लोकसभा चुनावः बढ़े मतदान ने बढ़ाई चिंता, भोपाल में पड़ा अब तक का सर्वाधिक वोट

By शिवअनुराग पटैरया | Published: May 14, 2019 05:23 AM2019-05-14T05:23:34+5:302019-05-14T05:23:34+5:30

राजनीतिक दलों और लोगों में सबसे ज्यादा चिंता, भोपाल संसदीय क्षेत्र में हुए भारी मतदान को लेकर है. भोपाल संसदीय क्षेत्र में आज तक के इतिहास में सर्वाधिक 65.65 प्रतिशत पड़े है.

lok sabha election: highest voting in madhya pradesh bjp congress seats | लोकसभा चुनावः बढ़े मतदान ने बढ़ाई चिंता, भोपाल में पड़ा अब तक का सर्वाधिक वोट

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Highlightsमध्यप्रदेश में तीसरे चरण में बढ़े हुए मतदान ने राजनीतिक दलों को चिंता में डाल दिया है.भोपाल संसदीय क्षेत्र में आपातकाल के बाद हुए 1977 के आम चुनाव में 61.76 और 1999 में भाजपा के द्वारा उमाभारती को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद 61.88 प्रतिशत मतदान हुआ था.इस बार कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह और भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच मुकाबला है.

मध्यप्रदेश में तीसरे चरण में बढ़े हुए मतदान ने राजनीतिक दलों को चिंता में डाल दिया है. बीते रविवार को राज्य के आठ संसदीय क्षेत्रों मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में 65.25 फीसदी मतदान हुआ, जबकि 2014 में इन्हीं संसदीय क्षेत्रों में 56.81 फीसदी मतदान हुआ था. इस तरह पिछले चुनाव की तुलना में 8.44 फीसदी ज्यादा वोट पड़े. चुनावी मैदान में उतरे दोनों बड़े दल, बढ़े हुए मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं.

तीसरे चरण में राज्य के जिन आठ संसदीय क्षेत्रों में मतदान हुआ, उनमें मुरैना में 61.97 प्रतिशत, भिंड में सबसे कम 54.53 प्रतिशत, गुना में 70 प्रतिशत, सागर में 65.48 प्रतिशत, विदिशा में 71.65 प्रतिशत, भोपाल में 65.65 प्रतिशत और राजगढ़ में 74.32 प्रतिशत वोट पड़े. इन सभी संसदीय क्षेत्रों में वर्ष 2009 और 2014 के चुनावों में इससे कम वोट पड़े थे.

राजनीतिक दलों और लोगों में सबसे ज्यादा चिंता, भोपाल संसदीय क्षेत्र में हुए भारी मतदान को लेकर है. भोपाल संसदीय क्षेत्र में आज तक के इतिहास में सर्वाधिक 65.65 प्रतिशत पड़े है. इसके पूर्व सिर्फ दो बार 1977 और 1999 के लोकसभा चुनाव में दोबारा साठ फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई थी और दोनों ही बार गैर कांग्रेसी प्रत्याशी जीते. 

भोपाल संसदीय क्षेत्र में आपातकाल के बाद हुए 1977 के आम चुनाव में 61.76 और 1999 में भाजपा के द्वारा उमाभारती को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद 61.88 प्रतिशत मतदान हुआ था. तब 1977 में जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर जनता पार्टी के प्रत्याशी आरिफ बेग ने 63.35 प्रतिशत वोट पाकर कांग्रेस के डॉ. शंकर दयाल शर्मा को पराजित किया था. कुछ इसी तरह 1999 में भाजपा की उमाभारती ने कांग्रेस के सुरेश पचौरी को पराजित किया था. जब उमा भारती को 61.88 प्रतिशत मत मिले थे. 

इस बार कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह और भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच मुकाबला है. दोनों ही प्रत्याशियों ने यह चुनाव स्थानीय मुद्दों के स्थान पर भगवा अंदाज में लड़ा है. कौन किसको पराजित करता है, यह 23 मई को मतगणना के बाद ही तय होगा, पर इस बार मुद्दे पीछे छूट गए, चुनाव भगवा लहर पर सवार होकर आगे बढ़ा.

तीन चुनावों का मत प्रतिशत

मुरैनाः 2009 में 49.58%, 2014 में 50.24%, 2019 में 61.97%
भिंड (अजा)ः  2009 में 34.88%, 2014 में 45.63%, 2019 में 54.53%
ग्वालियरः 2009 में 40.46%, 2014 में 52.73%, 2019 में 59.80%
गुनाः 2009 में 62.60%, 2014 में 60.77%, 2019 में 70%
सागरः 2009 में 48.32%, 2014 में 58.61%, 2019 में 65.48%
विदिशाः 2009 में 42.95%, 2014 में 65.63%, 2019 में 71.65%
भोपालः 2009 में 44.69%, 2014 में 57.79%, 2019 में 65.65%
राजगढ़ः 2009 में 51.44%, 2014 में 64.00%, 2019 में 74.32%
कुलः 2009 में 46.29%, 2014 में 56.81%, 2019 में 65.25%

Web Title: lok sabha election: highest voting in madhya pradesh bjp congress seats



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