लोकसभा चुनाव 2019: आजादी के 72 साल बाद भी भारत की राजनीति में है इन राजा-रजवाड़ों का दबदबा!

By आदित्य द्विवेदी | Published: April 11, 2019 07:14 AM2019-04-11T07:14:27+5:302019-04-11T15:09:52+5:30

Royal Families in Lok Sabha Elections: आज हम आपको ऐसे ही कुछ प्रमुख राजा-रजवाड़ों और उनके राजघरानों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका आजादी के 72 साल बाद भी भारतीय राजनीति में सिक्का चलता है।

Lok Sabha Elections 2019: Royal Families dominating Indian politics even after 72 years of independence | लोकसभा चुनाव 2019: आजादी के 72 साल बाद भी भारत की राजनीति में है इन राजा-रजवाड़ों का दबदबा!

लोकसभा चुनाव 2019: आजादी के 72 साल बाद भी भारत की राजनीति में है इन राजा-रजवाड़ों का दबदबा!

1947 के पहले भारत में ब्रिटिश शासन था और छोटे-बड़े मिलाकर करीब 565 रजवाड़े राज करते थे। इन रियासतों पर अंग्रेजों का अप्रत्यक्ष शासन था। इन राजा-रजवाड़ों की अपनी सेना, कानून और करेंसी तक होती थी। 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद रजवाड़े अपना भविष्य तय करने के लिए स्वतंत्र हो गए। भारत गुलामी से आजाद होकर लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रवेश कर गया। धीरे-धीरे रजवाड़ों का प्रभुत्व कम हुआ लेकिन कुछ ऐसी भी राजा थे जिन्होंने खुद को  लोकतंत्र में ढाला और सतत रूप से राजनीति में प्रासंगिक बने रहे। आज हम आपको ऐसे  ही कुछ प्रमुख राजा-रजवाड़ों और उनके राजघरानों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका आजादी के 72 साल बाद भी भारतीय राजनीति में सिक्का चलता है।

सिंधिया राजघराना (ग्वालियर रियासत)

ग्वालियर रियासत की महारानी विजय राजे सिंधिया ने 1957 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और फिर जनसंघ में चली गई थी। उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के साथ अपनी पारी को बढ़ाया और 9 बार सांसद चुने गए। फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से सांसद हैं। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पश्चिमी यूपी की कमान सौंपी है।

वीरभद्र सिंह (बुशहर रियासत)

बुशहर रियासत के रजवाड़े वीरभद्र सिंह ने 1962 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बारी चुनाव लड़ा। वो अब तक पांच बार सांसद और कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान भी संभाली है। वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण सीट से विधायक हैं।

दिग्विजय सिंह (राघोगढ़ रियासत)

राघोगढ़ के राजा बलभद्र सिंह ने 1951 में निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उनके बेटे दिग्विजय सिंह राजनीति में काफी सक्रिय हैं और दो बार एमपी के सीएम रह चुके हैं। दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघोगढ़ से विधायक और एमपी सरकार में मंत्री हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में दिग्विजय सिंह भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

वसुंधरा राजे सिंधिया (धौलपुर राजघराना)

सिंधिया घराने की रानी विजय राजे सिंधिया की बेटी हैं वसुंधरा राजे सिंधिया। उनका विवाह दौलपुर राजघराने के राजा राणा हेमंत सिंह से हुआ था। बाद में दोनों अलग हो गए। वसुंधरा राजे ने बीजेपी के साथ अपनी राजनीतिक पारी जारी रखी है। दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वसुंधरा के बेटे दुष्यंत सिंह 2019 में झालावाड़ से बीजेपी के उम्मीदवार हैं।

रघुराज प्रताप सिंह (प्रतापगढ़ राजघराना)

प्रतापगढ़ के कई राजघरानों का राजनीति में दबदबा रहा है लेकिन इस वक्त जो सबसे चर्चित नाम है वो भदरी राजघराने के रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का है। वो 1993 से लगातार निर्दलीय चुनाव जीतते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में उन्होंने जनसत्ता दल नाम की पार्टी बनाई और अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं।

इसके अलावा छत्तीसगढ़ की सरगुजा और जशपुर रियासत,  राजस्थान की जोधपुर और जयपुर रियासत, जम्मू-कश्मीर की कश्मीर डोगरा रियासत, उत्तर प्रदेश की अमेठी और रामपुर रियासत का भी भारतीय राजनीति में दबदबा है। 

English summary :
Lok Sabha Elections 2019: List of Royal Families dominating Indian politics even after 72 years of Independence. From Jyotiraditya Scindia, Vasundhara Raje, Virbhadra Singh to Digvijaya Singh, view the names.


Web Title: Lok Sabha Elections 2019: Royal Families dominating Indian politics even after 72 years of independence