लोकसभा चुनावः बीजेपी और सहयोगी संगठनों ने राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर फिलहाल चुप्पी साधी?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: February 28, 2019 12:47 PM2019-02-28T12:47:01+5:302019-02-28T12:47:01+5:30

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को, एक हिस्सा रामलला को और एक हिस्सा मूल मुस्लिम वादी को देने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति बोबडे का कहना था कि- हम दो समुदायों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं.

Lok Sabha elections: Is the BJP silent and silent on the issue of construction of Ram temple? | लोकसभा चुनावः बीजेपी और सहयोगी संगठनों ने राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर फिलहाल चुप्पी साधी?

लोकसभा चुनावः बीजेपी और सहयोगी संगठनों ने राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर फिलहाल चुप्पी साधी?

राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर बीजेपी और सहयोगी संगठनों ने चुप्पी साध ली है, क्योंकि इस मुद्दे पर पीएम मोदी सरकार तत्काल कोई करिश्मा करके नहीं दिखा सकती है और यदि चुनाव के दौरान यह मुद्दा गर्म रहा तो बीजेपी को नुकसान होगा?

इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने औपचारिक आदेश जारी करने की अगली सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी है, लेकिन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई के मुद्दे पर मध्यस्थता का सुझाव दिया है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को, एक हिस्सा रामलला को और एक हिस्सा मूल मुस्लिम वादी को देने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति बोबडे का कहना था कि- हम दो समुदायों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं. अदालत के रूप में हम केवल संपत्ति के मुद्दे का फैसला कर सकते हैं.

लोस चुनाव करीब आते जा रहे हैं और इसके साथ ही कई मुद्दे भी गर्मा रहे हैं. कई चुनावों की तरह इस बार भी राम मंदिर निर्माण का मुद्दा प्रमुख है, लेकिन इस बार बीजेपी राम मंदिर, रोजगार, गैस-पेट्रोल के रेट जैसे मुद्दों पर आक्रामक रूख नहीं दिखा पा रही है, इसके बजाय बीजेपी आतंकवाद के मुद्दे पर इसलिए फोकस है कि चुनाव से पूर्व पीएम मोदी सरकार इस पर वह कुछ कर दिखाने की स्थिति में है.

हालांकि, राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी की बेरूखी से रामभक्त साधु-संत खासे नाराज हैं, लेकिन बीजेपी इस वक्त, जैसे भी संभव हो, केन्द्र की सत्ता हांसिल करने पर ही फोकस है और इसलिए जो मुद्दे बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उनसे किनारा किया जा रहा है.

बीजेपी से जुड़े संगठनों ने भले ही ऐसे मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया हो और लोकसभा चुनाव 2019 के संपन्न होने तक विहिप जैसे संगठन राम मंदिर मुद्दे पर किसी तरह का कोई अभियान नहीं चलाएंगे, लेकिन कुंभ में धर्मसभा की बैठक में साधु-संतों ने प्रस्ताव पास कर कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तक वे चैन से नहीं बैठेंगे!

इसी क्रम में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के शिलान्यास का संकल्प कुछ समय पहले धर्मनगरी काशी में पूरा किया. उन्होंने मंदिर के प्रतीक का शिलान्यास किया. इस अवसर पर अयोध्या में 67 एकड़ भूमि पर बनने वाले मंदिर का नक्शा भी प्रस्तुत किया गया. समारोह में बड़ी संख्घ्या में मौजूद साधु-संतों ने जय श्रीराम के उद्धोष के साथ राम मंदिर निर्माण का संकल्प दोहराया. 

याद रहे, प्रयागराज कुंभ में हुई परम धर्मसंसद में लिए गए निर्णय के अनुसार शंकराचार्य मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या जाने वाले थे और प्रयागराज से 17 फरवरी 2019 को उनकी अगुवाई में रामाग्रह यात्रा निकलने का भी कार्यक्रम प्रस्तावित था, परन्तु पुलवामा आतंकी हमले के बाद की परिस्थितियों के मद्देनजर उन्होंने यात्रा और शिलान्यास कार्यक्रम स्थगित कर दिया था. 

सियासी संकेत यही हैं कि लोसे चुनाव में क्योंकि राम मंदिर निर्माण का मुद्दा बीजेपी को नुकसान देगा, इसलिए अब इससे दूरी बनाने की कोशिश की जा रही है और देरी के लिए कांग्रेस के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राम मंदिर निर्माण को लेकर बीजेपी सत्ता के लिए भले ही इस मुद्दे पर अपना असली चेहरा छुपा रही है, लेकिन इससे बीजेपी की छवि तो खराब हो ही रही है, उसे लोकसभा चुनाव में भी नुकसान होगा!

Web Title: Lok Sabha elections: Is the BJP silent and silent on the issue of construction of Ram temple?