लोकसभा चुनाव 2019ः इतना आसान नहीं है यूपी में सपा-बसपा की जीत का सियासी समीकरण?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 21, 2019 11:58 PM2019-01-21T23:58:09+5:302019-01-21T23:58:09+5:30

बीजेपी से निराश हिन्दू मतदाता फिर-से कांग्रेस के करीब आ रहे हैं तो मुसलमान मतदाता चुनाव में क्षेत्रीय दलों के सापेक्ष कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं कि- केन्द्र में बीजेपी को टक्कर देने में केवल कांग्रेस सक्षम है.

Lok Sabha election: wining in 2019 is not a easy task for SP-BSP, congress can take Muslim votes | लोकसभा चुनाव 2019ः इतना आसान नहीं है यूपी में सपा-बसपा की जीत का सियासी समीकरण?

लोकसभा चुनाव 2019ः इतना आसान नहीं है यूपी में सपा-बसपा की जीत का सियासी समीकरण?

राजस्थान और मध्यप्रदेश के विस चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो लगेगा कि सपा-बसपा में गठबंधन के बावजूद इतना आसान नहीं है यूपी में जीत का सियासी समीकरण, क्योंकि नतीजे बताते हैं कि यूपी, राजस्थान और मध्यप्रदेश के संयुक्त क्षेत्र में दलितों और मुसलमानों की सोच में बड़ा बदलाव आया है और यह बदलाव यूपी के लोस चुनाव के नतीजों को प्रभावित करेगा.

यूपी में कांग्रेस के कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि हिन्दू मतदाता बीजेपी की ओर चले गए तो मुसलमान मतदाता सपा, बसपा जैसे दलों के साथ हो गए, परन्तु अब इसमें परिवर्तन आ रहा है. 

बीजेपी से निराश हिन्दू मतदाता फिर-से कांग्रेस के करीब आ रहे हैं तो मुसलमान मतदाता चुनाव में क्षेत्रीय दलों के सापेक्ष कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं कि- केन्द्र में बीजेपी को टक्कर देने में केवल कांग्रेस सक्षम है, जबकि क्षेत्रीय दलों के नेताओं की व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वकांक्षाएं अप्रत्यक्षरूप से बीजेपी विरोधी वोटों का बिखराव कर रही हैं, जिसका फायदा बीजेपी को हो सकता है.

एमपी, राजस्थान के विस चुनाव परिणामों को देखें तो राजस्थान में कांग्रेस को 39.3 प्रतिशत, बीजेपी को 38.8 प्रतिशत वोट मिले जबकि सीटों की बड़ी लड़ाई लड़ने के बावजूद बसपा केवल 4 प्रतिशत वोट ले पाई. एमपी में कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत, भाजपा को 41 प्रतिशत तो बसपा को केवल 5 प्रतिशत वोट मिले. यही नहीं, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां प्रदेश में सरकार बनाने के सपने देखे जा रहे थे, वहां बसपा को 3.9 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 43 प्रतिशत और बीजेपी को 33 प्रतिशत वोट मिले.

जाहिर है, यूपी की सीमा पर मौजूद राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों की सियासी हवा का असर लोस चुनाव में यूपी में भी नजर आएगा. 

मुस्लिम जा सकते हैं कांग्रेस के साथ 

दरअसल, पीएम पद की महत्वकांक्षा और कांग्रेस की बढ़ती ताकत के मद्देनजर लोस चुनाव से पहले सपा-बसपा ने कांग्रेस को अलग रखते हुए गठबंधन कर लिया है और उम्मीद कर रहे हैं कि लोस चुनाव में बीजेपी को मात दे देंगे, लेकिन इसके बाद यूपी का सियासी समीकरण और भी उलझ गया है. नए राजनीतिक समीकरण के तीन परिणाम हो सकते हैं, एक- यदि मुसलमान कांग्रेस के साथ आ गए तो कांग्रेस यूपी में भी कामयाबी का परचम लहराएगी, दो- यदि कांग्रेस जीत के लायक पर्याप्त समर्थन नहीं जुटा पाई तो त्रिकोणात्मक संघर्ष में बीजेपी फायदे में रहेगी, और तीन- यदि कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा, जिसकी संभावना अब कम ही है, तो सपा-बसपा गठबंधन यूपी में कामयाब हो जाएगा.

यूपी में लोस चुनाव के नतीजे मुसलमानों की सोच पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, क्योंकि मुसलमान- सपा, बसपा और कांग्रेस, तीनों में बराबर-बराबर बंटे हुए हैं, यदि सपा-बसपा के वोट एक-दूजे को ट्रांसफर नहीं हुए तो कांग्रेस फायदे में रहेगी और यूपी में बड़ी सियासी ताकत बन कर उभरेगी!

Web Title: Lok Sabha election: wining in 2019 is not a easy task for SP-BSP, congress can take Muslim votes

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