लोकसभा चुनाव 2019: डिंपल-अखिलेश के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेंगे शिवपाल, जानें प्रसपा की नई रणनीति
By निखिल वर्मा | Published: April 13, 2019 11:49 AM2019-04-13T11:49:07+5:302019-04-13T15:21:10+5:30
शिवपाल की पार्टी प्रसपा ने कन्नौज में डिंपल यादव, बदायूं में मौजूदा सांसद धमेंद्र यादव और आजमगढ़ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ पार्टी उम्मीदवार वापस ले लिया है।
लोकसभा चुनाव 2019 के बीच दूसरे चरण के मतदान से पहले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह यादव परिवार के पक्ष में खड़े होते दिख रहे हैं। पिछले 72 घंटे में नाटकीय घटनाक्रम में शिवपाल की पार्टी प्रसपा ने कन्नौज में डिंपल यादव, बदायूं में मौजूदा सांसद धमेंद्र यादव और आजमगढ़ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ पार्टी उम्मीदवार वापस ले लिया है।
शिवपाल पहले ही मैनपुरी से लड़ रहे अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने वाले थे। प्रसपा अब सिर्फ परिवार के अंदर फिरोजाबाद सीट पर मौजूदा सांसद अक्षय यादव के खिलाफ लड़ने जा रही है। अक्षय यादव सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे हैं। शिवपाल और रामगोपाल आपस में चचेरे भाई हैं।
अक्षय के खिलाफ चुनाव क्यों लड़ रहे हैं शिवपाल?
प्रसपा का गठन पिछले साल अगस्त महीने में हुआ था। पार्टी के गठन के होने पहले शिवपाल सिंह यादव ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि वह अखिलेश के नेतृत्व में चलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी से इटावा और फिरोजाबाद संसदीय सीट की मांग की थी। फिरोजाबाद से रामगोपाल के बेटे अक्षय वर्तमान में सांसद हैं और रामगोपाल खुद पार्टी के मुख्य रणनीतिकार हैं। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच बातचीत विफल हो गई।
प्रसपा के निशाने पर रामगोपाल
प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव कहते हैं, समाजवादी पार्टी में पिछले कुछ सालों से लाखों कर्मठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई है। समाजवादी पार्टी अपने मूल विचार से भटक चुकी है। मैंने लगातार पार्टी के विभिन्न फोरम पर अपनी बात रखी, बाद में मुझे मजबूरी में पार्टी से अलग होना पड़ा। हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है। हमारी लड़ाई सिद्धांत और मूल्यों की है।
प्रसपा के प्रवक्ता इरफान मलिक कहते हैं, 2017 में जब चुनाव हो रहा था तो शिवपाल यादव के करीबियों का टिकट जानबूझकर काटा गया। यहां तक कई बार विधायक रह चुके और कई मंत्रियों का भी टिकट रामगोपाल यादव जी ने काट दिया क्योंकि ये लोग शिवपाल के करीबी थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के समय रामगोपाल जी द्वारा लगातार शिवपाल जी और उनके करीबियों को अपमानित किया गया। हमारी लड़ाई पार्टी के अंदर सीधे-सीधे रामगोपाल जी से थी। उन्होंने सपा में शकुनि का रोल अदा किया है।
मलिक आगे कहते हैं, हमलोगों को सपा के मीटिंग में भी नहीं बुलाया जाता था। इसके बाद भी अपमानित होकर सारे लोगों ने पहले सेक्युलर मोर्चा और बाद में प्रसपा का गठन किया। हमारी लड़ाई अखिलेश, धर्मेंद्र और डिंपल से नहीं है बल्कि उस व्यक्ति से है जिसने समाजवादी पार्टी को पतनशील समाजवादी पार्टी बनाने का काम किया।
चुनाव प्रचार में व्यस्त अक्षय यादव
प्रसपा के परिवार के खिलाफ उम्मीदवार वापस लेने के फैसले और फिरोजाबाद की जंग को लेकर सांसद अक्षय यादव बिलकुल भी चिंतित नहीं है। लोकमत ने जब इस विषय पर अक्षय से बात की तो उन्होंने कहा, मैं चुनाव प्रचार में व्यस्त हूं, फिलहाल इस मुद्दे पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। फिरोजाबाद के टुण्डला में सपा पार्टी का काम देख रहे शैलेंद्र सिंह ने कहा, अक्षय इस बार भारी मतों से जीत रहे हैं।
क्या शिवपाल वापस जाएंगे सपा में?
प्रसपा प्रवक्ता इरफान मलिक कहते हैं, गठबंधन की संभावनाओं के इंकार नहीं किया जा सकता है। जब अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती एक हो सकते हैं तो शिवपाल और अखिलेश भी एक हो सकते हैं। बता दें कि इरफान उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और डुमरियागंज से विधायक रह चुके कमाल युसूफ मलिक के बेटे हैं। 2017 में सपा ने कमाल मलिक का टिकट काट दिया था। शिवपाल के सेक्युलर मोर्चे को पहला समर्थन मलिक परिवार ने दिया था।
असली खेल नतीजे बाद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर अक्षय यादव फिरोजाबाद से चुनाव हार जाते हैं तो मुलायम परिवार के अंदर शिवपाल फिर से मजबूत हो सकते हैं। शिवपाल ने भी परिवार के अंदर चार लोगों के खिलाफ उम्मीदवार वापस लेकर अपने नरम रुख का संकेत दे दिया है। प्रसपा ने जिस तरह लोकसभा चुनाव के बीच ही परिवार का समर्थन कर दिया है उससे रामगोपाल यादव की परेशानियां बढ़ सकती है।