लोकसभा चुनावः इस संसदीय क्षेत्र का स्वरूप बदला लेकिन राजनीतिक चरित्र नहीं, बीजेपी प्रत्याशी के सामने अपनों का ही विरोध
By शिवअनुराग पटैरया | Updated: April 25, 2019 08:03 IST2019-04-25T08:03:26+5:302019-04-25T08:03:26+5:30
lok sabha election: विश्व धरोहरों वाले खजुराहो के नाम से पहचाने जाने वाले इस संसदीय क्षेत्र में 3 जिलों छतरपुर, पन्ना और कटनी के 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. शायद यह संसदीय क्षेत्र राज्य के चंद लोकसभा क्षेत्रों में होगा जो 3 जिलों तक विस्तारित है.

लोकसभा चुनावः इस संसदीय क्षेत्र का स्वरूप बदला लेकिन राजनीतिक चरित्र नहीं, बीजेपी प्रत्याशी के सामने अपनों का ही विरोध
मध्यप्रदेश ही नहीं देश दुनिया में प्रसिद्ध मंदिरों वाले, खजुराहो संसदीय क्षेत्र पर लंबे समय से भाजपा का ही कब्जा रहा है. 1991 से लेकर 2014 तक यहां से लगातार भाजपा के प्रत्याशी ही चुनाव जीतते रहे हैं. 2004 के चुनाव के बाद हुए संसदीय क्षेत्रों के पुनर्गठन के पश्चात इस क्षेत्र का स्वरूप तो बदल गया लेकिन राजनीतिक चरित्र नहीं. इसी कारण 2004 के बाद हुए 2009 और 2014 के आम चुनाव में भाजपा के प्रत्याशियों ने ही जीत दर्ज कराई. इस संसदीय क्षेत्र पर 6 मई को मतदान होने जा रहा है.
विश्व धरोहरों वाले खजुराहो के नाम से पहचाने जाने वाले इस संसदीय क्षेत्र में 3 जिलों छतरपुर, पन्ना और कटनी के 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. शायद यह संसदीय क्षेत्र राज्य के चंद लोकसभा क्षेत्रों में होगा जो 3 जिलों तक विस्तारित है. भाजपा ने इस संसदीय क्षेत्र से अपने प्रदेश संगठन महामंत्री बी.डी. शर्मा को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस की तरफ से राजनगर के कांग्रेस विधायक और महाराजा छत्रसाल के वंशज विक्रम सिंह नाती राजा की पत्नी कविता राजे सिंह प्रत्याशी हैं.
कटनी लोकसभा क्षेत्र से वैसे तो कई प्रत्याशी मैदान में हैं पर असली मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है. इन दोनों के अलावा सपा के प्रत्याशी वीरसिंह की मौजूदगी कई स्थानों पर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति पैदा कर रही है.
कांग्रेस प्रत्याशी कविता सिंह छतरपुर के राजपरिवार की सदस्य हैं और उनके पति नाती राजा तीन बार से राजनगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतते आ रहे हैं. उन्हें क्षेत्र के लगभग सभी कांग्रेसी गुटों का समर्थन मिल रहा है. इसके विपरीत भाजपा के प्रत्याशी बी.डी. शर्मा को बाहरी प्रत्याशी बताते हुए कटनी के पूर्व विधायक गिरिराज किशोर पोद्दार तो इस्तीफा तक दे चुके हैं.
इसके अलावा टिकट की दौड़ में शरीक सुकीर्ति जैन पन्ना के पूर्व भाजपा अध्यक्ष जयप्रकाश चतुर्वेदी, छतरपुर के सुधीर शर्मा और नंदिरा पाठक जैसे उन लोगों का समर्थन नहीं मिल रहा है. बीडी शर्मा के सामने सबसे बड़ी समस्या उनका बाहरी होना है. खजुराहो संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए जाने के पूर्व बीडी शर्मा को भोपाल और मुरैना संसदीय क्षेत्र से भी प्रत्याशी बनाए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन मुरैना से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाए जाने और भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर दिग्विजय सिंह की मौजूदगी के बाद उन्हें संघ के दखल से खजुराहो से भाजपा प्रत्याशी बनाया गया.
भाजपा के संगठन और संघ को यह बात भलीभांति मालूम है इसलिए जब बी.डी. शर्मा का नामांकन दाखिल करवाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पन्ना पहुंचे तो उन्होंने सभी टिकट मांग रहे भाजपा नेताओं को एक साथ बैठाकर बातचीत की और इसके बाद एक जुलूस के तौर पर पहुंचकर नामांकन दाखिल किया. संघ और संगठन के द्वारा की जा रही कोशिशों के बावजूद भी भाजपा के नाराज स्थानीय नेता घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इसके कारण भाजपा ने संघ को आगे करते हुए प्रचार अभियान को प्रारंभ किया है.
भाजपा प्रत्याशी के विपरीत कांग्रेस प्रत्याशी कविता सिंह छतरपुर राज परिवार की राज परंपरा के प्रति सम्मान के सहारे मैदान में हैं. वे इस समय खजुराहो नगर पंचायत की अध्यक्ष भी हैं. वे यह बताना नहीं भूलती हैं कि उनके कार्यकाल में खजुराहो में भरपूर काम हुए हैं. वहीं उनके पति विक्रम सिंह नाती राजा के कार्यकाल के दौरान राजनगर विधानसभा क्षेत्र में विरोधी दल की सरकार होने के बावजूद भी पर्याप्त कामकाज हुए हैं.
चुनावी इतिहास
खजुराहो संसदीय क्षेत्र से 1991 से लेकर 2014 तक लगातार भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे हैं. 1991 1996 और 1998 में लगातार उमा भारती ने इस क्षेत्र से जीत दर्ज कराई. 1999 में अखंड प्रताप सिंह, 2004 में रामकृष्ण कुसमरिया, 2009 में जितेन्द्र सिंह बुंदेला और 2014 में नागेंद्र सिंह ने जीत दर्ज कराई थी.