यहां दिग्गजों को करना पड़ रहा संघर्ष, बीजेपी और कांग्रेस के दो-दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं मैदान में
By राजेंद्र पाराशर | Published: April 25, 2019 08:21 AM2019-04-25T08:21:20+5:302019-04-25T08:32:26+5:30
मध्यप्रदेश में भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को मुरैना और नंदकुमार सिंह चौहान को खण्डवा-बुरहानपुर संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा है. दोनों ही वर्तमान सांसद है और दोनों ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे चुके हैं.
मध्यप्रदेश के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने दो-दो प्रदेश अध्यक्षों को चुनाव मैदान में उतारा है, जो जीत के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. तीन पूर्व अध्यक्षों को तो अपनों से ही जूझना पड़ रहा है, जबकि एक प्रदेश अध्यक्ष के लिए फिलहाल अपने एक मंच पर नजर आ रहे हैं.
मध्यप्रदेश में भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को मुरैना और नंदकुमार सिंह चौहान को खण्डवा-बुरहानपुर संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा है. दोनों ही वर्तमान सांसद है और दोनों ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे चुके हैं. इस लोकसभा चुनाव में हालात कुछ ऐसे निर्मित हो गए हैं कि दोनों को जीत के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
मुरैना में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को कांग्रेस के रामनिवास रावत टक्कर दे रहे हैं, साथ ही उनका गणित बसपा के उम्मीदवार करतार सिंह भड़ाना ने भी उन्हें परेशानी में डाल दिया है. यहां पर वर्तमान सांसद अनूप मिश्रा टिकट न मिलने से नाराज है. इसके अलावा स्थानीय भाजपा नेता और पदाधिकारी खासकर गुर्जर समाज तोमर की उम्मीदवारी से नाराज है. उनके सामने जातिगत समीकरण उलझ गया है.
वहीं खण्डवा-बुरहानपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के एक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के सामने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव मैदान में हैं. यहां पर दोनों ही के सामने अपनों का संकट खड़ा है. नंदकुमार सिंह चौहान के लिए पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस और उनके समर्थक परेशानी खड़ी कर रहे हैं.
चौहान लगातार संगठन को इस बात से अवगत करा रहे हैं, मगर चिटनिस समर्थकों की नाराजगी कम होती नजर नहीं आ रही है. वहीं क्षेत्र में भी इस बार मतदाता चौहान से खफा नजर आ रहा है. दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के सामने अपने ही परेशानी बन गए हैं. यादव को टिकट दिए जाने के पहले से ही क्षेत्र के नेता अपनी नाराजगी जता चुके थे.
खण्डवा जिले में पदाधिकारी तो खुलकर सड़क पर आ गए थे, जबकि बुरहानपुर से वर्तमान निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा यादव को टिकट दिए जाने से खासे नाराज है. यादव और कांग्रेस संगठन के मनाने पर भी वे अब तक नहीं माने हैं. यादव पर इस बात के लगातार आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपने प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान आपसी झगड़े बढ़ाए और पुराने कांग्रेस नेताओं को हासिए पर ला खड़ा किया.
दिग्विजय को करनी पड़ रही जमकर मेहनत
राजधानी भोपाल से कांग्रेस के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे दिग्विजय सिंह को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. सिंह के खिलाफ भाजपा ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है. इसके चलते संघ सीधे तौर पर दिग्विजय सिंह के खिलाफ मैदान में उतर आया है, जो सिंह के लिए समस्या बन गया है. भोपाल में सिंह के लिए अपने तो चुनौती नहीं है, मगर भाजपा संगठन संघ के निर्देश पर दिग्विजय सिंह के परेशानी बन गया है.
दिग्विजय सिंह की उम्मीदवारी से पहली बार भोपाल में यह देखने को मिल रहा है कि गुटों में बंटी कांग्रेस एक मंच पर दिखाई दे रही है. इसके अलावा सिंह समर्थक विधायक और मंत्री भी भोपाल में डेरा जमाए हुए हैं. दिग्विजय सिंह को इस बार भोपाल संसदीय क्षेत्र में जीत के लिए जमकर संघर्ष करना पड़ रहा है, कभी वे कर्मचारियों से माफी मांग रहे हैं, तो प्रतिदिन मंदिर-मंदिर जाना पड़ रहा है.