लोकसभा चुनाव 2019: पूनम सिन्हा सपा में, लखनऊ सीट पर कायस्थ-सिंधी वोटों के सहारे राजनाथ को मात देने की तैयारी
By विनीत कुमार | Published: April 16, 2019 04:28 PM2019-04-16T16:28:50+5:302019-04-16T16:44:25+5:30
लखनऊ पिछले करीब तीन दशक से बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है। यहां 1991 से लेकर 2004 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सांसद रहे।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ से बीजेपी के राजनाथ सिंह ने मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इस सीट पर नामांकन की आखिरी तारीख 18 अप्रैल है और इससे ठीक पहले बीजेपी के बागी नेता और हाल में कांग्रेस में गये शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा के समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने की खबर आ गई।
लखनऊ की सीट से राजनाथ के खिलाफ विपक्ष की ओर से चुनावी मैदान में कौन उतरेगा, इसे लेकर लंबे समय तक उलझन की स्थिति बनी रही। हालांकि, यह जरूर है कि अटकलों की सुई घूमकर बार-बार पूनम सिन्हा के नाम पर जाकर टिक जाती थी। अब यह साफ हो गया है कि राजनाथ को चुनौती बतौर सपा-बसपा गठबंधन की उम्मीदवार पूनम ही देंगी और कांग्रेस वहां अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारकर उन्हें समर्थन देगी।
लखनऊ में पूनम पर क्यों लगाया विपक्ष ने दांव
लखनऊ में राजनाथ सिंह विपक्ष के लिए कठिन चुनौती हैं और ऐसे में जानकार मानते हैं कि पूनम के चयन के पीछे जाति का समीकरण अहम कारण है। लखनऊ में करीब 4 लाख कायस्थ वोटर, 1.3 लाख सिंधी और 3.5 लाख मुस्लिम वोटर हैं। पूनम खुद एक सिंधी हैं और उनके पति शत्रुघ्न सिंह कायस्थ हैं। ऐसे में सपा-बसपा गठबंधन को उम्मीद है कि इस जाति समीकरण का फायदा पूनम सिन्हा को मिलेगा। माना जा रहा है कि पूनम 17 अप्रैल को अपना नामांकन इस सीट से दाखिल करेंगी।
पूनम यादव के बारे में
साल 1968 में मिस यंग इंडिया का ताज और फिर हिंदी फिल्मों में अपने छोटे से सफर के बावजूद पूनम जाना-पहचाना नाम हैं। पूनम का जन्म हैदराबाद में हुआ और वह सिंधी परिवार से आती हैं। फिल्मी पर्दे की बात करें तो पूनम आखिरी बार 2008 में 'जोधा-अकबर' में नजर आई थीं।
लखनऊ रहा है बीजेपी का गढ़
लखनऊ पिछले करीब तीन दशक से बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है। यहां 1991 से लेकर 2004 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सांसद रहे जबकि 2009 में लालजी टंडन और 2014 राजनाथ सिंह ने बाजी मारी। ऐसे में पूनम सिन्हा के लिए यहां मुकाबला आसान नहीं होने वाला है।