लोकसभा चुनावः कांग्रेस को महानगरों में नहीं मिल रहे जिताऊ प्रत्याशी, दिग्गजों पर टिकी नजर
By राजेंद्र पाराशर | Published: March 2, 2019 05:19 AM2019-03-02T05:19:35+5:302019-03-02T05:19:35+5:30
भारतीय जनता पार्टी के गढ़ बनते जा रहे ग्वालियर, भोपाल, इंदौर और जबलपुर संसदीय क्षेत्रों को इस बार किसी भी तरह से कांग्रेस भेदना चाह रही है, मगर कांग्रेस को यहां पर जीताऊ प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं.
मध्यप्रदेश के चार महानगरों ग्वालियर, भोपाल, इंदौर और जबलपुर में कांग्रेस को जिताऊ प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं. इन सीटों पर भाजपा की लगातार हो रही जीत के मिथक को कांग्रेस किसी भी तरह से तोड़ना चाह रही है. इसके लिए इन सीटों पर बड़े नेताओं के नाम पर कांग्रेस ने विचार करना शुरु कर दिया है.
भारतीय जनता पार्टी के गढ़ बनते जा रहे ग्वालियर, भोपाल, इंदौर और जबलपुर संसदीय क्षेत्रों को इस बार किसी भी तरह से कांग्रेस भेदना चाह रही है, मगर कांग्रेस को यहां पर जीताऊ प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं. ग्वालियर में पहले सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम तय माना जा रहा था, मगर उन्होंने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वे अपनी पारंपरिक सीट गुना-शिवपुरी से ही चुनाव मैदान में उतरेंगे.
इसके बाद फिर से कांग्रेस के सामने ग्वालियर सीट पर प्रत्याशी चयन टेड़ी खीर हो गया है. वहीं इंदौर में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को भाजपा द्वारा फिर से मैदान में उतारे जाने के संकेत मिल रहे हैं, यहां भी कांग्रेस के पास ऐसा कोई नाम नहीं है जो ताई को टक्कर दे सके. इंदौर की ही तरह भोपाल संसदीय सीट को भी भाजपा का मजबूत गढ़ माना जा रहा है. यहां पर भी कांग्रेस के पास जिताऊ उम्मीदवार को टोटा है.
इसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भोपाल और इंदौर में से किसी एक स्थान से चुनाव लड़ाने की बात भी सामने आई थी. इसे लेकर सिंह ने भी मीडिया में यह बात कही कि पार्टी उन्हें जहां से चुनाव मैदान में उतारेगी वे चुनाव लड़ सकते हैं. वैसे सूत्रों की माने तो दिग्विजय सिंह राघोगढ़ संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक हैं, अगर संगठन का दबाव बना तो संभावना इस बात की भी है कि उन्हें भोपाल के बजाए इंदौर से सुमित्रा महाजन के खिलाफ प्रत्याशी बनाया जा सकता है.
भोपाल में कांग्रेस में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को कांग्रेस मैदान में उतार सकती है. संदीप का भोपाल से गहरा नाता रहा है. हालांकि उनके नाम को लेकर पार्टी के कुछ नेता मौन है, मगर पार्टी हाईकमान का निर्देश हुआ तो नेता भी उनके लिए काम करने मैदान में उतरेंगे.
ग्वालियर, भोपाल, इंदौर के अलावा जबलपुर महानगर में भी कांग्रेस के लिए जिताऊ प्रत्याशी नहीं मिल रहा है. यहां से पार्टी एक बार फिर रामेश्वर नीखरा के नाम पर विचार कर सकती है, मगर स्थानीय नेताओं का मत है कि वे भी जिताऊ उम्मीदवार साबित नहीं हो पाएंगे. वैसे नीखरा खुद होशंगाबाद संसदीय सीट से दावेदारी करते नजर आ रह हैं. यहां पर अगर नीखरा को टिकट नहीं मिला तो वे अपने परिवार से आशुतोष राणा को मैदान में उतारने की मंशा भी संगठन को जता चुके हैं.
15 सीटों पर रायशुमारी कर चुके कमलनाथ
मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद प्रदेश के 29 में से 15 संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया को लेकर रायशुमारी कर चुके हैं. वे इस बार किसी भी सीट पर कमजोर प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारना चाहते हैं, मगर उनकी ंिचंता भी महानगर ही बने हुए हैं. मुख्यमंत्री ने रायशुमारी में सभी स्थानों पर वहां के नेताओं के अलावा कार्यकर्ताओं से भी सीधी चर्चा की और इसके अलावा पर्चियों में नाम भी मांगे हैं, मगर इन चार शहरों में उन्हें भी जिताऊ प्रत्याशी अब तक नहीं मला है. सूत्रों की माने तो इस चारों सीटों पर अब हाईकमान के फैसले पर भी प्रत्याशी के नाम पर मोहर लगेगी.
शरद यादव जबलपुर से लड़ सकते हैं चुनाव
मध्यप्रदेश में अगर लोकतांत्रिक जनता दल के साथ कांग्रेस का गठबंधन तय हुआ तो शरद यादव जबलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं. गठबंधन के चलते कांग्रेस यहां पर प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारेगी. हालांकि प्रदेश के नेता अभी इस मामले में कुुछ कहने को तैयार नहीं है, मगर माना यह जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में की ही तरह कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी जबलपुर सीट पर अपना प्रत्याशी न उताकर लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव को समर्थन दे सकती है. विधानसभा चुनाव में लोकतांत्रिक जनता दल के समर्थन में जतारा विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा था.