लोकसभा चुनावः दिग्विजय की मौजूदगी ने भोपाल को बनाया हाइप्रोफाइल
By शिवअनुराग पटैरया | Published: March 27, 2019 06:25 AM2019-03-27T06:25:41+5:302019-04-10T16:47:21+5:30
दिग्विजय सिंह के प्रत्याशी बनाए जाने के बाद खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह भारोसा जताया कि हम यह सीट जीतेंगे. दरअसल भोपाल से दिग्विजय सिंह को चुनाव लड़वाने की औपचारिक पहल खुद कमलनाथ ने यह कह कर की थी कि दिग्गज नेताओं को कठिन सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए.
भोपाल संसदीय क्षेत्र से कांगे्रस के द्बारा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद यह संसदीय क्षेत्र राज्य की हाई फोफाइल सीट में तब्दील को गया है. दिग्विजय के मुकाबले भाजपा यहां से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वर्तमान सासंद आलोक संजर, साध्वी प्रज्ञा भारती, भोपाल के महापौर आलोक शर्मा और भाजपा नेता बी.डी. शर्मा में से किसी एक को मैदान में उतारना चाह रही है. वैसे माना यह जा रहा है कि दिग्विजय की मौजूदगी के कारण यह चुनाव दिग्विजय विरुद्ध भाजपा कम संघ ज्यादा होगा.
दिग्विजय सिंह के प्रत्याशी बनाए जाने के बाद खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह भारोसा जताया कि हम यह सीट जीतेंगे. दरअसल भोपाल से दिग्विजय सिंह को चुनाव लड़वाने की औपचारिक पहल खुद कमलनाथ ने यह कह कर की थी कि दिग्गज नेताओं को कठिन सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए. राज्य की जिन सीटों पर पिछले 25-30 सालों से कांग्रेस चुनाव नहीं जीती है उनमें भोपाल संसदीय क्षेत्र भी शामिल है. इस सीट पर भाजपा 1989 से लगातार चुनाव जीतती आ रही है. इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस ने मशहूर क्रिकेटर और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के पति मंसूर अली खां पटौदी को भी प्रत्याशी बनाया था, पर वह कांग्रेस को यह सीट नहीं दिलवा पाए.
भोपाल सीट का जो जातिगत गणित है उसमें मुस्लिम मतदाता एक बड़ा प्रभावी धार्मिक समूह माना जाता है. भोपाल संसदीय क्षेत्र में लगभग 3 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. कांग्रेस को इन मतदाताओं पर पूरा भारोसा है. कमलनाथ ने पिछले दिनों कुछ संवाददाताओं से बातचीत करते हुए यह कहा कि मुस्लिम मतदाताओं कारण दिग्विजय सिंह के पक्ष में जाने वाले मतों कि गिनती 3 लाख से तो चालू ही होगी.
जातिगत आधार पर देखा जाए तो गैर मुस्लिम मतदाताओं में कायस्थ मतदाता सबसे बड़ा वर्ग समूह हैं. इसके बाद ब्राह्मण मतदाताओं को माना जाता है. इसके कारण मुस्लिम, कायस्थ और ब्राह्मण वर्ग से आने वाले ही ज्यादातर लोग यहां से चुनाव जीत पाए. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के आलोक संजर ने कांग्रेस के पीसी शर्मा को 3 लाख 72 हजार के लगभग मतों से हराया था, लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भोपाल संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की यह लीड 65 हजार के आसपास रह गई.
इस चुनाव में भोपाल लोकसभा क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 3 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. इनमें से दो विधायक आरिफ अकील और पीसी शर्मा राज्य सरकार में मंत्री हैं वहीं तीसरे विधायक आरिफ मसूद हैं. कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के तीन प्रत्याशियों को मिली जीत का बड़ा सहारा है, क्योंकि इनमें से दो आरिफ अकील और पीसी शर्मा उनके कट्टर समर्थक हैं वहीं आरिफ मसूद सुरेश पचौरी के समर्थक होने के बावजूद भी दिग्विजय सिंह के समर्थन में काम करेंगे, ऐसा माना जाता है.
दिग्विजय सिंह जिस तरह अपने पूरे राजनीतिक जीवन में संघ के खिलाफ मोर्चा खोले रहे हैं. उसमें यह बहुत स्पष्ट है कि संघ दिग्विजय सिंह के खिलाफ न केवल पूरी ताकत लगाएगा, बल्कि अप्रत्यक्ष रुप से पूरी रणनीति का निर्धारण भी करेगा. इस लिए भाजपा के प्रत्याशी चयन में पार्टी का नेतृत्व संघ के समन्वय और फीडबैक के आधार पर काम कर रहा है. इसी के चलते पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रज्ञा ठाकुर, सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा और भाजपा नेता बीडी शर्मा के नामों पर गौर कर रहा है.
भोपाल के सांसद
1952 में कांग्रेस से सईदुल्लाह रजमी
1957 में कांग्रेस से मैमूना सुल्तान
1962 में कांग्रेस से मैमूना सुल्तान
1967 में जनसंघ से जगन्नाथ राव जोशी
1971 में कांग्रेस से शंकरदयाल शर्मा
1977 में भारतीय लोकदल से आरिफ बेग
1980 में कांग्रेस से शंकरदयाल शर्मा
1985 में कांग्रेस केएन प्रधान
1989 में भाजपा से सुशीलचंद्र वर्मा
1991 में भाजपा से सुशीलचंद्र वर्मा
1996 में भाजपा से सुशीलचंद्र वर्मा
1998 में भाजपा से सुशीलचंद्र वर्मा
1999 में भाजपा से उमा भारती
2004 में भाजपा से कैलाश जोशी
2009 में भाजपा से कैलाश जोशी
2014 में भाजपा से आलोक संजर