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मध्य प्रदेश: छोटी उम्र में हार्ट सर्जरी करवा चुके बच्चों के साथ केयर सीएचएल हॉस्पिटल ने मनाई जन्माष्टमी

By मुकेश मिश्रा | Updated: August 25, 2024 17:26 IST

रविवार को हॉस्पिटल के ऑडिटोरियम में हुए जन्माष्टमी कार्यक्रम में 3 से 7 साल तक के करीब 20 बच्चे कान्हा और राधा के रूप में अपने माता–पिता के साथ शामिल हुए। इन बच्चों ने वो किसना है... मैया यशोदा, ये तेरा कन्हैया, गो–गो–गो गोविंदा... जैसे कई गानों पर परफॉर्मेंस दी।

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ठळक मुद्देबैलून से छोटे कान्हा ने चुराया माखन, राधा संग रचाया रासराधा–कृष्ण बनकर छोटे बच्चों ने दी डांस परफॉर्मेंस

इंदौर: सिर पर मुकुट, हाथ में बंसी, सुंदर सी मटकी और चेहरे पर मुस्कान को सजाए छोटे–छोटे बच्चे राधा–कृष्ण बने। मौका था जन्माष्टमी के उत्सव का। ये बच्चे आम बच्चों से थोड़े अलग है, क्योंकि इतनी छोटी उम्र में ही ये एक बड़ी हार्ट सर्जरी से निकले है। केयर सीएचएल अस्पताल ने जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया। यह उत्सव खासतौर से उन बच्चों के लिए आयोजित किया गया, जिन्हे जन्म से दिल की कोई बीमारी थी और उनकी सर्जरी हुई है। आज ये बिलकुल स्वस्थ है और मौज–मस्ती के साथ अपना बचपन एंजॉय कर रहे हैं। 

रविवार को हॉस्पिटल के ऑडिटोरियम में हुए जन्माष्टमी कार्यक्रम में 3 से 7 साल तक के करीब 20 बच्चे कान्हा और राधा के रूप में अपने माता–पिता के साथ शामिल हुए। इन बच्चों ने वो किसना है... मैया यशोदा, ये तेरा कन्हैया, गो–गो–गो गोविंदा... जैसे कई गानों पर परफॉर्मेंस दी। इसके बाद आरजे विनी ने बच्चों ने भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े कई सवाल पूछे, जिसका जवाब बच्चों ने बड़े उत्साह से दिया। फिर बच्चों ने बैलून में छिपा माखन चुराया और मटकी भी फोड़ी। सभी को उपहार भी दिए गए। 

केयर सीएचएल अस्पताल के निदेशक मनीष गुप्ता ने बताया कि जन्माष्टमी का पर्व हर साल अस्पताल में मनाते हैं लेकिन ये पहली बार है, जब हमने इन बच्चों के साथ यह पर्व मनाया है। इस तरह के कार्यक्रम का उद्देश्य इन बच्चों को मोटिवेट करना और यह बताना है कि आज के समय में हर बीमारी का इलाज है और इसके बाद सामान्य जीवन जिया जा सकता हैं। यह बच्चे इसी का उदाहरण है। इन्हें भी जन्म से दिल की बीमारी थी जिनका अस्पताल में ही सर्जरी की गई और आज ये स्वस्थ है और सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी रहे है। 

डॉक्टर मनीष पोरवाल ने बताया कि यह बच्चे जन्मजात विकार से ठीक हुए है। आज जन्माष्टमी के मौके पर ये बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ यहां आए हैं। ऐसे कार्यक्रम में बच्चों को शामिल करने से उनका ज्ञान और धर्म के प्रति लगाव बढ़ता है। जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने पढ़ाई के साथ स्किल्स भी सीखी। उसी तरह बच्चों को भी पढ़ाई के साथ स्किल सीखना बहुत जरूरी है।    

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