बुदनी उपचुनाव क्यों सुर्खियों में
मध्य प्रदेश के सीहोर की बु्दनी विधानसभा सीट जो शिवराज के सांसद बनने के बाद खाली हुई और अब यहां पर उपचुनाव है...लेकिन जिस बुदनी विधानसभा सीट पर शिवराज सिंह चौहान नामांकन दाखिल करने के बाद प्रचार के लिए नहीं जाते थे... उसी सीट पर शिवराज को इन दिनों जमकर प्रचार करना पड़ रहा है... चुनावी सभाएं लेना पड़ रही है... जनसंवाद करना पड़ रहा है.….. और लोगों के बीच जाना पड़ रहा है.... इसकी वजह जान लीजिए दरअसल बुधनी सीट शिवराज का गढ़ कहीं जाती है शिवराज मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर बड़े अंतर से चुनाव जीतते रहे हैं लेकिन सांसद बनने के बाद शिवराज वाली सीट पर पार्टी बुजुर्ग रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया है...भार्गव के नाम के ऐलान के साथ बीजेपी में विरोध के सुर खड़े हो गए बीजेपी के ही पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत के समर्थकों ने भार्गव के नाम का विरोध किया। बदले माहौल में पार्टी भांप भाई की अब की बार बुधनी का उपचुनाव आसान नहीं है और यही वजह है की शिवराज खुद कहते हुए नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री रहते हुए वह प्रचार के लिए नहीं आए उन्हें जनता भगा देती थी। लेकिन अब उन्हें रमाकांत भार्गव के लिए प्रचार करना पड़ रहा है तो वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी चुनावी सभा में कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि इस सीट पर शिवराज की प्रतिष्ठा लगी है।
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कांग्रेस की रणनीति क्या
लेकिन अब बीजेपी की बड़ी धड़कनों के पीछे की दूसरी वजह को भी समझ लीजिए। पार्टी के अंदर प्रत्याशी रमाकांत को लेकर विरोध है तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक राजकुमार पटेल को प्रत्याशी बनाकर जातिगत वोटो के साथ किसानों को साधने की कवायद तेज कर दी है खुद दिग्विजय सिंह राजकुमार पटेल के लिए प्रचार कर रहे हैं.कांग्रेस प्रत्याशी के साथ दिग्विजय सिंह किसानों के बीच पहुंचे और खाद वितरण की व्यवस्था को देखा.... दिग्विजय ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा भी की...प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी बुधनी विधानसभा सीट के मतदाताओं को रिझाने के लिए चाय बनाते हुए नजर आ रहे हैं........सिर्फ इतना ही नहीं जीतू पटवारी बुधनी के मतदाताओं को यह भी बता रहे हैं कि अब तक शिवराज मुख्यमंत्री थे इसलिए बुधनी की जनता उन्हें वोट देती थी अब समय कांग्रेस का है।
बुदनी उपचुनाव का इतिहास
ब हम आपको बता दें की बुधनी विधानसभा सीट पर अब तक तीन बार उपचुनाव हुए हैं और यह तीनों उपचुनाव की वजह शिवराज रहे हैं अटल बिहारी वाजपेई के विदिशा सीट से इस्तीफा देने के बाद बुधनी छोड़ शिवराज ने विदिशा लोकसभा का चुनाव लड़ा। 2005 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने पर 2006 में बुधनी सीट से उपचुनाव लड़ा। 2023 में बुधनी से चुनाव जीते लेकिन फिर सांसद बने और इसी वजह से उपचुनाव हो रहा है। इन तीनों उपचुनाव में बीजेपी को जीत हासिल हुई थी लेकिन इस बार के उपचुनाव पर सब की नजरे है कि क्या शिवराज का जादू बरकरार रहता है या फिर मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद शिवराज के गढ़ में कांग्रेस सेंध लगा पाती है।