लोकसभा चुनाव 2019: जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और पीडीपी का सूपड़ा साफ, बीजेपी-नेशनल कांफ्रेंस को 3-3 सीटें
By सुरेश डुग्गर | Published: May 23, 2019 04:30 PM2019-05-23T16:30:10+5:302019-05-23T16:30:10+5:30
जम्मू-पुंछ लोकसभा क्षेत्र में जहां भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के रमण भल्ला को हरा दिया वहीं उधमपुर-डोडा से भाजपा के जितेंद्र सिंह ने जम्मू कश्मीर के राजपरिवार के सदस्य और कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को हरा दिया।
जम्मू कश्मीर में इस बार भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। जबकि चौंकाने वाली खबर यह है कि पिछले चुनावों में कश्मीर की तीन सीटों पर जीत हासिल करने वाली पीडीपी का भी सूपड़ा साफ हो गया है। पिछले चुनावों में पहली बार नेशनल कांफ्रेंस का एक भी उम्मीदवार लोकसभा तक नहीं पहुंच पाया था लेकिन इस बार उसने कश्मीर की तीनों सीटों पर कब्जा कर लिया तो भाजपा भी जम्मू, उधमपुर तथा लद्दाख की सीटों पर कब्जा बरकरार रखने में कामयाब हुई है।
जम्मू-पुंछ लोकसभा क्षेत्र में जहां भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के रमण भल्ला को हरा दिया वहीं उधमपुर-डोडा से भाजपा के जितेंद्र सिंह ने जम्मू कश्मीर के राजपरिवार के सदस्य और कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को हरा दिया। रमण भल्ला और विक्रमादित्य पहली बार लोकसभा चुनावों के लिए मैदान में उतरे थे।
जानकारी के लिए जम्मू लोकसभा क्षेत्र से 8 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की थी तो पिछले चुनावों में भाजपा ने इसे छीन लिया था।
इसी प्रकार मोदी लहर ने पिछले चुनावों में उधमपुर-डोडा सीट पर अपना असर दिखाया था जिसका परिणाम था कि कांग्रेस की गढ़ समझे जाने वाली इस सीट पर भाजपा ने चौथी बार जीत हासिल की थी। रोचक तथ्य इन दोनों सीटों के प्रति यह था कि इन पर कांग्रेस का नेकां के साथ गठजोड़ था फिर भी उसे हार का मुंह देखना पड़ा।
कुछ ऐसा ही मोदी जादू लद्दाख में भी लगातार दूसरी बार देखने को मिला है जहां से भाजपा के तेजरिंग नामग्याल ने बाजी मार ली। हालांकि लद्दाख के भाजपा के पिछले सांसद थुप्सटन छेवांग ने भाजपा नेतृत्व पर वादाखिलाफी का आरोप मढ़ते हुए त्यागपत्र दे दिया था। रिकार्ड के मुताबिक, लद्दाख में 5 बार कांग्रेस और 2 बार नेकां जीत हासिल कर चुकी है जबकि लद्दाख की जनता ने 4 बार आजाद उम्मीदवारों को लोकसभा भेजा था।
सबसे अधिक चौंकाने वाली जीत कश्मीर की तीन सीटों श्रीनगर, बारामुल्ला और अनंतनाग में हुई है जहां पिछले चुनावों में जबरदस्त हार का मुंह देखने वाली नेशनल कांफ्रेंस ने तीनों सीटों पर कब्जा जमा लिया है। नेकां के अध्यक्ष डा फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर से, जस्टिस हस्नैन मसूदी अनंतनाग से तथा मुहम्मद अकबर लोन बारामुल्ला से कामयाब हुए हैं।
कश्मीर के चुनावी नतीजों के कई रोचक पहलू भी हैं। जहां नेकां के उम्मीदवार जस्टिस मसूदी ने पहली बार चुनाव मैदान में उतरते हुए पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती को हरा दिया तो कश्मीर से पीडीपी के साथ साथ कांग्रेस का भी सूपड़ा साफ हो गया। कश्मीर में नेकां- और कांग्रेस में गठबंधन नहीं था।
रिकार्ड के बकौल, अनंतनाग को पीडीपी अपनी बपौती समझने लगी थी क्योंकि यह पूर्व मुख्यमंत्री का गृह जिला था तथा पीडीपी दो बार इस पर कब्जा जमा चुकी थी। जबकि बारामुल्ला नेकां का ही गढ़ माना जाता रहा है जिस पर उसने 8 बार जीत हासिल तो की पर पिछला चुनाव पीडीपी से हार गई थी। इसी प्रकार श्रीनगर को भी नेकां का गढ़ माना जाता रहा है जहां से नेकां ने 10 बार जीत हासिल की थी और डा फारूक अब्दुल्ला चार बार इस सीट से लोकसभा पहुंचे हैं। हालांकि वे पिछला चुनाव जरूर मोदी लहर के कारण हार गए थे।