लोकसभा चुनाव 2019: क्या शत्रुघ्न सिन्हा फिल्मों की तरह राजनीति में भी डबल रोल निभा पाएंगे?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 29, 2019 07:52 PM2019-04-29T19:52:49+5:302019-04-29T19:52:49+5:30
लोकसभा चुनाव 2019: कालीचरण, विश्वनाथ, काला पत्थर, क्रांति जैसी कई फिल्में और 'खामोश.... श्याम से कहना, छेनू आया था' जैसे हिट डायलॉग्स से शत्रुघ्न सिन्हा ने बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई. फिर उसी स्टारडम ने उन्हें राजनीति में लाकर सांसद और केन्द्रीय मंत्री बना दिया.
फिल्मी पर्दे पर डबल रोल निभाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा को चुनावी लड़ाई में भी डबल रोल में आना पडा है. पटना में वे पार्टी धर्म को निभा ही रहे हैं, लेकिन लखनऊ में पार्टी धर्म के विपरीत पत्नी धर्म भी निभाना है. ऐसे में अब सवाल यह है कि क्या फिल्मों की तरह राजनीति में भी शत्रुघ्न सिन्हा डबल रोल निभाएंगे? वह कहते हैं कि लखनऊ में वह पति धर्म निभाएंगे और पटना साहिब में पार्टी धर्म. कल तक जिस भाजपा के साथ रहे, वही भाजपा उन्हें नसीहत दे रही है कि चुनाव में जनता सिर्फ एक चरित्र ही देखना चाहती है.
यहां उल्लेखनीय है कि शुरू से अबतक भाजपा के साथ शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्मों की तरह राजनीति में भी सफलता पाई और सांसद से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक का सफर तय कर लिया, लेकिन 2019 के चुनाव में शॉटगन की पॉलीटिकल स्क्रिप्ट और उनका किरदार दोनों ही बदल चुके हैं. अब शत्रु कांग्रेस के साथ हैं और पटना साहिब से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. लेकिन, इसी चुनाव में उनकी पत्नी पूनम सिन्हा समाजवादी पार्टी के टिकट से उत्तर प्रदेश के लखनऊ से लड़ रही हैं. उनके विरोध में भाजपा से गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अलावा कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद कृष्णम भी हैं.
कालीचरण, विश्वनाथ जैसे हिट फिल्मों ने बॉलीवुड में बनाई जगह
कालीचरण, विश्वनाथ, काला पत्थर, क्रांति जैसी कई फिल्में और 'खामोश.... श्याम से कहना, छेनू आया था' जैसे हिट डायलॉग्स से शत्रुघ्न सिन्हा ने बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई. फिर उसी स्टारडम ने उन्हें राजनीति में लाकर सांसद और केन्द्रीय मंत्री बना दिया. लेकिन, पिछले कुछ समय से बीजेपी से उनका मोहभंग हुआ और 2019 के लोकसभा चुनाव आते आते कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाकर पटना साहिब से अपना उम्मीदवार बना दिया.
पत्नी पूनम सिन्हा के रोड शो के बाद मचा बवाल
लेकिन, इसी बीच उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी ने शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को भाजपा के राजनाथ सिंह के सामने खड़ा कर सबको चौंका दिया. देश का राजनीतिक गलियारा तो उससे अधिक तब चौंका जब शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पत्नी और समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार पूनम सिन्हा के नॉमिनेशन में जा पहुंचे और रोड शो कर समाजवादी पार्टी के पक्ष में वोट अपील कर दी.
यही नही शत्रुघ्न सिन्हा ने भी सपा के मुखिया अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री पद के सबसे योग्य बता दिया. जबकि, कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी पार्टी के घोषित प्रधानमंत्री उम्मीदवार हैं. वह भी तब जब यूपी में कांग्रेस समाजवादी पार्टी के खिलाफ चुनाव में है और वे कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं. लेकिन, फिर लखनऊ में उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ और अपनी पत्नी और समाजवादी उम्मीदवार के लिए वोटरों से समर्थन मांगा.
शत्रुघ्न सिन्हा के लिए बिहार कांग्रेस में भी सबकुछ ठीक नहीं है और न ही पटना साहिब के जरिए संसद का रास्ता उनके लिए इतना आसान रहेगा. उम्मीदवार घोषित होने के बाद कांग्रेसियों ने सदाकत आश्रम में पहली बार आए अपने ‘शत्रु’ का इतना विरोध किया कि विरोधियों को काबू में करने के लिए पुलिस तक बुलानी पडी. ऐसे में पटना साहिब की लड़ाई के बीच कांग्रेसी उम्मीदवार के रोल और लखनऊ जाकर पार्टी धर्म को त्यागकर पतिधर्म निभाने के रोल यानि अपने इस डबल रोल को शॉटगन कितना और किस हदतक निभा पाएंगे. कहना मुश्किल है, क्योंकि पिक्चर तो अभी बाकी है.
विवादों में फंसते रहे हैं शत्रुघ्न सिन्हा
शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा में रहते हुए भी ऐसे विवादों में फंसते रहे थे. भाजपा में पार्टी लाइन के खिलाफ उनके बयान चर्चा में रहते आए थे. नोटबंदी व जीएसटी सहित उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई नीतियों की आलोचना की थी. भाजपा में रहते हुए वे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मिलते रहे. जब जदयू महागठबंधन का घटक दल था, वे आए दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलते थे, लेकिन जदयू के राजग में शामिल होने के बाद उनकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकातें कम होतीं गईं. भाजपा में रहते हुए शत्रुघ्न सिन्हा विपक्ष की रैलियों में भी शिरकत करते रहे.