लोकसभा चुनाव 2019: व्यक्तिगत सियासी दबाव से मुक्त हुए गहलोत और राजे!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 30, 2019 02:51 AM2019-04-30T02:51:36+5:302019-04-30T02:51:36+5:30

राजस्थान में पहले चरण के मतदान ने केंद्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी, गजेंद्र सिंह शेखावत, राजकुमारी दीया कुमारी, वैभव गहलोत, मानवेन्द्र सिंह, दुष्यंत सिंह सहित कई दिग्गजों की सियासी तकदीर का फैसला कर दिया है.

Lok Sabha Elections 2019: Gehlot and Raje free from personal political pressure! | लोकसभा चुनाव 2019: व्यक्तिगत सियासी दबाव से मुक्त हुए गहलोत और राजे!

लोकसभा चुनाव 2019: व्यक्तिगत सियासी दबाव से मुक्त हुए गहलोत और राजे!

राजस्थान में पहले चरण के मतदान के साथ ही, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व्यक्तिगत सियासी दबाव से मुक्त हो गए हैं. जहां, जोधपुर में सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह के सामने झालावाड़ से 2014 की जीत दोहराने की चुनौती है. इसी कारण से जहां जोधपुर का चुनाव गहलोत के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है, वहीं झालावाड़ का चुनाव राजे के लिए खास है.

अशोक गहलोत ने जोधपुर में वोट डाला. इस दौरान उनके साथ पुत्र वैभव गहलोत भी मौजूद रहे. उधर, वसुंधरा राजे ने भी झालावाड़ की हाउिसंग बोर्ड कॉलोनी में वोट डाला. जोधपुर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत चुनाव लड़ रहे हैं और इसीलिए यहां का चुनाव पीएम मोदी के लिए महत्वपूर्ण है. 

राजस्थान में पहले चरण के मतदान ने केंद्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी, गजेंद्र सिंह शेखावत, राजकुमारी दीया कुमारी, वैभव गहलोत, मानवेन्द्र सिंह, दुष्यंत सिंह सहित कई दिग्गजों की सियासी तकदीर का फैसला कर दिया है.

जोधपुर सीट पीएम मोदी और सीएम गहलोत के लिए कितनी महत्वपूर्ण रही है, यह इसी से जाना जा सकता है कि इस सीट के लिए चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने सीएम गहलोत को लेकर इस चुनावी दौर का सबसे विवादास्पद और अमर्यादित बयान दिया था, जिस पर गहलोत ने भी उसी तरह से जवाब भी दिया था.

लोकसभा चुनाव 2019 के तहत सोमवार को राजस्थान के 13 लोस निर्वाचन क्षेत्रों अजमेर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, जालोर, बारां-झालावाड़, पाली, राजसमंद, टोंक-सवाई माधोपुर, उदयपुर, जोधपुर और कोटा में मतदान हुआ. 

आदिवासी क्षेत्र में बीटीपी का असर बढ़ा: पहले चरण का मतदान इस वजह से भी खास है कि दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र में नई क्षेत्रीय पार्टी बीटीपी के बढ़ते असर की गति भी इसमें नजर आएगी. बीटीपी के कारण ही इस बार चुनाव में इस क्षेत्र में त्रिकोणात्मक संघर्ष की स्थिति बनी है. लंबे समय से दक्षिण राजस्थान में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता रहा है, लेकिन पिछले विस चुनाव 2018 के दौरान उदयपुर संभाग में बीटीपी ने अपनी प्रभावी मौजदूगी दर्ज करवाते हुए दो सीटें जीती ली थी. 

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