जब मथुरा लोकसभा सीट से दो-दो हेमा मालिनी उतरीं चुनावी अखाड़े में, जानिए दूसरी का क्या हुआ अंजाम
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 10, 2019 07:52 PM2019-04-10T19:52:51+5:302019-04-10T20:21:01+5:30
लोकसभा चुनाव 2019: इस आम चुनाव में मथुरा सीट के लिए 18 अप्रैल को मतदान होगा। लोकसभा चुनाव कुल सात चरणों में होने हैं। पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा। सातवें और आखिरी चरण का मतदान 19 मई को होगा। चुनाव के नतीजे 23 को आएंगे।
उत्तर प्रदेश की मथुरा लोकसभा सीट पर 18 अप्रैल तो मतदान होना है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने साल 2014 को लोकसभा चुनाव में इस सीट से विजयी रही अभिनेत्री और पार्टी नेता हेमा मालिनी को इस बार भी उम्मीदवार बनाया है।
वहीं समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने कुँवर नरेंद्र सिंह के रूप में साझा उम्मीदवार उतारा है।
सपा, बसपा और रालोद गठबंधन और भाजपा दोनों को चुनौती दे रही कांग्रेस ने पार्टी के पुराने नेता महेश पाठक को ही मैदान में उतारा है।
मथुरा सीट पर इस बार करीब 25 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी की हेमा मालिनी और सपा-बसपा-रालोद के नरेंद्र सिंह के बीच ही माना जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मथुरा संसदीय क्षेत्र में करीब तीन लाख 80 हजार जाट वोटर हैं। वहीं दो लाख 80 हजार ब्राह्मण, दो लाख ठाकुर और करीब एक लाख 75 हजार मुस्लिम मतदाता हैं।
अगर जाट वोटर रालोद की तरफ झुकते हैं और मुस्लिम मतदाता भी गठबंधन प्रत्याशी को वोट करते हैं तो भाजपा के लिए मुकाबला कड़ा हो जाएगा।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हेमा मालिनी ने रालोद अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया था।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और कद्दावर जाट नेता चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी साल 2009 में मथुरा सीट से जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे।
मथुरा लोकसभा सीट पर हुए पिछले चार आम चुनाव के नतीजे
अगर पिछले चार चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो यह साफ हो जाता है कि हेमा मालिनी के लिए 17वीं लोकसभा में पहुँचना आसान नहीं होगा।
अगर बात 1999 के लोकसभा चुनाव की करें तो उस चुनाव में भाजपा के तेज वीर सिंह ने दो लाख 10 हजार 212 वोट पाकर रालोद के रामेश्वर सिंह को हराया था। रामेश्वर सिंह को कुल एक लाख 68 हजार 485 वोट मिले थे। बसपा के कमल कांत उपमन्यु को एक लाख 18 हजार 720 वोट मिले थे। वहीं सपा के हरि सिंह रावत को 19 हजार 816 वोट मिले थे।
साल 2004 के आम चुनाव में मथुरा सीट से कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह ने एक लाख 87 हजार 400 वोट पाकर बसपा के चौधरी लक्ष्मी नारायण को हराया था जिन्हें एक लाख 49 हजार 268 वोट मिले थे। 2004 में रालोद के ज्ञानवती सिंह को एक लाख 44 हजार 366 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के तेज वीर सिंह को एक लाख तीन हजार सात वोट मिले थे।
साल 2009 के आम चुनाव में जयंत चौधरी ने तीन लाख 79 हजार वोट पाकर बसपा के श्याम सुंदर शर्मा को हराया था जिन्हें दो लाख 10 हजार वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह रहे थे जिन्हें 85 हजार वोट मिले थे।
साल 2014 के चुनाव में तीसरे स्थान पर बसपा के योगेश कुमार द्विवेदी थे जिन्हें कुल एक लाख 73 हजार वोट मिले थे। सपा के चंदन सिंह को करीब 36 हजार वोट मिले थे। वहीं हेमा मालिनी नामक निर्दलीय उम्मीदवार को भी 10,158 वोट मिले थे।
यानी पिछले लोकसभा चुनाव में मथुरा लोकसभा सीट से दो-दो हेमा मालिनी चुनावी मैदान में थीं। यह छिपा नहीं है कि चुनावी भाषा में ऐसे उम्मीदवार को डमी उम्मीदवार कहा जाता है। प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों से मिलते-जुलते नाम वाले या प्रमुख पार्टीयों के चुनाव चिह्नों से मिलते-जुलते चुनाव चिह्न वाले कैंडिटेट इसीलिए उतारे जाते हैं ताकि विपक्षी के वोट भ्रमित होकर ग़लत उम्मीदवार को वोट दे दें।
पिछले चार चुनावों के नतीजों से साफ है कि अगर सपा-बसपा-रालोद के वोट एक जगह पड़े तो भाजपा उम्मीदवार हेमा मालिनी के लिए मथुरा सीट पर जीत हासिल करना काफी कठिन होगा।