेश: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने संबोधन में क्या-क्या बोले? ये रहे उनके भाषण के अहम बिंदु

भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि - आज गीता जयंती का अद्भुत अवसर है। पिछले साल लाल परेड ग्राउंड पर आजादी के बाद पहली बार 3500 विद्यार्थियों ने एक साथ गीता पाठ करके अद्भुत रिकॉर्ड बनाया था।

* आज पूरे प्रदेश में तीन लाख लोग गीता के 15वें अध्याय का पाठ कर रहे हैं।  यह वाकई हमारे लिए गौरवांवित करने वाले क्षण हैं। भगवान श्री कृष्ण ने कंस को मारने के बाद जो पराक्रम किया वह अद्भुत है।

* भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा को महत्व दिया। यह दिखाता है कि 5000 साल पहले भी हमारा समाज इस बात को मानता था कि मनुष्य के जीवन में शिक्षा के अधूरापन को गुरुकुल पूरा करता है।

* गुरुकुल में ही विद्यार्थी का जीवन परिपूर्ण होता है। महर्षि सांदीपनि के संपर्क में आने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने 64 कलाएं, 14 विद्याएं, पुराण-वेद की शिक्षा ग्रहण की। इसी आश्रम में उन्होंने गरीबी-अमीरी के बीच के रिश्ते का भाव जाना। 

* प्रदेश की भूमि पर ही उन्हें भगवान परशुराम से सुदर्शन चक्र मिला था। श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती भी हमारे प्रदेश में हुई है दोनों की दोस्ती से ये सीखने को मिलता है कि अपने स्कूली जीवन में जिनसे मित्रता हो, उसको जीवनभर याद भी रखना है। 

* भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिकाधीश होने के बाद भी अपने स्कूली मित्र सुदामा को याद रखा। दोनों की दोस्ती ने यह भी सिखाया है कि मित्र के जीवन में यदि कोई कष्ट आए तो आप उसको याचक बनाकर उसकी निगाह नीची मत होने दें। उसकी मदद जरूर करना, लेकिन पीठ पीछे उसकी सारी जरूरतें उसका सम्मान को ठेस पहुंचाए बिना पूरी करें। 

* दुविधा में फंसे अर्जुन को श्री कृ्ष्ण ने कर्मवाद की शिक्षा दी। जन्म-मरण का चक्र तो चलता रहा है। 

* सरकार ने तय किया है कि भगवान कृष्ण की जहां-जहां लीलाएं हुई हैं, वह प्रत्येक स्थान तीर्थ बनाएंगे। जो महत्व द्वारिका-मथुरा का है, वही महत्व उज्जैन का है। 

* भगवान श्री कृष्ण ने जहां-जहां चरण धरे हैं, उस प्रत्येक स्थान को हम तीर्थ के रूप में रेखांकित कर रहे हैं।  इसी के साथ-साथ हम गीता भवन भी बनाने जा रहे हैं। 

* इंदौर के राजवाड़ा के पास आज पहला गीता भवन जनता को सौंपा जाएगा। 

* कर्मवाद के आधार पर भगवान को भी मनुष्य के समान सारे सुख-दुख भी भोगते हुए नीति के आधार पर चलना पड़ता है। 

* कर्म हमारे अपने होते हैं, वह भगवान के जिम्मे नहीं आते।- गीता मन में उठने वाली सभी जिज्ञासाओं का समाधान करती

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