शाजापुर: बुजुर्ग मरीज को पलंग से बांधने वाले 'सिटी अस्पताल' पर गिरी गाज, लाइसेंस और पंजीकरण सस्पेंड
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 8, 2020 09:11 PM2020-06-08T21:11:00+5:302020-06-08T21:11:00+5:30
मध्यप्रदेश के शाजापुर में निजि 'सिटी अस्पताल' का बिल नहीं चुकाने वाले वृद्ध मरीज को पलंग पर बांधने के मामले में CMO ने लाइसेंस एवं पंजीकरण अगले आदेश तक निलंबित कर दिया. अस्पताल के मैनेजर नितेश शर्मा के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया गया है.
शाजापुर/भोपाल: बिल ना चुका पाने के कारण पलंग बुजुर्ग मरीज़ को पंलग से बांधने की खबर आने के बाद मचे हड़कंप से अब प्रशासन हरकत में आया है. मध्यप्रदेश के शाजापुर में मेडिकल बिल भुगतान न करने पर एक वृद्ध मरीज को कथित तौर पर पलंग पर बांधने के मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने एक निजी सिटी अस्पताल का लाइसेंस एवं पंजीकरण सोमवार को आगामी आदेश तक निलंबित कर उसे सील कर दिया. इसके साथ ही अस्पताल के प्रबंधक नितेश शर्मा के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है.
शाजापुर के कलेक्टर दिनेश जैन ने बताया, ''राजगढ़ जिले के लक्ष्मीनारायण दांगी को शाजापुर के सिटी अस्पताल में इलाज के दौरान पलंग से बांधकर रखने के कारण अस्पताल का लाइसेंस एवं पंजीकरण मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा आगामी आदेश तक निलंबित किया गया है.'' उन्होंने कहा, ''साथ ही संबंधित संस्था के प्रबंधक नितेश शर्मा के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 342 (गलत तरीके से प्रतिबंधित करना) के तहत कोतवाली थाना शाजापुर में अपराध पंजीकृत किया गया है.' ' जैन ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा सिटी अस्पताल के संचालक डॉ. वरूण बजाज की उपस्थिति में अस्पताल के कक्ष क्रमांक 1 से 6 तक को सील कर आगामी आदेश तक अस्पताल के संचालन पर रोक लगाई है.
अस्पताल पर गिरी गाज
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों अखबारों एवं न्यूज चैनलों पर सिटी अस्पताल में राजगढ़ जिले के लक्ष्मीनारायण को इलाज के दौरान पलंग से बांधने संबंधी समाचार प्रकाशित एवं प्रसारित हुआ था. इस समाचार को शिकायत मानते हुए जिला प्रशासन ने घटना की जांच के लिए अनुविभागीय अधिकारी के नेतृत्व में संयुक्त जांच दल बनाया था. जैन ने बताया कि इसके साथ ही लक्ष्मीनारायण एवं उनकी पुत्री तथा अन्य गांव वालों के बयान दर्ज करने के लिए शाजापुर से एक मजिस्ट्रेट को राजगढ़ जिले के ग्राम रनारा भेजा गया था.
उन्होंने कहा, ''दल द्वारा दिए गए प्रतिवेदन अनुसार पैर बांधने की घटना प्रथम दृष्टया सत्य पाई गई. इसे देखते हुए सिटी अस्पताल के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.''
मीडिया में आई खबरों के अनुसार मरीज लक्ष्मीनारायण के अंतिम बिल का भुगतान नहीं होने पर अस्पताल ने उसकी बेटी को उसे घर नहीं ले जाने दिया और अस्पताल में पलंग से बांध दिया. उसे 1 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया और 5 जून को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संबंध में मीडिया में आई खबरों के बाद ट्वीट कर लिखा था, ''शाजापुर के एक अस्पताल में वरिष्ठ नागरिक के साथ क्रूरतम व्यवहार का मामला संज्ञान में आया है. दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा, सख्त से सख्त कार्रवाई की जायेगी.''
क्या कहता है अस्पताल
हालांकि, सिटी अस्पताल के निदेशक डॉ. वरूण बजाज ने रविवार को कहा कि 65 वर्षीय एक मरीज को शुक्रवार को बिना किसी बकाये भुगतान के अस्पताल से छुट्टी देकर छोड़ दिया गया है. उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में इसकी उम्र 80 वर्ष बताई जा रही है. बजाज ने दावा किया, ''इस मरीज को पेट दर्द के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. उसकी आंतों में कुछ खराबी थी. ज्यादा उम्र होने के कारण हम उन्हें एनेस्थीसिया नहीं दे सकते थे। इंजेक्शन लगाते समय उनके हाथ—पैर हिलते थे. इसलिए इंजेक्शन एवं दवाई देने के लिए उसके हाथ उनकी बेटी सीमा बाई पकड़ लेती थी और पैर बांध दिये गये थे.'' उन्होंने कहा, ''इस मरीज पर 11,400 रूपये बाकी था. लेकिन उसकी बेटी ने कहा कि मेरे पास और पैसे नहीं हैं. इसलिए उसने देने से मना कर दिया था.'' बजाज ने बताया, ''हमने इसकी सूचना कोतवाली पुलिस को दी थी. कोतवाली पुलिस आई और इस मरीज को बकाया पैसे देने को कहा. जब उसने बकाया पैसा नहीं दिया तो हमने बिना बकाया पैसे दिये उसे छोड़ दिया और फिर वह अपनी बेटी के साथ घर चला गया. ''
क्या बोले पूर्व सीएम कमलनाथ
वहीं, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया, ''प्रदेश के शाजापुर में एक अस्पताल में एक बुजुर्ग व्यक्ति से ऐसा अमानवीय, बर्बर व्यवहार। बेटी का आरोप है कि अस्पताल का बिल नहीं चुकाने पर पिता के हाथ-पैर रस्सियों से बांध बंधक बनाया. '' उन्होंने आगे लिखा, ''इस कोरोना वायरस की महामारी में प्रदेश के कई निजी अस्पतालों में अमानवीय व्यवहार, लूट-खसोट व उनकी मनमानी जारी है. जनता की कोई सुनने वाला नहीं है. सरकार इस घटना पर सख़्त कदम उठाये, दोषियों पर कार्रवाई हो.''
हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला सचिव डॉ प्रवीण सिंह गोहिल ने कहा कि यदि जिला प्रशासन ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई की तो हम उसका विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले की जाँच में हमारी एसोसिएशन का भी सदस्य होना चाहिए.