Lok Sabha Elections: जानिए पटना साहिब सीट समीकरण, भाजपा अब तक लगा चुकी है हैट्रिक, क्या है इतिहास और क्यों है खास, 2019 में किसने मारी बाजी
By एस पी सिन्हा | Published: March 2, 2024 02:31 PM2024-03-02T14:31:49+5:302024-03-02T14:51:42+5:30
Lok Sabha Elections 2024: 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने कांग्रेस प्रत्याशी कुणाल सिंह को चुनावी मैदान में हराया था।
पटनाः लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर मंथन शुरू हो चुका है। राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए बूथ लेवल तक पार्टी संगठन को मजबूत करने में जुट गई है। लोकसभा सीटों के समीकरण पर भी चर्चा तेज हो गई है। इसी कड़ी में राजधानी पटना जिले में आने वाली हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट पटना साहिब का शुरू से ही राजनीतिक रूतबा रहा है। परिसीमन के बाद 2009 में हुए हुए लोकसभा चुनाव से ही इस पर भाजपा का कब्जा है। पहली बार यहां से भाजपा के प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी पार्टी के लिए जीत का परचम बुलंद किया था। उन्होंने राजद प्रत्याशी विजय यादव को मात दी थी। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी शेखर सुमन ने तीसरे नंबर पर जगह बनाई थी।
उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने कांग्रेस प्रत्याशी कुणाल सिंह को चुनावी मैदान में हराया था। पटना लोकसभा सीट से दो बार सांसद रहे शत्रुघ्न सिन्हा साल 2019 में भाजपा से किनारा कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा ने चुनावी दांव खेला, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया।
भाजपा उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद को छह लाख से ज्यादा वोट मिले थे
भाजपा ने पटना साहिब सीट से रविशंकर प्रसाद को चुनावी दंगल में उतारा और जनता के साथ ने सीट पर तीसरी बार भाजपा का 'कमल' खिलाया। इस तरह भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई। यहां के सियासी समीकरण की बात की जाए तो यह सीट कायस्थ बाहुल्य माना जाता है। यहां पर जातीय समीकरण में भाजपा के कोर वोटर सवर्ण, अतिपिछड़ा और दलित समुदाय के लोग माने जाते हैं।
गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसे पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में पटना जिले के छह विधानसभा क्षेत्र बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, फतुहा और पटना साहिब शामिल हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद को छह लाख से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं, करीबी प्रतिद्वंद्वी शत्रुघ्न सिन्हा को रविशंकर प्रसाद के मुकाबले आधे से कम यानी करीब तीन लाख वोट ही मिल पाए थे।
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की आबादी 6.12 प्रतिशत
इसलिए पटना साहिब सीट को भाजपा का अभेद्य गढ़ कहा जाता है। पटना साहिब लोकसभा सीट में कुल 21 लाख 42 हजार 842 वोटरों में पुरुष मतदाता 11,27,718 और महिला मतदाता 10,08,966 हैं। इनके अलावा थर्ड जेंडर के 116 और 20,878 पहली बार के मतदाता हैं। सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली वाले इस लोकसभा क्षेत्र में कायस्थ जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
यही कारण है कि इस सीट से कायस्थ जाति के ही सांसद लोकसभा पहुंचे हैं। पटना साहिब सीट में कायस्थों की आबादी पांच लाख से भी ज्यादा है। इसके अलावा यादव, भूमिहार और राजपूत मतदाताओं की भी अच्छी खासी जनसंख्या है। पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की आबादी 6.12 प्रतिशत है।
लोकसभा चुनाव 2024 में जदयू-भाजपा के फिर से साथ आने के कारण राजनीतिक समीकरण पिछले चुनाव यानी 2019 की तरह ही है। बता दें कि पटना साहिब लोकसभा सीट गठन से पहले पटना लोकसभा सीट कांग्रेस, वामपंथ और समाजवाद का मजबूत गढ़ कहा जाता था, लेकिन पटना साहिब के गठन के बाद सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गया।
सीपीआई के रामावतार शास्त्री ने कांग्रेसियों से यह लोकसभा सीट छीन ली
पटना साहिब बनने से पहले पटना लोकसभा सीट के प्रथम सांसद कांग्रेस के सारंगधर सिन्हा थे। वह संविधान सभा के भी सदस्य रहे थे। 1962 में कांग्रेस की नेता रामदुलारी सिन्हा इस लोकसभा क्षेत्र की पहली महिला सांसद बनीं। वह बाद में केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल भी बनीं। इसके बाद सीपीआई के रामावतार शास्त्री ने कांग्रेसियों से यह लोकसभा सीट छीन ली।
तीन बार 1967, 1971 और 1980 में सीपीआई के रामावतार शास्त्री सांसद चुने गए। इंदिरा गांधी विरोधी लहर में साल 1977 में पटना से जनता पार्टी के महामाया प्रसाद सिन्हा ने समाजवाद का परचम लहराया। लोकसभा सांसद बनने से पहले वह एक साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके थे। 1984 के बाद यह समाजवादियों और भाजपा का गढ़ बन गया। इस पर जनता दल, राजद और भाजपा का बारी-बारी से कब्जा रहा। 1987 में भाजपा के प्रो. शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने कांग्रेस और वाम के किले को ध्वस्त कर दिया।
मशहूर राजनेता डॉ. सीपी ठाकुर ने एक बार कांग्रेस और दो बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। वहीं, रामकृपाल यादव 1993 और 1996 में जनता दल और 2004 में राजद के टिकट पर सांसद बने। डॉ. सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा और सांसद रविशंकर प्रसाद केंद्र में मंत्री रहे हैं।