लोकमत एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: राहुल गांधी को विश्वास, नरेंद्र मोदी को नहीं मिलेगा तख्त-ओ-ताज

By शीलेष शर्मा | Published: April 27, 2019 07:03 AM2019-04-27T07:03:41+5:302019-04-27T07:41:16+5:30

लोकसभा चुनाव 2019: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकमत के साथ लोकसभा चुनाव से जुड़े कई मुद्दों पर खास बातचीत की है। पढ़िए लोकमत के वरिष्ठ पत्रकार शीलेष शर्मा के साथ राहुल गांधी के विशेष साक्षात्कार के प्रमुख अंश...

Lokmat News exclusive congress president rahul gandhi exclusive interview by Shilesh Sharma | लोकमत एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: राहुल गांधी को विश्वास, नरेंद्र मोदी को नहीं मिलेगा तख्त-ओ-ताज

Lok sabha election 2019: congress president rahul gandhi

Highlightsलोकसभा चुनाव से जुड़े मुद्दों पर राहुल गांधी ने लोकमत के साथ विशेष बातचीत की राहुल गांधी ने जीएसटी, नोटबंदी, किसानों की समस्या, काश्मीर संकट, सांप्रदायिकता, राफेल विमान सौदे से लेकर तमाम मुद्दों पर सवालों के बेबाकी से उत्तर दिएराहुल गांधी ने कहा कि 2019 के नतीजे सकारात्मक आएंगे और केंद्र में अगली सरकार यूपीए की ही आएगी.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को विश्वास है कि लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे सकारात्मक आएंगे और केंद्र में अगली सरकार संप्रग (यूपीए) की ही आएगी. 'लोकमत समाचार' से विशेष साक्षात्कार में राहुल गांधी ने जीएसटी, नोटबंदी, किसानों की समस्या, काश्मीर संकट, सांप्रदायिकता, राफेल विमान सौदे से लेकर तमाम मुद्दों पर सवालों के बेबाकी से उत्तर दिए. प्रस्तुत हैं लोकमत समूह के प्रतिनिधि शीलेश शर्मा से उनकी बातचीत के चुनिंदा अंश...

क्या आपको लगता है कि मोदी फिर से सत्ता पर काबिज होने जा रहे हैं? 

देखिए मैं कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष हूं, मैं कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को देश में फैलाना चाहता हूं. मेरी प्राथमिकता है कि देश में प्यार-भाईचारे की भावना हो, जो मौजूद है, लेकिन मुझे उसको बढ़ाना है. चुनाव में कितनी सीटें आएंगी, मैं यह नहीं बता सकता क्योंकि मैं ज्योतिषी नहीं हूं, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि नरेंद्र मोदी और भाजपा की सरकार नहीं बनेगी. सरकार यूपीए बनाएगी. 

आप मोदी जी का चेहरा देखेंगे तो साफ दिख जाएगा कि वो तनाव में है, डिस्टर्ब हैं और परिणाम की दिशा क्या होने जा रही है. जहां भी जाता हूं, मेरा सवाल होता है कि क्या इलेक्शन बेहतर हो रहा है, स्थिर है या खराब हो रहा है. हर जगह मेरे लोग मुझे बता रहे हैं कि बेहतर हो रहा है. कांग्रेस ऊपर जा रही है और भाजपा नीचे आ रही है. अब कितनी सीटें आएंगी, मुझे नहीं मालूम. 

न्याय योजना से देश के राजस्व पर इस योजना से कितना भार पड़ेगा और भरपाई कहां से होगी? 

हमारा अनुमान है कि इस योजना से देश के राजस्व पर 3.6 लाख करोड़ रु. का बोझ पड़ेगा जो हमारी जीडीपी का पहले साल में एक फीसदी से भी कम है और दूसरे साल के बाद दो फीसदी से भी कम का बोझ पड़ेगा. जैसे-जैसे यह योजना परवान चढ़ेगी जीडीपी पर इसका बोझ कम होता चला जाएगा क्योंकि हर साल गरीबों की संख्या योजना लागू होते ही कम होनी शुरू हो जाएगी. 

इसको सुनिश्चित करने के लिए हमने बार-बार ना केवल इसका अध्ययन किया बल्कि इसकी जांच पड़ताल भी की ताकि यह सुनिश्चित को हो सके कि योजना लागू करते समय कोई कमी न रह जाए. 

क्या आप इसका बोझ आयकरदाताओं पर डालेंगे?

मैं आयकरदाताओं को दो टूक बता देना चाहता हूं कि हम ना केवल आयकर बल्कि किसी भी कर में इस योजना को धन जुटाने के लिए ना तो कोई वृद्धि करेंगे और ना ही कोई अतिरिक्त कर लगाएंगे. 

ईवीएम को लेकर आशंकाओं के बीच इसकी निष्पक्षता पर आप क्या कहेंगे?

क्या आपने नोटिस किया है कि जहां-जहां ईवीएम में खराबी की शिकायतें आई हैं, शिकायतों में एक ही बात उठ रही है कि किसी भी पार्टी को वोट दो वह वोट ईवीएम के जरिए भाजपा को जा रहा है. अब तक सैंकड़ों ईवीएम खराबी की शिकायतें बूथों से मिली है, यह किसी एक जगह की बात नहीं पूरे देश का यही हाल है. और यह वास्तविकता है. 

मैं मानता हूं कि जब इतने लोग ईवीएम की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे है तो इसका मतलब साफ है कि कहीं न कहीं वास्तव में कोई समस्या है. मुझे लगता है कि इसका एक गंभीर प्रभाव इस बात पर पड़ रहा है कि लोग वोट डालें और कैसे डालें ताकि उनका वोट जहां वो डालना चाहते हैं, वहीं पहुंचे. 

आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी? 

हमारा पूरा जोर रोजगार पैदा करने, किसानों की समस्याओं का निदान निकालने, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ-साथ महिलाओं के सशक्त बनाने पर होगा. ये 'न्याय' योजना द्वारा किया जाएगा. जीएसटी में बदलाव कर सरल करना, किसानों के लिए अलग कृषि बजट, सरकारी विभागों में खाली पड़े 24 लाख पदों को भरना और महिला आरक्षण विधेयक को पास करवाना भी हमारी शीर्ष प्राथमिकताएं हैं.

'न्याय' योजना केवल केंद्र की योजना है या राज्यों की भी भागीदारी है. जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें नहीं हैं, वहां इस योजना को कैसे लागू कराएंगे? 

हम लंबे समय से इस मुद्दे को लेकर आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों से चर्चा कर रहे थे. मुझे लगता है कि यह न्याय योजना मील का पत्थर साबित होगी जिसके तहत देश के सबसे गरीब बीस फीसदी लोगों को जिसमें लगभग पांच करोड़ परिवार आएंगे, हर वर्ष 72000 रुपए उनके सीधे खाते में जाएंगे. मेरा स्पष्ट मानना है कि न्याय कांग्रेस पार्टी का गरीबी पर अंतिम प्रहार है. 

आप लोगों की जेब में पैसा डालिए, लोग उसके इस्तेमाल करेंगे, सामान खरीदेंगे. नतीजा होगा कि उत्पादकों को अपना उत्पादन बढ़ाना पड़ेगा और यहीं से होगी मजबूत आर्थिक चक्र की शुरुआत. पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री मोदी ने क्या किया, उन्होंने अपनी गलत नीतियों से लोगों के जेब से पैसा निकाल लिया. 

मसलन नोटबंदी, गब्बर सिंह टैक्स. इससे फॉर्मल सेक्टर को चोट लगी. हम इस न्याय योजना के जरिए दो तरीकों से काम करेंगे. पहला कि हम व्यक्ति को न्यूनतम आय की गारंटी देंगे, जो मैं कह चुका हूं. दूसरा अर्थव्यवस्था को नये ढंग से व्यवस्थित करेंगे. हम इसे उस जीएसटी की तरह लागू नहीं करेंगे, जो मोदी सरकार ने किया. 

शुरु में हम यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रुप में चलाएंगे ताकि यदि कोई अवरोध आते हैं तो उसकी पहचान की जा सके. फिर उसके बाद इसे पूरे देश में लागू करेंगे और गरीबों की पहचान कर उनको आर्थिक रुप से मजबूत बनाएंगे और धीमे-धीमे जब हम आश्वस्त हो जाएंगे तो देशभर को इसका लाभ मिलने लगेगा. हमारा भरोसा है कि 2030 तक हम न्याय योजना के जरिए से देश की गरीबी को खत्म कर देंगे. 

मैं यह साफ कर दूं कि यह पैसा हम उन लोगों से लाएंगे, जिन चोर उद्योगपतियों को मोदी ने दिया है और उसको इस योजना में लगाएंगे. दस साल के यूपीए के शासन में हमने 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और अब हम गरीबी को जड़ से मुक्त करना चाहते हैं. हमारे पास जो आंकड़े हैं, उसके अनुसार 25 करोड़ लोग आज भी गरीबी की मार झेल रहे हैं. नोटबंदी और गब्बर सिंह टैक्स के जरिए मोदी ने लोगों को ओर गरीब बना दिया है. 

प्रधानमंत्री मोदी बालाकोट, पुलवामा के शहीदों के नाम पर वोट मांग रहे हैं, आप एक प्रधानमंत्री से ऐसे बयान को कैसे देखते हैं? 

मुझे लगता है कि यह सबसे घटिया स्तर का काम है जो कोई प्रधानमंत्री कर सकते हैं. यह दिखाता है कि संवेदनशीलता ऐसे व्यक्तियों में शून्य हो चुकी है. हमारी सेना राजनीति से ऊपर और परे है. उन्हें सम्मान देने की आवश्यकता है ना कि राजनीतिक भाषणों में घसीटने की. 

दरअसल जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनका मकसद किसी व्यक्ति या दल के लिए वोट बंटोरना और सत्ता पर काबिज होना उद्देश्य है. आपने स्वयं देखा कि पुलवामा और बालाकोट की घटना के बाद समूचा विपक्ष एकजुट था और सरकार के साथ खड़ा था. आखिर क्यों? केवल इस कारण कि कुछ बातें राजनीति से ऊपर होती हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी ने क्या किया. उन्होंने इस हमले को राजनीतिक रंग दिया और विपक्ष पर हमला करने के लिए हथियार बनाया. 

हमारे जवान जो हमारे भाई हैं, पुलवामा में शहीद हुए, दूसरी ओर हमारे अपने जवानों ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की क्या इसलिए ताकि उसका श्रेय ये लोग लें. मोदी यह गलत कर रहे हैं कि वो सेना के श्रेय को छीन कर अपने लिए वोट बटोरने का साधन बना रहे हैं. 

क्या आपको लगता है कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल साथ लड़ते तो भाजपा को रोकने में सहायता मिलती? 

मेरा स्पष्ट मानना है कि कांग्रेस -सपा-बसपा और आरएलडी अगर सभी दल एकसाथ मिल जाते तो भाजपा उत्तर प्रदेश में पूरी तरह धराशायी हो जाती. बावजूद इसके मेरा आज भी मानना है कि हम सभी धर्मनिरेपक्ष पार्टियां उत्तर प्रदेश में चुनाव जीत रही हैं.समूचे विपक्ष में यह सहमति बनी थी कि हमें किसी तरह देशभर में भाजपा को पराजित करना है. 

विपक्ष मजबूत उम्मीदवार उतारकर भाजपा को गिराने की कोशिश में है. सपा और बसपा को संभवत: लगा होगा कि केवल वे दोनों मिलकर भाजपा को पराजित कर सकते हैं. अब देखिए कि क्या होता है. 

बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार तीन राज्य ऐसे हैं, जहां यदि आपने भाजपा को रोक दिया तो भाजपा केंद्र में सत्ता से दूर हो जाएगी. क्या आप भी ऐसा मानते हैं? 

पूरे देश में और प्रत्येक राज्य में आज लोग मोदी और भाजपा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. देश के लोग मोदी और भाजपा को सबक सिखाएंगे, जो 23 मई को चुनाव परिणामों से साबित हो जाएगा. 

 क्या नोटबंदी एक घोटाला था? 

मोदी सरकार और भाजपा की भूमिका को आप कैसे देखते हैं? नोटबंदी देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है. भाजपा इसे अपनी सफलता बता रही है, लेकिन सच क्या है देश के लाखों गरीब लोगों ने अपनी जीवनभर की बचत मिनटों में गंवा दी, छोटे उद्योग धराशायी हो गए, हजारों लोगों के रोजगार चले गए. जो आंकड़े मिल रहे हैं उसके अनुसार नोटबंदी के बाद 50 लाख लोगों ने अपना रोजगार खोया है, हमारी विकास दर में गिरावट आई है. 

99 फीसदी 500 और 1000 के नोट रिजर्व बैंक में वापस आ गए. मैं पूछता हूं कि कौन सा काला धन समाप्त हुआ? इसके लिए सरकार ने क्या सोच कर योजना बनाई थी. मुझे तो लगता है कि शायद मोदी सुबह सोकर उठे होंगे और बस फैसला ले लिया, बिना आरबीआई से मशविरा किए कि देश में नोटबंदी लागू कर दी जाए. 

नोटबंदी की विफलता के कारण ही हमने फैसला लिया कि राहत देने के लिए हम न्याय योजना लाएंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी के जरिए लोगों से जो छीना है, हम न्याय के जरिए उन लोगों को उसकी भरपाई करेंगे. 

चुनाव प्रचार अभियान में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा पार्टी के दूसरे नेता नजर नहीं आ रहे हैं, क्या कोई विशेष कारण? 

यह बिल्कुल सही नहीं है हमारे सभी नेता देशभर में सड़कों पर हैं और प्रचार कर रहे हैं. आप स्वयं जाकर देखिए राजस्थान, पंजाब, कर्नाटक, सब जगह हमारे नेता मिलेंगे. हम भाजपा की तरह काम नहीं करते. जहां उनके सभी नेता केवल मोदी पर निर्भर हैं और मोदी लहर को ही पार्टी की जीत का आधार मान रहे हैं. 

पिछले चुनावों में कांग्रेस, समाचार पत्रों और दूसरे संचार माध्यमों के जरिए जिस तरह का प्रचार कर रही थी, 2019 के चुनाव में वह नजर नहीं आ रहा, क्या कहेंगे आप? 

चुनाव में यह वास्तव में जरूरी है कि आप अपने पार्टी के घोषणा पत्र और अपनी सोच को प्रचारित करें, ताकि प्रत्येक मतदाता को मतदान से पहले इस बात का अहसास हो कि राजनीतिक दल की सोच क्या है और वह क्या करना चाहता है.

हमारा मानना है कि यह एक सकारात्मक प्रचार है. हम भाजपा की तरह नहीं जो हजारों करोड़ रुपए केवल मोदी के प्रचार पर खर्च कर रही है. क्या आपने उनका घोषणा पत्र देखा है? उनके घोषणा पत्र में ऐसा कुछ नहीं है जिससे देश के बदलाव और पुनर्निर्माण की झलक मिलती हो. हम कौन होते हैं कि हम भाजपा को हजारो-करोड़ खर्च करने से रोके. 

ईरान से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने पाबंदी लगाई है और धमकी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया तो अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाएगा. मोदी सरकार की कूटनीति को इस संदर्भ में आप कैसे देखते हैं? 

मोदी के नेतृत्व और उनकी सरकार में यह बात पूरी तरह से गायब है कि देश के हितों की सुरक्षा कैसे हो. हम दूसरे मुल्कों से बेहतर रिश्ते कैसे बनाएं. हम कूटनीति के जरिए ठोस विचारों के साथ रिश्तों को कायम करें, लेकिन यह सरकार इन मापदंडों पर कहीं खरी नजर नहीं आती. 

हमारी समझ में नहीं आता कि सरकार की विदेश नीति क्या है, लगता है कि मोदी की कूटनीति का मतलब केवल इतना है कि दुनिया के नेताओं को गले लगाओ, उनके जन्मदिन की बधाईयों दो और उनके साथ चाय पियो. चीन और पाकिस्तान के साथ आज हमारे कैसे रिश्ते हैं? पड़ोसी देशों के साथ हमारे रिश्ते कहां पहुंच गए हैं? जो गिरावट दिख रही है क्या यही मोदी की कूटनीति है? 

आपके मेनिफेस्टो में मीडिया क्रॉस फोल्डिंग का जिक्र किया गया है, क्या ये भी मीडिया को एक तरह से कंट्रोल करने का तरीका है या क्या है आपके नजरिए से?

जो भी हम करेंगे बातचीत के बाद करेंगे. हम मतलब ऊपर से नहीं करेंगे, प्यार से बातचीत करके, ये हमारी अप्रोच है. जिस प्रकार से नरेंद्र मोदी जी ने मीडिया को कुचला है, दबाया है, ये तो आपने अनुभव किया होगा कि कांग्रेस पार्टी के वक्त आप जो भी बोलना चाहते थे, शायद आपने हमारे बारे में गलत भी लिखा हो, लेकिन हम ने आप पर या मीडिया आक्रमण नहीं किया. 

आरएसएस के साथ आपके क्या इश्यू हैं? 

मेरी समस्या संघ और भाजपा को लेकर केवल इतनी है कि वे हिंसा में यकीन करते हैं. वे लोगों में नफरत भरते हैं. वे लोगों की आवाज को दबाते हैं. यदि आरएसएस अहिंसक, शांतपूर्ण, मोहब्बत और स्नेह से अपने विचारों को आगे रखे तो मुझे संघ से कोई परहेज नहीं. 

किसानों की जो बदहाली है और आपने जो किसानों की रक्षा करने की बात की उसके लिए कोई ठोस योजना आपने तैयार की है? 

दो-तीन प्रपोजल्स हैं. हमारी अप्रोच है कि सबसे पहले किसानों से बातचीत शुरू करना. इस सरकार ने किसानों की आवाज नहीं सुनी. सबसे पहला कदम कांफिडेंस बिल्डिंग है कि हम आपके साथ खड़े हैं हम आपका हाथ पकड़ेंगे और हम जानते हैं कि आप मुश्किल में है और हम आपके साथ आपके समस्या को हल करना चाहते हैं. क्योंकि हम जानते हैं कि आपके बिना देश नहीं चल सकता है. हम आपकी मदद करना चाहते हैं क्योंकि आपकी मदद का मतलब देश की मदद. 

मेनिफेस्टो में हमने लिखा है कि कर्जा नहीं लौटने पर हम किसान को जेल नहीं भेजेंगे. ऐतिहासिक काम है, यह विश्वास पैदा करने का. हमें एक प्रकार से किसान को बताना है कि देखिए आप हिंदुस्तान के लिए एयर फोर्स, आर्मी, नेवी जितने ही महत्वपूर्ण हैं. दूसरा कदम है योजनाबद्ध तरीके से फूड प्रोसेसिंग पर फोकस करने का. फैक्टरी को खेत के पास ले जाना है, खेत में तकनीकी को घुसाना है. 

जो हमारे किसान पैदा कर रहे हैं, उसको हिंदुस्तान के डाइनिंग टेबल और बड़े-बड़े देशों के डाइनिंग टेबल तक पहुंचाना है तो कोल्ड चेन बनाने की जरूरत है , स्टोरेज बनाने की जरूरत है, मगर पहला काम किसान को विश्वास देना है कि यह आप कर सकते हो. ग्रीन रिवॉल्यूशन क्या था? ग्रीन रिवॉल्यूशन किसानों को विश्वास देने की बात थी एक बार आपने हिंदुस्तान के किसानों का हाथ पकड़ लिया और विश्वास दे दिया वहीं चमत्कार हो जाएगा. 

किसानों के लिए अलग बजट होगा दो बजट होंगे एक नेशनल बजट एक किसान बजट और वो बजट बनेगा किसान से बातचीत करने के बाद उसमें किसानों का 1 साल का प्लान बनेगा इस साल में हम आपकी इतनी एमएसपी बढ़ाएंगे आपके इतने फूड प्रोसेसीग प्लांट्स लगेंगे आपको इतना मुआवजा मिलेगा कर्जा माफ होगा तो इतना कर्जा माफ होगा पूरा का पूरा हम ब्यौरा हम शुरूआत में देगे। दूसरी बात किसान के दिल से डर निकालना है.

मोदी सरकार ने हर साल 2 करोड़ रोजगार देने की बात की थी, लेकिन आज 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है. आप अगर सत्ता में आते हैं तो बेरोजगारी को खत्म करने के लिए क्या करेंगे?

मोदी जी ने अर्थव्यवस्था को 2-3 बड़े झटके दिए हैं नोटबंदी और जीएसटी के रूप में. नोटबंदी के जरिए सबकी जेब से पैसा निकाल लिया और उसे अनिल अंबानी, मेहुल चोकसी, नीरव जैसे लोगों की जेबों में डाल दिया. 

नोटबंदी और जीसटी का एक और इफेक्ट हुआ कि जो हमारे गांवों और शहरों के लोग हैं, दुकानदार हैं, जैसे ही उन्होंने (मोदी जी) इन लोगों की जेब से पैसा निकाल लिया तो लोगों ने माल खरीदना बंद कर दिया. इसके कारण चीजों की मांग में कमी आई तो फैक्टरियों को काम बंद करना पड़ा. मालिकों ने युवाओं से कहा कि आप जाइए,आपकी जरूरत नहीं है. 

इस सबका परिणाम हुआ कि भारत में बेरोजगारी और बढ़ गई. हम न्याय योजना लेकर आ रहे हैं, जिसका काम होगा अर्थव्यवस्था को रिमोनटाइज करने का. इसका मतलब है कि हम सिस्टम में पैसा डालेंगे, जिससे लोगों के पास पैसा आएगा तो वो वस्तुओं की खरीददारी करेंगे तो बाजार में मांग बढ़ेगी और फैक्टरियों में फिर से काम शुरू हो जाएगा तथा युवाओं को रोजगार मिलेगा. 

हमने मेनिफेस्टो बनाते समय लाखों लोगों से बात की. हमने उनसे पूछा कि बताइए क्या किया जा सकता है. उन्होंने हमें बताया कि हम एंटरप्रेन्योर्स है हम बिजनेस चालू करना चाहते हैं मगर जैसे ही आप बिजनेस चालू करते हैं पहला काम 10-15 सरकारी डिपार्टमेंट से परमिशन लेना. परमिशन लेने जाते हैं, वह आप जानते हो रिश्वत लेते हैं. इसके बारे में आप कुछ कीजिए मेनिफेस्टो में. 

हमने एक लाइन ऐतिहासिक लिख दी. युवा कोई भी बिजनेस खोलना चाहते हैं तो 3 साल के लिए आपको किसी सरकारी डिपार्टमेंट से कोई परमिशन लेने की जरूरत नहीं है. 3 साल बाद जब आपका बिजनेस बन जाएगा, 30-40 लोग जब आपके लिए काम करेंगे, आपने हिंदुस्तान की मदद की, तब आप जाकर परमिशन लीजिए. अगर आपका बिजनेस नहीं चला 3 साल के अंदर तो नो प्रॉब्लम कोई परमिशन की जरूरत नहीं. 

दूसरी बात , हमें एक युवा ने बताया कि मोदी सरकार ने अनिल अंबानी को 45,000 करोड़ रुपया दिया, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी 35000 करोड़ रुपया दिया, विजय माल्या को 10000 करोड़ रुपया. यह लोग भाग गए, इन्होंने कितने युवाओं को रोजगार दिया. नीरव मोदी ने 100-200 लोगों को रोजगार दिया होगा, 35000 करोड़ रुपए कमाए हिंदुस्तान के. 

युवा ने हमसे कहा, कि देखिए जो पैसा इन 10-15 क्रोनी कैपिटलिस्ट को दिया है, वह पैसा यह जो नए और एंटरप्रेन्योर्स बनेंगे, जो बिना परमिशन बिजनेस खोलेंगे इनको बैंक लोन की तरह दे दो. हमने कहा-मंजूर है, ठीक है, यही करेंगे. पूरा बैंकिंग सिस्टम इन बिजनेसमैन पर फोकस करेगा. 

कश्मीर के हालात बहुत खराब हैं और यूपीए सरकार के बाद से लगातार बिगड़ती जा रही है, आप अगर सत्ता में आते हैं, तो कश्मीर के लोगों के दिल जोड़ने और कश्मीर के हालात सुधारने के लिए आप करना चाहेंगे या मतलब आप किस तरह की सोच रखते हैं या आपकी क्या योजना है? 

देखिए हमने 2004 से 2014 तक जम्मू-कश्मीर पर रणनीतिक काम किया, टेक्टिकल काम नहीं. जुमलेबाजी नहीं, रणनीतिक काम क्योंकि हम पहचानते थे कि जम्मू-कश्मीर हिंदुस्तान के लिए बहुत जरूरी है. कैसे किया, लाखों महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बैंको से जोड़ा, मैं रतन टाटा जी, सबसे बड़े बिजनेसमैन को श्रीनगर ले जाता हूं. क्यों ले जाता हूं क्योंकि मैं दिखाना चाहता था कि ये हिंदुस्तान है. 

सक्सेसफुल इकानॉमी, रोजगार और विजन, पंचायती राज का चुनाव किया और उनमें आतंकवादियों की जगह बिल्कुल खत्म कर दी और जनता के साथ बातचीत शुरू की. आतंकवादियों पर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी. अगर आप आतंकवादी हैं और हिंदुस्तान के लोगों को मारेंगे तो जीरो टॉलरेंस. एक सेकंड भी टॉलरेंस नहीं. अगर आप जम्मू-कश्मीर की जनता हैं तो हम आपको जोड़ना चाहते हैं. 

नरेंद्र मोदी जी ने क्या किया, नरेंद्र मोदी जी ने राजनीतिक फायदे के लिए पीडीपी के साथ गठबंधन किया और जैसे ही नरेंद्र मोदी ने पीडीपी के साथ गठबंधन किया, नरेंद्र मोदीजी ने स्वयं आतंकवादियों के लिए जम्मू-कश्मीर के दरवाजे खोल दिए. 

अरुण जेटली जी से मैंने पर्सनली कहा, मेरे घर आए थे एक दिन, ये आप क्या कर रहे हो, आप हिंदुस्तान को भारी रणनीतिक नुकसान पहुंचा रहे हैं, ये आप मत कीजिए और उन्होंने मुझे कहा, आप जानते हैं कश्मीर में क्या हो रहा है. कहते हैं क्या हो रहा है मैंने कहा कश्मीर में आग लगने वाली है, उन्होंने कहा कोई आग नहीं लगने वाली है बिल्कुल शांतिपूर्ण स्थिति है. मैंने उनसे पूछा 'आपने कश्मीर में कितने लोगों से बात की है?'. 

मेरा कहना है कि पॉलिटिकल अवसारवाद ने कश्मीर को बहुत नुकसान पहुंचाया है. इसके विपरीत हमारी 2004 से 2014 की पॉलिसी सफल थी. आपने स्वयं कहा कि 2014 में आतंकवाद खत्म हो गया था. 50 फ्लाइट जाती थी श्रीनगर. काम किया जा सकता है मगर देखिए सोच समझ के, प्लानिंग के साथ, बिना ड्रामा किए, बंद कमरों में व्यवस्थित ढंग से काम किया जाता है. नरेंद्र मोदी व्यवस्थित ढंग से कुछ नहीं करते.नोटबंदी रात में 8 बजे बिना किसी से पूछे, गब्बर सिंह टैक्स रात में 12 बजे को बिना समझे. 

हम ने उनसे कहा देखिए पायलट प्रोजेक्ट चलाइए, प्लीज पायलेट प्रोजेक्ट चलाइए, हिंदुस्तान का नुकसान होगा. बात भाजपा या कांग्रेस की नहीं है. उन्होंने हमसे कहा हम नहीं करेंगे, 12 बजे रात को कर दिया. 

आपने राइट टू फूड दिया, राइट टू इन्फॉर्मेशन दी और ऐसे तमाम फैसले किए. क्या आपको लगता है कि न्यायपालिका में जवाबदेही की जरूरत है? 

देखिए, नरेंद्र मोदीजी ने हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार, हिंदुस्तान के संस्थानों पर आक्रमण किया. न्यायपालिका पर आक्रमण किया, इलेक्शन कमिशन पर आक्रमण किया, नौकरशाही पर आक्रमण किया, प्लानिंग कमिशन पर आक्रमण. ये जो संस्थाएं हैं, ये हिंदुस्तान के संविधान की झलक है .

ये संविधान से निकलते हैं और यही हिंदुस्तान है. तो हमारा काम होगा कि हम जैसे ही सत्ता में आएंगे इन संस्थाओं की स्वतंत्रता, जैसे -न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता, इलेक्शन कमिशन, प्लानिंग कमिशन, इनकी स्वतंत्रता और स्वायत्तता इनको दे देंगे. 

आज जो इलेक्शन कमिशन की भूमिका बनी हुई है क्या कहेंगे आप? 

देखिए, आप जानते ही हैं क्या हो रहा है. 

पूरे देश को दो हिस्सों में बांट दिया है हिंदू मुसलमान के नाम पर?

नहीं, ये सब सतही बातें हैं. सच बात तो यह है कि इस देश को दो हिस्सों में बांटा दिया गया है, जिसमें एक तरफ 15-20 सबसे अमीर लोग -अनिल अंबानी, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे लोग और दूसरी तरफ बाकी देश. देश के दो भाग हुए हैं, लेकिन बांटा इस प्रकार से गया है और इसका लॉजिक है, लॉजिक ये है कि यही 15-20 लोग लाखों करोड़ों रुपए हिंदुस्तान से लेते हैं और और इनके नेता नरेंद्र मोदीजी हैं. 

आपने कभी मेरी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, अनिल अंबानी के साथ गले मिलते हुए पिक्चर देखी है. मगर प्रधानमंत्री जी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या, अनिल अंबानी से गले मिलते हैं. कोई ना कोई रिश्ता तो है. 

राफेल को लेकर आपने पूरे देश के अंदर माहौल बनाया हुआ है लेकिन जो भी विपक्षी दल हैं उन्होंने उस ताकत से राफेल के मुद्दे को नहीं उठाया, क्या कारण है?

देखिए हर व्यक्ति का एक व्यू पॉइंट होता है, मजबूरी होती है. ये नहीं है कि विपक्षी नेताओं ने राफेल नहीं उठाया है, मगर मैं ज्यादा उठाता हूं. तो क्या नरेंद्र मोदीजी मुझे प्रेशर करने की कोशिश करते हैं, नहीं करते. मैं उनसे डरता नहीं हूं, मैं सच्चाई का सिपाही हूं, राफेल में चोरी हुई है क्लियर कट है. 

डिफेंस मिनिस्ट्री के लोगों ने कहा है, डिफेंस मिनिस्ट्री के डॉक्युमेंट में लिखा है कि नरेंद्र मोदी ने पैरेलल मोल भाव किया है, फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा है कि उन्होंने पर्सनली नरेंद्र मोदीजी से बात की, नरेंद्र मोदीजी ने उन्हें ये बोला कि अनिल अंबानी को कांट्रेक्ट देना है. 1600 करोड़ रुपए में खरीदा जाएगा, हिंदुस्तान में नहीं बनेगा. क्लियर कट है अगर आप प्रोसीजर भी देखें. 

देखिए पर्रिकरजी ने भी कहा कि मैं दूसरे कांट्रेक्ट के बारे में नहीं जानता हूँ. जानते थे कि एक दिन इस पर जांच होगी. जब जांच होगी, दो लोगों के नाम निकलेंगे, अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी. 

दिल्ली में आपने उम्मीदवार घोषित कर दिए, आम आदमी पार्टी ने भी. आपको नहीं लगता कि अगर समझौता होता दोनों के बीच में तो भाजपा को बेहतर टक्कर दे सकते थे? 

मैंने साफ बोला कि मैं समझौता करना चाहता हूं, कांग्रेस पार्टी के नेता थे वो खिलाफ थे मगर मैंने उनको बात ना मानते हुए शुरूआत में बातचीत की. 4 सीट आप को और 3 सीट कांग्रेस को, वो मंजूर था. जैसे ही मैंने हां बोला, गठबंधन को हां बोला, वहां पर केजरीवाल जी ने हरियाणा की बात उठानी शुरू कर दी. गोवा की बात उठानी शुरू कर दी तो नहीं हो पाया.  

आपने वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला किया है लेकिन भाजपा इसे आपकी कमजोरी और अमेठी से हारने का डर बता रही है? आप इस भ्रांति को कैसे तोड़ेंगे? 

अमेठी के लोग जानते है कि मैं उनके साथ हूं कहीं कोई भ्रम नहीं है. मैं आभारी हूं अपने अमेठी के लोगों के प्रति कि वे मुझे हमेशा प्यार, स्नेह और सहयोग वर्षों से दे रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी और संघ देश को विभाजित करना चाहता है इसीलिए मैंने केरल से चुनाव लड़ने का फैसला किया. दक्षिण भारत में वायनाड से चुनाव लड़ने का मतलब देश को स्पष्ट संकेत देना है कि पूरा देश एक है, और एकजुट है. ताकि दक्षिण भारत के लोग यह महसूस कर सकें. 

दक्षिण भारत के लोग महसूस करते है कि केंद्र की मोदी सरकार भाजपा और संघ उनकी संस्कृति उनकी भाषा पर आक्रामक कर रहे है. मैं लोगों की भावनाओं को भली-भांति जानता हूं इसलिए मेरी कोशिश होगी कि वायनाड से चुनाव लड़कर दक्षिण भारत के लोगों में यह विश्वास दिलाऊ कि उनके प्रति भी लोगोंके दिलों में सम्मान है और लोगों उनको उतना ही पसंद करते है जितना उत्तर भारत के लोगों को. 

तीन चरण के चुनाव संपन्न हो चुके हैं, आप कांग्रेस के लिए इन तीन चरणों में कितनी सीटों की उम्मीद कर रहे हैं?

मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं और मेरा भरोसा है कि सकारात्मक परिणाम आने वाले हैं, क्योंकि देश भाजपा से निराश हो चुका है और अब बदलाव चाहता है. संख्याबल की बात छोडि़ए, लोगों के मूड को पहचानिए आज पूरे देश में बदलाव का माहौल साफ नजर आ रहा है. इसके तीन कारण है एक बेरोजगारी जो आज अपने चरम पर है, नौजवान परेशान है, उत्तेजित है लेकिन दुर्भाग्य कि नरेंद्र मोदी रोजगार को लेकर कोई चर्चा भी नहीं कर रहे. 

कांग्रेस के लिए युवाओं का रोजगार उसकी बड़ी और पहली प्राथमिकता है. दूसरा खेती और किसान आज संकट में है. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री मोदी बेफिक्र हैं, वे मानते ही नहीं कि ऐसा कोई संकट है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, कर्नाटक में कांग्रेस ने अपनी गंभीर सोच का परिचय दिया है. हमने 72 घंटों में किसानों के ऋण माफ किए. तीसरा मुद्दा हम सब के चारों ओर फैला भ्रष्टाचार है. मैं खासतौर से राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की बात कर रहा हूं. जिसकी डोर सीधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर जाती है.

मोदी और भाजपा के नेता चुनाव के संवाद को ध्रुवीकरण का हथियार बना रहे हैं, आप कैसे उसकी दिशा बदलेंगे? 

भाजपा की समूची राजनीति लोगों में घृणा और उन्हें बांटने पर आधारित है. वे एक समुदाय को दूसरे समुदाय से लड़ाने में विश्वास रखते हैं. इसीलिए वे लोगों को विकास देने में विफल हुए हैं. वे आज उसी रास्ते पर चल रहे हैं जिसको वो जानते हैं और जो उन्होंने सीखा है. भय और क्रोध मानवता के सबसे बड़े दुश्मन हैं. 

हमारे पास एक ही रास्ता है कि हम इसका विरोध करें, इसके खिलाफ खड़े हों. इसके लिए देश के हर नागरिक को खड़ा होना होगा. क्योंकि देश के लोग जानते है कि उनकी आवाज़ कांग्रेस के माध्यम से हुंकार भरती है. कांग्रेस सभी धर्मों, भाषाओं, संस्कृति में यकीन रखने वाली पार्टी है और वह अंतिम क्षणों तक उस सोच के खिलाफ लड़ेगी जो लोगों में भय, क्रोध और बिखराव पैदा करना चाहती है. 

भाजपा के नेता आप पर और प्रियंका जी पर निम्न स्तर की टिप्पणियां कर रहे हैं, आप कुछ कहना चाहेंगे? 

जब से मोदी और भाजपा सत्ता में आए हैं, देश में राजनीतिक संवाद का स्तर अपने सबसे नीचे पायदान पर पहुंच गया है. भाजपा के नेता अपने बड़े नेताओं से सीख ले रहे है क्योंकि लगातार व्यक्तिगत हमले विपक्ष पर हो रहे हैं. मेरे पास ऐसा कोई रास्ता नहीं जिससे मैं अपने ऊपर हो रहे हमलों को लेकर भाजपा और मोदी पर रोक लगा सकूं. मैं इतना ही कर सकता हूं कि मैं अपनी तरफ से केवल उन पर उनकी नीतियों को लेकर हमला करुं और व्यक्तिगत हमलों से अपने को दूर रखूं.

English summary :
Lokmat News has given special talks to Congress President Rahul Gandhi. Rahul Gandhi has expanded his point on all issues related to the Lok Sabha elections.


Web Title: Lokmat News exclusive congress president rahul gandhi exclusive interview by Shilesh Sharma