यहां BJP के गढ़ में सेंध लगाना बना चुनौती, संघ की रणनीति के कारण खड़ी हुई परेशानी
By राजेंद्र पाराशर | Published: May 5, 2019 08:06 AM2019-05-05T08:06:44+5:302019-05-05T11:11:48+5:30
मध्य प्रदेश लोकसभा चुनावः रीवा में जनार्दन मिश्रा का भाजपा में खासा विरोध है, यहां पर कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए सिद्धार्थ तिवारी को मैदान में उतारा है. सिद्धार्थ का यह पहला चुनाव है, कांग्रेस यहां सहानुभूति लहर चलाकर जीत हासिल करना चाह रही है.
मध्यप्रदेश में भाजपा के गढ़ों में सेंध लगाना कांग्रेस के लिए चुनौती बना हुआ है. इन गढ़ों में भाजपा प्रत्याशियों का जमकर विरोध भी है, मगर कांग्रेस को यहां पर भाजपा संगठन के अलावा संघ की रणनीति के कारण परेशानी खड़ी हो रही है. मध्यप्रदेश में दूसरे चरण के लिए जिन सात संसदीय क्षेत्रों रीवा, सतना, खजुराहो, टीकमगढ़, दमोह, बैतूल, होशंगाबाद में सोमवार को मतदान होना है, वे सभी भाजपा के गढ़ बन चुके हैं.
इन संसदीय क्षेत्रों में भाजपा को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने रणनीति तो बनाई, मगर उस रणनीति पर सफल होती नजर कम ही आ रही है. कांग्रेस को इन क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों को विरोध के बाद भी सेंधमारी करना चुनौती बना हुआ है. इन सभी संसदीय क्षेत्रों में संघ सक्रिय है और अपनी रणनीति पर काम कर रहा है. इसके चलते कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हुई है.
रीवा में जनार्दन मिश्रा का भाजपा में खासा विरोध है, यहां पर कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए सिद्धार्थ तिवारी को मैदान में उतारा है. सिद्धार्थ का यह पहला चुनाव है, कांग्रेस यहां सहानुभूति लहर चलाकर जीत हासिल करना चाह रही है.
सतना में सांसद गणेश सिंह को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी के यहां पर अपने ही चुनौती बने हैं. कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाह नाराज थे, वे बेमन से मैदान में नजर आ रहे हैं. इसके अलावा कई स्थानीय नेता भी दूरी बनाए हुए हैं.
खजुराहो में संघ ने भाजपा प्रत्याशी बी.डी. शर्मा के समर्थन में मोर्चा संभाला है. शर्मा को यहां बाहरी प्रत्याशी बताकर भाजपा के नेता विरोध कर रहे थे, मगर संघ ने अंतिम दौर में माहौल को बदलने का प्रयास किया, जिसके चलते कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो गई. केन्द्रीय मंत्री उमा भारती भी यहां लगातर प्रचार में जुटी हैं. वहीं टीकमगढ़ में वीरेन्द्र खटीक का भी बाहरी बताकर विरोध किया जा रहा था, मगर किरण अहिरवार की राह में सपा प्रत्याशी रामदयाल अहिरवार परेशानी खड़ी कर रहे हैं.
दमोह में जातिवाद के चलते दोनों दलों ने लोधी समाज को नेता को प्रत्याशी बनाया है. प्रहलाद पटेल के सामने कांग्रेस के प्रताप सिंह लोधी मैदान में है. यहां पर भी बाहरी का मुद्दा बना और पटेल का विरोध हुआ, मगर लोधी समाज के वोट बंटने से कांग्रेस के लिए मुसीबत नजर आ रही है.
होशंगाबाद में निर्विवाद चेहरे शैलेन्द्र दीवान पर कांग्रेस ने भरोसा जताया, मगर यहां पर भाजपा के राव उदयप्रताप सिंह मैदान में है. भाजपा के इस गढ़ को भेदने के लिए कांग्रेस खूब मेहनत कर रही है. बैतूल संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने वर्तमान सांसद ज्योति धुर्वे का टिकट काटकर दुर्गादास उइके पर भरोसा जताया. यहां भी संघ की प्रतिष्ठा दांव पर है. कांग्रेस ने युवा चेहरे के रुप में यहां पर रामू टेकाम को मैदान में उतारा है. बैतूल संसदीय क्षेत्र भी भाजपा का गढ़ रहा है.