लोकसभा चुनाव 2019: मध्य प्रदेश में दिग्गजों को उनके गढ़ में नहीं घेर पाई बीजेपी
By राजेंद्र पाराशर | Published: April 26, 2019 08:36 AM2019-04-26T08:36:06+5:302019-04-26T08:36:06+5:30
अमित शाह का साफ कहना था कि कांग्रेस के तीनों गढ़ों गुना-शिवपुरी, छिन्दवाड़ा और रतलाम-झाबुआ में वे ऐसे प्रत्याशी देंगे कि ये तीनों दिग्गज अपने गढ़ों से बाहर न जा सकें. इसके लिए शाह उत्तर प्रदेश से स्वतंत्रदेव सिंह को मध्य प्रदेश लाये.
मध्य प्रदेश में भाजपा ने कांग्रेस के दिग्गजों कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांतिलाल भूरिया को उनके गढ़ में घेरने की बातें तो की, मगर घेर नहीं पाई. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इसके लिए राज्य में स्वतंत्रदेव सिंह को कमान सौंपी थी, मगर वह भी ऐसे प्रत्याशी नहीं दे पाए जो कांग्रेस के तीनों दिग्गजों को उनके गढ़ में घेर सके और ये दिग्गज दूसरे क्षेत्रों में सक्रियता नहीं दिखा सकें.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 2018 में विधानसभा चुनाव के पहले भोपाल में कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए यह कहा था कि इस बार भाजपा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशियों को कमजोर प्रत्याशी नहीं देगी.
अमित शाह का साफ कहना था कि कांग्रेस के तीनों गढ़ों गुना-शिवपुरी, छिन्दवाड़ा और रतलाम-झाबुआ में वे ऐसे प्रत्याशी देंगे कि ये तीनों दिग्गज अपने गढ़ों से बाहर न जा सकें. इसके लिए शाह उत्तर प्रदेश से स्वतंत्रदेव सिंह को मध्य प्रदेश लाये. सिंह तीनों लोकसभा क्षेत्रों में जाते रहें, उनके साथ प्रभात झा ने भी दौरे किए मगर अंतिम दौर में वे तीनों दिग्गजों को टक्कर देने वाले प्रत्याशी नहीं खोज सकें.
हालात यह बने कि कमलनाथ पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया यूपी में सक्रियता दिखा रहे हैं. स्वतंत्रदेव सिंह के लिए छिन्दवाड़ा में मौका जरूर था जहां इस बार कमलनाथ ख़ुद चुनाव नहीं लड़ रहे थे, उन्होंने यहां से अपने बेटे नकुलनाथ को मैदान में उतारा है लेकिन बीजेपी को यहां उम्मीदवार नहीं मिला और नाथन शाह को यहां से टिकट दे दिया गया.
इसी तरह गुना में भी पार्टी दमदार प्रत्याशी नहीं उतार पाई. भाजपा ने यहां कांग्रेस से आये डॉ के.पी. यादव पर दांव लगाया.
भाजपा रतलाम-झाबुआ में ऐसा प्रत्याशी नहीं खोज पाई जो कांतिलाल भूरिया को टक्कर दे सके. अंत में भाजपा को यहां विधायक गुमान सिंह डामोर पर दांव लगाना पड़ा.