लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी में भविष्य का प्रादेशिक नेतृत्व तय करेंगे इस बार के चुनावी नतीजे?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 13, 2019 07:14 PM2019-04-13T19:14:17+5:302019-04-13T19:17:41+5:30
लोकसभा चुनाव 2019:बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व लगातार कोशिश कर रहा है कि राजस्थान में पार्टी में नया नेतृत्व तैयार हो, परन्तु एक तो राजे का सियासी तौर-तरीका और दूसरा, प्रभावी नेता का अभाव, इसमें बाधा बने हुए हैं.
राजस्थान कांग्रेस में पहली पंक्ति का नेतृत्व सीएम अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के हाथ में हैं, लेकिन बीजेपी में भविष्य में प्रादेशिक नेतृत्व किसके पास रहेगा, यह इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे.
वैसे तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का दबदबा राजस्थान बीजेपी में अब भी कायम है, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें कई प्रमुख सियासी निर्णयों से दूर किया जा रहा है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस वक्त राजस्थान में बीजेपी का सियासी नियंत्रण केन्द्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर के हाथों में है. एक तरह से इस वक्त उन्हीं के नेतृत्व में राजस्थान में चुनाव लड़ा जा रहा है. यदि लोस चुनाव में बीजेपी को अच्छी कामयाबी मिलती है, तो राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर ठोस निर्णय लिए जा सकते हैं, जबकि अपेक्षित नतीजे नहीं मिलते हैं, तो- ठहरो और देखो, की तर्ज पर ही प्रदेश में बीजेपी का कामकाज चलता रहेगा.
वसुंधरा राजे से अलग, भविष्य में बीजेपी के प्रादेशिक प्रतिनिधित्व के लिए पार्टी में गजेन्द्र सिंह शेखावत, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, गुलाबचन्द कटारिया आदि के नाम प्रमुख हैं.
इनमें से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ लोकप्रिय और सक्रिय तो हैं, लेकिन इनका प्रभाव क्षेत्र केवल उत्तरी राजस्थान है. इसी तरह गजेन्द्र सिंह शेखावत पश्चिमी राजस्थान में, तो गुलाबचन्द कटारिया दक्षिणी राजस्थान में प्रभावी हैं, परन्तु इस वक्त पूरे राजस्थान में प्रभाव और पकड़ रखने वाला बीजेपी नेता, वसुंधरा राजे के अलावा कोई दूसरा नहीं है.
बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व लगातार कोशिश कर रहा है कि राजस्थान में पार्टी में नया नेतृत्व तैयार हो, परन्तु एक तो राजे का सियासी तौर-तरीका और दूसरा, प्रभावी नेता का अभाव, इसमें बाधा बने हुए हैं.
गुलाबचन्द्र कटारिया में आक्रामकता की कमी मानी जाती है, वही राठौड़ एवं शेखावत के सामने इस बार चुनाव जीतना बड़ी चुनौती है.
जयपुर ग्रामीण लोस सीट पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का मुकाबला कांग्रेस की कृष्णा पूनिया से है, तो जोधपुर लोस सीट पर गजेन्द्र सिंह शेखावत को सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत चुनौती दे रहे हैं. हालांकि, पिछले लोस चुनाव में तो राठौड़ और शेखावत, दोनों ही तीन लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे, किन्तु इस बार जीत आसान नहीं है.
सियासी संकेत यही हैं कि इस बार के चुनावी नतीजे, प्रदेश में बीजेपी नेतृत्व परिवर्तन के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण हैं, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार बीजेपी को राजस्थान में कितनी कामयाबी मिलती है?