बिहार में जीतन राम मांझी की पार्टी के टूटने के बाद कांग्रेस खेल सकती है ये बड़ा दांव

By एस पी सिन्हा | Published: February 8, 2019 08:03 PM2019-02-08T20:03:33+5:302019-02-08T20:03:33+5:30

बीते 6 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा में अचानक भगदड़ मच गई. पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने पार्टी से इस्तीफा दिया, फिर प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने पार्टी को बाय-बाय कह दिया.

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बिहार में जीतन राम मांझी की पार्टी के टूटने के बाद कांग्रेस खेल सकती है ये बड़ा दांव

बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम में टूट के बाद महागठबंधन में सियासी सरगर्मी भी तेज हो गई है. राजद ने भी दावा ठोक दिया है कि वह 20 से 22 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी. जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने छोटे दलों को राजद के सिंबल पर लडने के लिए अपील की है.

दूसरी ओर विश्वस्त सूत्रों से संकेत यह भी उभर रहे हैं कि कांग्रेस राजद से इतर भी अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है. जिसमें मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा जैसे नेताओं को शामिल किया जा सकता है. हालांकि अभी इसपर पुख्ता तौर पर कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन यह तय है कि मांझी की पार्टी के कमजोर होने से जहां उनकी नैया डूबने के कगार पर है वहीं महागठबंधन में दरार के संकेत स्पष्ट हैं और ये एनडीए के खुश होने का वक्त है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में मांझी की नैया किस गठबंधन के सहारे किनारे लगती है. 

उल्लेखनीय है कि बीते 6 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा में अचानक भगदड़ मच गई. पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने पार्टी से इस्तीफा दिया, फिर प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने पार्टी को बाय-बाय कह दिया. इतना ही नहीं आईटी सेल के अध्यक्ष राजेश गुप्ता और किसान सेल मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बेला यादव के साथ हम पार्टी के प्रदेश युवा अध्यक्ष सुभाष चंद्र वंशी ने भी पार्टी छोड़ दी है. 

वहीं मांझी की अनुपस्थिति में इस भगदड़ के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि महागठबंधन में मांझी को हाशिये पर धकेल दिया गया है और उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही है. ऐसे में तेजस्वी यादव के ममता बनर्जी के धरने के समर्थन के उलट मांझी ने ममता की आलोचना की. 

इतना ही नहीं सवर्ण आरक्षण पर भी पार्टी ने राजद से अलग स्टैंड रखा. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि मांझी की दावेदारी को कमजोर करने की ये एक एक कवायद हो सकती है. इसके संकेत तब भी मिले जब वृषिण पटेल ने साफ कह दिया कि वे महागठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे. दूसरी ओर ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि वे एनडीए में जा सकते हैं. 

हालांकि, उनका अब तक कोई बयान नहीं आया है, लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा है कि जीतनराम मांझी एनडीए में आ जाएं, यहां उनका स्वागत है. वे आ जाएं तो हम 40 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. बहरहाल, अब सभी की निगाहें जीतन राम मांझी के अगले कदम पर टिकी हुई है. 

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