मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव: दमोह सीट पर भाजपा के राहुल लोधी का मुकाबला कांग्रेस के अजय टंडन से, 17 अप्रैल का मतदान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 28, 2021 03:52 PM2021-03-28T15:52:42+5:302021-03-28T21:39:25+5:30
Madhya Pradesh Assembly by-election: 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भाजपा 19 सीटों पर विजयी रही थी जबकि कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली थी.
Madhya Pradesh Assembly by-election:मध्य प्रदेश में पिछले साल 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद 17 अप्रैल को एक मात्र दामोह सीट पर उपचुनाव होगा.
इसके लिए भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए राहुल लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने अजय टंडन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. भाजपा ने राहुल लोधी को दमोह विधानसभा उपचुनाव के लिए अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार अजय टंडन अपना नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं.
भाजपा के प्रत्याशी लोधी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में औपचारिक तौर पर 30 मार्च को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. हालांकि, भाजपा सूत्रों ने बताया कि लोधी ने शुभ मुहूर्त के तहत गुरुवार को ही अपना नामांकन पत्र जमा करा दिया है.
ज्ञात हो कि गत वर्ष अक्तूबर में राहुल लोधी के कांग्रेस पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने से दमोह विधानसभा की सीट खाली हुई थी, इसलिए यहां उपचुनाव कराना पड़ रहा है. चुनाव आयोग ने गत 16 मार्च को दमोह विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा की. इसके तहत 17 अप्रैल को मतदान तथा 2 मई को मतगणना होगी.
मुकाबला दिलचस्प होगा: दमोह विधानसभा का उपचुनाव दिलचस्प होगा क्योंकि कांग्रेस के टंडन इससे पहले दो बार भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के खिलाफ यहां से विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. पार्टी सूत्रों ने बताया कि मलैया दमोह सीट से वर्ष 1990 से 2013 तक लगातार छह बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं.
हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में मलैया कांग्रेस के राहुल लोधी से मात्र 798 मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे. अब उपचुनाव में लोधी, मलैया के स्थान पर भाजपा के उम्मीदवार हैं. पिछले वर्ष मार्च में 25 विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे जबकि तीन विधायकों का निधन हो गया था.
इसकी वजह से मध्य प्रदेश विधानसभा की कुल 28 रिक्त सीटों पर पिछले साल उपचुनाव कराए गए थे. कांग्रेस छोड़ने वाले अधिकांश विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक थे जो सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए थे. 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भाजपा 19 सीटों पर विजयी रही थी जबकि कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली थी.