लोकसभा चुनाव 2019: पीलीभीत के भड़काऊ भाषण से लेकर गरीबों के घर निर्माण तक, कितनी बदल गई वरुण गांधी की राजनीति?
By विकास कुमार | Published: April 10, 2019 05:42 PM2019-04-10T17:42:45+5:302019-04-10T17:42:45+5:30
अटल-आडवाणी से प्रभावित हो कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले वरुण गांधी लंदन स्कूल ऑफ़ इकॉनोमिक्स से पढ़े हैं. अर्थव्यवस्था पर गहरी पकड़ रखने वाले एक विकासशील युवा की छवि ये आज की हकीकत है.
दोनों हांथ उठा कर बोलो... जोर से बोलो... जय श्री राम... जय श्री राम, मेरे राज में मेरे समय में अगर किसी आदमी ने हिन्दुओं के ऊपर हांथ उठाया तो मैं गीता की कसम खा कर कहता हूँ.. मैं उस हांथ को काट डालूंगा. इसके अलावा कई मुस्लिम विरोधी बयान थे जिसे वरुण गांधी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में पीलीभीत में दिया था. इस बयान के बाद वरुण गांधी की चर्चा मीडिया के जरिये पूरे देश में हुई. संजय गांधी के बेटे होने के कारण लोगों को उनके बयान से कोई ख़ास हैरानी नहीं हुई.
हिन्दू ह्रदय सम्राट की शुरूआती छवि
पीलीभीत से अपना चुनावी सफ़र शुरू करने वाले संजय और मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी ने खुद को भारतीय राजनीति में स्थापित करने के लिए परंपरागत बीजेपी स्टाइल को अपनाया. हिन्दू ह्रदय सम्राट की छवि को हथियाने की होड़ उस वक्त के वरुण गांधी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की एक सीढ़ी रही होगी. 2009 में इस सीट पर वरुण गांधी ने 3 लाख से ज्यादा वोटों से अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को हराया. मायावती ने भड़काऊ भाषण देने के कारण उन पर रासुका भी लगाया जिसे चुनाव बाद हटा लिया गया.
अटल-आडवाणी से प्रभावित वरुण गांधी
अटल-आडवाणी से प्रभावित हो कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले वरुण गांधी लंदन स्कूल ऑफ़ इकॉनोमिक्स से पढ़े हैं. अर्थव्यवस्था पर गहरी पकड़ रखने वाले एक विकासशील युवा की छवि ये आज की हकीकत है. कभी सांसदों को अपना वेतन-भत्ता छोड़ने का साहसी बयान देना हो या मोदी सरकार के दौरान रोज़गार मुक्त जीडीपी के बारे में लेख लिखना हो, वरुण गांधी ने इस दौर में अपनी छवि को इकोनॉमिस्ट पॉलिटिशियन के रूप में पेश किया है.
वरुण गांधी के विकास कार्य
वरुण गांधी ने 2014 लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से चुनाव लड़ा था. सुल्तानपुर में उन्होंने गरीबों के लिए 300 घर अपने निजी खर्चे से बनवाए और बाकी 700 घर क्राउड फंडिंग से बनवाया. उन्होंने जिला अस्पताल का निर्माण करवाया जो तमाम आधुनिक मेडिकल सुविधाओं से लैस है. वरुण गांधी ने मीडिया को कहा था कि यह इस तरह का यूपी में पहला जिला अस्पताल है. उन्होंने इसके लिए कई निजी संगठनों से मदद ली. उनका यह प्रयास दिखाता है कि कैसे कोई सांसद अपने सीमित संसाधनों में क्षेत्र को विकास के एक मॉडल के रूप में स्थापित कर सकता है.
वरुण गांधी के लिखे आर्टिकल कई इंग्लिश और हिंदी समाचार पत्रों में छपते हैं. इनमें ईमानदार आर्थिक समीक्षा होती है जो उन्हें आज के दौर में विचारशील और गंभीर युवा नेता की छवि प्रदान करती है. वरुण गांधी आज नए इंडिया की बात मजबूती से रख रहे हैं. वरुण गांधी एक बार फिर लौट कर पीलीभीत गए हैं. सुल्तानपुर से मेनका गांधी चुनाव लड़ेंगी. क्योंकि अमेठी से नजदीक होने के कारण पार्टी ने उन्हें वहां भेजा है.