Mahila Aarakshan Bill: महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पारित हुआ जिसमें महिलाओं को चुनाव लड़ने के लिए 33% का आरक्षण का प्रावधान है। सदन में बिल को लेकर पक्ष में 454 और खिलाफ में 2 मत डाले गए हैं।
इसके प्रावधानों के मुताबिक बिल के कानून बनने पर लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इन 181 सीटों में से 33 फ़ीसदी एससी-एसटी के लिए आरक्षित होंगी। यानी 181 में से एसटी-एससी कैटेगरी की 60 महिला सांसद होंगी। ये बिल सीधे जनता द्वारा चुने जाने वाले प्रतिनिधियों पर ही लागू होगा।
हालांकि महिला आरक्षण विधेयक भारत में परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही लागू हो सकता है। इसका मतलब यह है कि यह बिल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लागू नहीं किया जा सकता है। मौजूदा कानून के अनुसार, अगला परिसीमन साल 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के बाद ही किया जा सकता है। इसका प्रभावी अर्थ यह है कि विधेयक कम से कम 2027 तक कानून नहीं बन सकता है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि महिला कोटा 2029 के लोकसभा चुनाव तक लागू हो सकता है।
फिलहाल इस बिल में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है। इसे लेकर कई राजनीतिक दलों ने आपत्ति भी जताई। राहुल गांधी ने मांग की कि ये आरक्षण तत्काल लागू होना चाहिए और बिल में ओबीसी आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। राहुल ने कहा कि मैं इस बिल के समर्थन में खड़ा हूं।
महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "OBC आरक्षण, परिसीमन का मुद्दा या जनगणना को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, मैं सबका जवाब देता हूं। सबसे पहला जवाब विद्यमान संविधान में तीन तरह के सांसद आते हैं, जो सामान्य, SC और ST कैटेगरी से आते हैं। ये तीनों कैटेगरी में हमने महिलाओं का 33% आरक्षण कर दिया है। अब एक तिहाई सीटों को आरक्षित करना है तो वह सीट कौन तय करेगा? हम करें? अगर वायनाड आरक्षित हो गया तो आप कहेंगे हमने राजनीति की है।"