लोकसभा चुनाव 2019: फेक न्यूज पर चुनाव आयोग सख्त, उम्मीदवारों के लिए जारी किया सोशल मीडिया के नियम

By भाषा | Published: March 11, 2019 03:06 AM2019-03-11T03:06:47+5:302019-03-11T03:06:47+5:30

चुनाव में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये आयोग ने लोकसभा चुनाव में पहली बार यह पहल की है।

Lok Sabha elections 2019: social media rules for Candidates give social accounts information to EC for fake news | लोकसभा चुनाव 2019: फेक न्यूज पर चुनाव आयोग सख्त, उम्मीदवारों के लिए जारी किया सोशल मीडिया के नियम

लोकसभा चुनाव 2019: फेक न्यूज पर चुनाव आयोग सख्त, उम्मीदवारों के लिए जारी किया सोशल मीडिया के नियम

Highlightsइससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस ऐप का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया था। मतदाताओं की पहचान की पुष्टि के लिए फोटोयुक्त मतदाता पर्ची मान्य नहीं होगी।

निर्वाचन आयोग ने चुनाव अभियान में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर चुनाव के दौरान इसके दुरुपयोग से फर्जी खबरों और गलत जानकारियों के प्रसार एवं छद्म प्रचार को रोकने के लिये आगामी लोकसभा चुनाव में सख्त प्रावधान किए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए बताया कि इस चुनाव में हिस्सा लेने वाले सभी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकांउट की जानकारी आयोग को देनी होगी।

चुनाव में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये आयोग ने लोकसभा चुनाव में पहली बार यह पहल की है। इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी यह व्यवस्था की गयी थी। अरोड़ा ने बताया कि स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने 17वीं लोकसभा के चुनाव में इस तरह के तमाम कारगर एवं सख्त उपाय किए हैं। इसके तहत उम्मीदवारों को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी प्रचार अभियान के दौरान कम से कम तीन बार दृश्य श्रव्य माध्यम से सार्वजनिक करनी होगी। इसके अलावा आयोग ने उम्मीदवारों द्वारा पेश किए जाने वाले हलफनामे के प्रारूप में भी जरूरी बदलाव किए हैं। उन्होंने बताया कि मुख्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्विटर और गूगल से भी फर्जी सूचनाओं, अपुष्ट जानकारियों और छद्म प्रचार अभियान रोकने में मदद की आयोग ने पहल की है।

पेड न्यूज एवं फर्जी खबरों पर भी नकेल

वहीं, मीडिया में पेड न्यूज एवं फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिये राज्य एवं जिला स्तर पर मीडिया निगरानी समितियों की भी मदद ली जाएगी। उन्होंने बताया कि चुनाव की शुचिता बरकरार रखने में जनता की भागीदारी को भी सुनिश्चित करने के लिए पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर मोबाइल ऐप ‘सी-विजल’ का इस्तेमाल किया जायेगा। इसके जरिए कोई भी नागरिक निर्वाचन नियमों के उल्लंघन की शिकायत कर सकेगा। इस पर संबद्ध प्राधिकारी को 100 मिनट के भीतर कार्रवाई करना अनिवार्य है।

सुरक्षा बलों और सीसीटीवी कैमरों की मदद से सतत निगरानी

इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस ऐप का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया था। अरोड़ा ने चुनाव में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की जानकारी देते हुए बताया कि संवेदनशील क्षेत्रों में पर्याप्त सुरक्षा बलों और सीसीटीवी कैमरों की मदद से सतत निगरानी की जाएगी। इसके अलावा संवेदनशील इलाकों में वेबकास्टिंग तथा स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की मदद ली जाएगी। उन्होंने कहा कि आयोग के मतदाता हेल्पलाइन नंबर 1950 के माध्यम से भी मतदाता चुनाव प्रक्रिया संबंधी शिकायत एवं सुझावों से आयोग को अवगत करा सकेंगे।

अरोड़ा ने बताया कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाता सहायता केन्द्र होगा। इसके माध्यम से मतदताओं को मतदान संबंधी हर प्रकार की मदद मुहैया करायी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाताओं की पहचान की पुष्टि के लिए फोटोयुक्त मतदाता पर्ची मान्य नहीं होगी। इसके लिए मतदाताओं को पासपोर्ट और आधार कार्ड सहित 11 अन्य पहचान दस्तावेजों को मान्यता दी गयी है। अरोड़ा ने बताया कि ईवीएम में उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह के साथ उनकी तस्वीर भी दिखेगी। ईवीएम में अंतिम बटन नोटा का होगा। भाषा निर्मल प्रियभांशु प्रियभांशु

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