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मध्य प्रदेश लोकसभा चुनावः BSP ने लगाया जोर, समाजावादी पार्टी हुई कमजोर 

By राजेंद्र पाराशर | Updated: May 6, 2019 08:45 IST

मध्यप्रदेश में बसपा और सपा ने गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारे हैं. सपा ने केवल दो स्थानों खजुराहो और टीकमगढ़ में अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. खजुराहों में सपा ने डकैत ददुआ के बेटे वीरसिंह को मैदान में उतारा है, जबकि टीकमगढ़ में भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए रामदयाल प्रजापति को मैदान में उतारा है.

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ठळक मुद्देमध्यप्रदेश में बसपा और सपा ने गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारे हैं. सपा ने केवल दो स्थानों खजुराहो और टीकमगढ़ में अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. बसपा ने फिर से विंध्य अंचल के रीवा और सतना में अपनी ताकत दिखाई है. रीवा में जातिगत कार्ड खेलते हुए बसपा ने कुर्मी समाज के विकास पटेल को मैदान में उतारा है.रीवा के अलावा बसपा ने सतना में अच्छेलाल कुशवाह को मैदान में उतारा है. कुशवाह ने यहां पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है.

मध्यप्रदेश में इस बार फिर बहुजन समाज पार्टी ने विंध्य अंचल में अपना असर दिखाकर रीवा और सतना संसदीय क्षेत्रों में मुकाबले को त्रिकाणीय बनकार रोचक कर दिया है, यहां पर बसपा ने कांग्रेस के लिए मुसीबत पैदा कर दी है. वहीं बुंदेलखंड में खजुराहो और टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र में सपा अपना असर नहीं दिखा पाई. दोनों ही स्थानों पर उसके प्रत्याशी कमजोर नजर आ रहे हैं.

मध्यप्रदेश में बसपा और सपा ने गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारे हैं. सपा ने केवल दो स्थानों खजुराहो और टीकमगढ़ में अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. खजुराहों में सपा ने डकैत ददुआ के बेटे वीरसिंह को मैदान में उतारा है, जबकि टीकमगढ़ में भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए रामदयाल प्रजापति को मैदान में उतारा है. मगर दोनों ही स्थानों पर सपा के प्रत्याशी अपनी ताकत नहीं दिया पाए. दोनों संसदीय क्षेत्रों में सपा ने उत्तरप्रदेश के नेताओं को लगाया, मगर अंत तक यहां पर सपा प्रत्याशी मुकाबले को रोचक बनाने में असफल होते नजर आए.

दूसरी और बसपा ने फिर से विंध्य अंचल के रीवा और सतना में अपनी ताकत दिखाई है. रीवा में जातिगत कार्ड खेलते हुए बसपा ने कुर्मी समाज के विकास पटेल को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने ब्राह्मण समाज के जनार्दन मिश्रा, कांग्रेस ने ब्राह्मण समाज के सिद्धार्थ तिवारी को मैदान में उतारा है. दोनों दलों के बीच बसपा ने मुकाबला और कड़ा कर दिया है. बसपा के मैदान में होने से भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को नुकसान होता नजर आ रहा है. बसपा रीवा में दो मर्तबा लोकसभा चुनाव जीत चुकी है.

रीवा के अलावा बसपा ने सतना में अच्छेलाल कुशवाह को मैदान में उतारा है. कुशवाह ने यहां पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है. इस सीट पर कांग्रेस लगातार 28 सालों से हार का मुंह देखती रही है, इसके पीछे भी बसपा प्रत्याशी ही प्रमुख कारण रहे हैं. बसपा यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर भाजपा को फायदा पहुंचा देती है. भाजपा ने इस बार यहां वर्तमान सांसद गणेश सिंह को तो कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए राजाराम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. इस बार कांग्रेस का यह कार्ड कितना सफल होता है यह तो परिणाम बताएगा, मगर फिलहाल बसपा ने उसकी मुसीबत को बढ़ा दिया है.

मायावती की सभा के बाद बदला समीकरण

बसपा प्रमुख मायावती ने बीते दिनों रीवा में सभा लेकर दोनों संसदीय क्षेत्रों का समीकरण बदल दिया है. उनकी सभा के बाद यहां पर बसपा संगठन में फिर से सक्रियता दिखाई दी है. कार्यकर्ता में जोश भी बढ़ा है और पदाधिकारी भी सक्रिय हुए हैं. इसका फायदा दोनों ही स्थानों पर बसपा प्रत्याशियों को मिला है, जिसके चलते मुकाबला त्रिकोणीय हुआ है.

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