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Lok Sabha Elections 2024: बसपा में कई जीते सांसदो का कटेगा टिकट, जिताऊ प्रत्याशी की खोज हुई तेज

By राजेंद्र कुमार | Updated: January 14, 2024 17:00 IST

सहारनपुर से वर्तमान सांसद हाजी फजलुर्रहमान, अमरोहा से पार्टी सांसद दानिश अली, जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव, गाजीपुर से पार्टी सांसद अफजाल अंसारी,अम्बेडकर नगर से पार्टी के सांसद रितेश पांडेय और श्रावस्ती के पार्टी के सांसद राम शिरोमणि वर्मा के स्थान में नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतारे जाने की चर्चा है।

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ठळक मुद्देमायावती की नीति नए चेहरों पर भरोसा जताने की रही हैपार्टी के वर्तमान सांसदों से लेकर कई नए चेहरे चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहे हैंअगले पंद्रह दिनों में मायावती सीटवार लोकसभा प्रभारी बनाना शुरू करेंगी

लखनऊ: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर हर राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अमली जामा पहनाने में जुट गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हो या समाजवादी पार्टी (सपा) अथवा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) या फिर कांग्रेस। सभी दल अपने-अपने तरीके से राज्य की 80 संसदीय सीटों पर जिताऊ प्रत्याशी का नाम तय करने में जुटा है।

भाजपा, सपा और कांग्रेस जहां जिताऊ प्रत्याशी की खोज में चुनावी सर्वे करने वाली एजेंसियों का सहारा ले रही हैं, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती पार्टी संगठन के पदाधिकारियों से मिले सूचनाओं के आधार पर उपयुक्त प्रत्याशी के नाम को फाइनल करने में जुटी हैं। बसपा नेताओं के अनुसार, बहनजी जल्दी ही कई सीटों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामों का ऐलान करेंगी।

मायावती का इन सीटों पर ध्यान : 

इस बसपा नेताओं के अनुसार, पार्टी के वर्तमान सांसदों से लेकर कई नए चेहरे चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहे हैं और अगले पंद्रह दिनों में मायावती सीटवार लोकसभा प्रभारी बनाना शुरू करेंगी। बाद में इन्हे ही उम्मीदवार बनाने की घोषणा की जाएगी। फिलहाल पार्टी में प्रमुख प्राथमिकता वाली 37 सीटें चिंहित की गई हैं। इनमें से दल सीटे वह हैं जिनपर बसपा को बीते लोकसभा चुनाव में जीत हासिल हुई थी।

इसके अलावा 27 सीटें वह हैं जिन पर बीते लोकसभा चुनावों में बसपा दूसरे स्थान पर रही थी। बसपा नेताओं का कहा है कि उक्त 37 सीटों पर अगर ठीक से मेहनत कर दी जाएगी तो चुनाव परिणाम अच्छे आ सकते हैं, इसलिए उक्त सीटों पर मायावती प्रत्याशी के चयन को लेकर तमाम फीडबैक अपने उत्तराधिकारी आकाश आनंद और पार्टी के पुराने नेताओं से ले रही हैं। 

बीते विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों को भी लोकसभा चुनाव लड़ाने को लेकर भी चर्चा की जा रही है। कहा यह भी जा रहा है कि पार्टी की सिटिंग सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। वैसे भी पार्टी में सिटिंग सांसदों का टिकट पाने का प्रतिशत कम ही रहा है। मायावती की नीति नए चेहरों पर भरोसा जताने की रही है।

इसने उन्हें पहले काफी फायदा भी पहुंचाया है। इस नीति के चलते ही सहारनपुर से वर्तमान सांसद हाजी फजलुर्रहमान, अमरोहा से पार्टी सांसद दानिश अली, जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव, गाजीपुर से पार्टी सांसद अफजाल अंसारी,अम्बेडकर नगर से पार्टी के सांसद रितेश पांडेय और श्रावस्ती के पार्टी के सांसद राम शिरोमणि वर्मा के स्थान में नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतारे जाने की चर्चा है। बहुत कम सांसदों को मिला दोबारा टिकट : 

ग्यारह साल पहले सूबे की सत्ता गंवाने वाली बसपा के लिए गुजरा साल भी खुश होने का मौका लेकर नहीं आया। बीते साल भी लोकसभा चुनाव के सेमी फाइनल माने जाने वाले चार राज्यों के चुनाव में पार्टी कोई चमत्कार नहीं दिखा सकी। ऐसे में इस नए साल में बसपा के सामने घटती ताकत को थामना ही बड़ी चुनौती है।

अब देखना यह है कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से पार्टी ने सर्वाधिक 21 सीटें जीती थी, क्या वैसी सफलता बसपा आगामी लोकसभा चुनाव में हासिल कर पाएगी? इस सवाल का जवाब आसान नहीं है लेकिन अगर बसपा के इतिहास को देखें तो असंभव कुछ भी नहीं है।

पार्टी ने जीते हुए सांसदों और विधायकों का टिकट कट कर कई सफलता हासिल की हैं। बसपा के इतिहास के अनुसार, बसपा का गठन 1984 में हुआ। उसके बाद 90 के दशक में वह देश और प्रदेश की राजनीति में मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुकी थी। यूपी उसका मजबूत गढ़ बना। इस राज्य में ही बसपा के सबसे ज्यादा 21 सांसद वर्ष 2009 में लोकसभा पहुंचे। इसके पहले बसपा के वर्ष 1999 में 14 सांसद थे।

इनमें से छह सांसदों को वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया गया। बसपा नेताओं के अनुसार पार्टी के गठन के बाद से अब तक 57 देश ही संसद में पहुंचे हैं, इनमें से 37 सांसदों को पार्टी ने दोबारा टिकट नहीं दिया। उनके स्थान नए लोगों चुनाव लड़ाया गया। अब आगामी लोकसभा चुनावों में इस फार्मूले के तहत ही टिकट दिया जाएगा। 

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