लोकसभा चुनावः कन्हैया ही नहीं, जेएनयू के ये छात्र नेता भी बिहार की राजनीति में दिखा चुके हैं दमखम
By सतीश कुमार सिंह | Published: April 17, 2019 07:23 PM2019-04-17T19:23:38+5:302019-04-17T19:23:38+5:30
लोकसभा चुनाव 2019 में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार बेगूसराय सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। सीपीआई ने उन्हें टिकट दिया है। यहां उनका मुकाबला भाजपा के गिरिराज सिंह और आरजेडी के तनवीर हसन से है।
महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने कहा था, 'मनुष्य अपने स्वभाव से एक राजनीतिक प्राणी है'। जाहिर है ऊर्जा से भरे युवाओं में तो राजनीतिक चेतना और भी ओजस्वी होगी। जेएनएयू छात्रों के लिए राजनीति का गढ़ माना जाता है।
वहीं जेएनएयू में कई ऐसे छात्र रहे हैं, जिन्होंने राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है।
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमारबेगूसराय सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। सीपीआई ने उन्हें टिकट दिया है। यहां उनका मुकाबला भाजपा के गिरिराज सिंह और आरजेडी के तनवीर हसन से है।
कई पूर्व नेता के नाम राजनीति में दर्ज
कन्हैया कुमार के अलावा जेएनयूएसयू के कई पूर्व नेता के नाम राजनीति में दर्ज हैं। बिहार के कटिहार जिले के कदवा से कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान 1992-93 में जेएनयूएसयू के अध्यक्ष थे, इसके बाद वह छात्र संघ के उपाध्यक्ष भी बने। खान ने छात्र संघ का चुनाव स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) से लड़ा था। विश्वविद्यालय छोड़ने के बाद वह कांग्रेस से जुड़ गए।
शकील अहमद खान ने कहा कि जेएनयू ने राजनीति में मेरी रुचि को एक धार दी, जो कि बाद में मेरा करियर बना। मैं झूठ नहीं बोलूंगा कि वह कदम अवसरवादिता वाला नहीं था, लेकिन दो दशक पहले देश में राजनीतिक माहौल अलग था। खान 1999 में कांग्रेस से जुड़े और 2015 में पहली बार कदवा से विधायक निर्वाचित हुए।
तनवीर अख्तर भी कम नहीं
गया के शेरघाटी के रहने वाले जनता दल (यूनाइटेड) के विधान पार्षद तनवीर अख्तर 1991-92 में जेएनयूएसयू के अध्यक्ष थे। इस दौरान अहमद खान उपाध्यक्ष बने थे। अख्तर ने जेएनयूएसयू का चुनाव कांग्रेस से संबद्ध छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) से लड़ा था। वह जेएनयू से बाहर आने के बाद पार्टी के विधान परिषद के सदस्य बनाए गए। वह बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति के उपाध्यक्ष और बिहार यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि वह पिछले साल जदयू में शामिल हो गए। उन्होंने बताया कि पार्टी बदलने का मेरा कदम अवसरवादी नहीं था।
कांग्रेस के लिए काफी कुछ करने के बाद भी पार्टी के नेताओं ने मेरा अपमान किया। इसके बाद मैंने यह फैसला लिया। मैं एनएसयूआई से युवावस्था में ही जुड़ा, उस समय जेएनयू में एनएसयूआई की मौजूदगी नगण्य थी, जो कि अब भी है।
चंद्रशेखर और दिग्विजय सिंह
इसके अलावा जेएनयू के एक और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हैं, जिनकी चर्चा जेएनयू में चुनावी मौसम में काफी होती है। वह हैं चंद्रशेखर। चंद्रशेखर 1993 में छात्रसंघ के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए, उसके बाद वह दो बार जेएनयूएसयू के अध्यक्ष बने। कैंपस से बाहर निकलकर वह अपने गृह जिले सीवान वापस लौट आए और भाकपा (माले) के लिए काम करने लगे, लेकिन मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने से पहले ही 1997 में उनकी हत्या कर दी गई।
इसके अलावा बांका के दिवंगत पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह भी 1982 में जेएनयूएसयू के महासचिव रह चुके हैं। वह स्टूडेंट्स फॉर डेमोक्रेटिक सोशलिज्म (डीवाईएस) संगठन से जुड़े थे। बेगूसराय में 29 अप्रैल को चुनाव होने हैं।