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लोकसभा चुनावः अपनों के विरोध से परेशान बीजेपी-कांग्रेस, दोनों ही पार्टियां नहीं रोक पा रहीं नाराजगी

By राजेंद्र पाराशर | Updated: April 24, 2019 09:07 IST

लोकसभा चुनाव मध्य प्रदेशः भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अपनों से जूझ रहे हैं, इसके चलते अब तक नाराज नेताओं को मनाने में दोनों ही दल असफल रहे हैं. भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नाराज लोगों को मनाने की कोशिश की, मगर वे भी असफल रहे हैं.

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मध्यप्रदेश में पहले चरण का मतदान समीप है और भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही दल अपनों के विरोध से घिरते जा रहे हैं. भाजपा में इस बार विरोध ज्यादा नजर आ रहा है, जिसे भाजपा के वरिष्ठ नेता संभाल नहीं पा रहे हैं. अब तक भाजपा ने पार्टी छोड़कर निर्दलीय मैदान में उतरे दो नेताओं पर निष्कासन की गाज गिरा दी है, मगर विरोध थम नहीं रहा है, खुद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसे चाहकर नहीं रोक पा रहे हैं. वहीं कांग्रेस में नाराज विधायक चिंता का कारण बन रहे हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद नाराज लोगों को मना रहे हैं, मगर कुछ तो अब भी नाराज नजर आ रहे हैं.

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अपनों से जूझ रहे हैं, इसके चलते अब तक नाराज नेताओं को मनाने में दोनों ही दल असफल रहे हैं. भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नाराज लोगों को मनाने की कोशिश की, मगर वे भी असफल रहे हैं. इसके अलावा संगठन के पदाधिकारी भी नाराजगी को दूर नहीं कर पाए हैं. जिसके चलते करीब एक दर्जन सीटों पर भाजपा को नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. 

भाजपा ने बालाघाट में निर्दलीय मैदान में उतरे बोधसिंह भगत के बाद सपा में चले गए आर.डी. प्रजापति को भी निष्कासित कर दिया, मगर नाराजगी को दूर नहीं कर पाई है. अब सागर लोकसभा सीट पर नाराज चल रहे मुकेश जैन ढ़ाना ने आज जैन समाज के समर्थन में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन भर दिया है. उमा समर्थक मुकेश जैन को भी भाजपा नहीं मना पा रही है.

कांग्रेस में भी अपने विधायक खफा है. जयस के संरक्षक डा. हीरा अलावा नाराज चल रहे हैं, जिसके चलते जयस ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं. जयस बैतूल में भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने को लेकर मंथन कर रहा है, जो कांग्रेस के लिए और चिंता का कारण बन सकता है. वहीं सतना में कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाह नाराज होकर घर बैठ गए हें. 

कुशवाह सतना से अपनी पत्नी का टिकट चाह रहे थे, मगर पार्टी ने वहां राजाराम त्रिपाठी को प्रत्याशी बना दिया है. इसके चलते कांग्रेस के लिए यहां भी मुसीबत खड़ी हो गई है. वहीं खण्डवा-बुरहानपुर संसदीय क्षेत्र में अरुण यादव को अपनों की नाराजगी से जूझना पड़ रहा है. खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ इसे रोकना चाहते हैं, मगर नहीं रोक पा रहे हैं. विदिशा में पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल भी निर्दलीय नामांकन भरने पहुंचे थे, वे मुख्यमंत्री के कहने पर बमुश्किल माने हैं. उन्हें मंत्री जीतू पटवारी को भेजकर कलेक्टर कार्यालय से वापस बुलवाना पड़ा है. कांग्रेस में भी करीब एक दर्जन स्थानों पर अपने ही विधायक, पदाधिकारी और कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं.

टॅग्स :लोकसभा चुनावमध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव 2019कांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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