ग्राउंड रिपोर्ट: गोद लिए गांव के लोगों का छलका दर्द- वोट वीके सिंह को नहीं, मोदी को देंगे

By रोहित कुमार पोरवाल | Published: March 31, 2019 04:36 PM2019-03-31T16:36:43+5:302019-03-31T16:36:43+5:30

वीके सिंह के काम की चर्चा करते ही मीरपुर हिंदू गांव के ही रहने वाले एक युवा मुकुल त्यागी का चेहरा सुर्ख हो आया और उन्होंने कहा, ''एक काम करो सांसद जी, बीजेपी पार्टी से मत लड़ो.. जब उन्हें इतना विश्वास है..

Lok Sabha Election 2019: Mirpur Hindu Village People Say will Vote for Narendra Modi not for VK Singh | ग्राउंड रिपोर्ट: गोद लिए गांव के लोगों का छलका दर्द- वोट वीके सिंह को नहीं, मोदी को देंगे

लोकसभा चुनाव से पहले लोकमत न्यूज ने बीजेपी सांसद वीके सिंह द्वारा गोद लिए गए गांव मीरपुर हिंदू का जायजा लिया।

Highlightsबीजेपी सांसद वीके सिंह के गोद लिए गांव के लोग उनसे नाखुशवीके सिंह नहीं, पीएम मोदी के नाम पर वोट देने की बात कही

लोकसभा चुनाव करीब हैं। बीजेपी ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और गाजियाबाद से सांसद वीके सिंह को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी सांसद ने गाजियाबाद में ही लोनी के पास सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत मीरपुर हिंदू गांव को गोद लिया था। लोकमत न्यूज ने वीके सिंह द्वारा गोद लिए गए गांव का जायजा लिया और लोगों की प्रतिक्रियाएं जुटाईं। लोगों का कहना है कि सांसद जी ने आदर्श ग्राम जैसा कोई काम नहीं किया है। स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं करा पाए। उनका वोट वीके सिंह को नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है।  

वीके सिंह के काम की चर्चा करते ही मीरपुर हिंदू गांव के ही रहने वाले एक युवा मुकुल त्यागी का चेहरा सुर्ख हो आया और उन्होंने कहा, ''एक काम करो सांसद जी, बीजेपी पार्टी से मत लड़ो.. जब उन्हें इतना विश्वास है.. पांच साल रह गए वे.. पांच साल वो सत्ता में रहे हैं.. अगर उन्हें इतना विश्वास है कि मैं खुद जीत जाऊंगा तो एक काम करो बीजेपी छोड़ जाओ.. निर्दलीय लड़ लो.. विश्वास हो जाएगा भई मेरे लिए कितना काम करा है, कितना नहीं.. ये वोट जो जा रही है पब्लिक की.. किसी की भी जा रही हो ये सिर्फ मोदी को जा रही है। इसमें अगर कोई और आ जाता.. वीके सिंह की जगह कोई और भी खड़ा होता उस समय भी वोट मोदी को ही जाता। सांसद जी को वोट नहीं है।''

गांव के सरकारी अस्पताल में ताला लगा रहता है।
गांव के सरकारी अस्पताल में ताला लगा रहता है।

'प्रधान जी नहीं होने दे रहे काम'

गांव के ही आनंद नाम के शख्स ने वीके सिंह को नहीं, बल्कि ग्राम प्रधान मोनू त्यागी को कसूरवार ठहराया। उन्होंने कहा, ''सांसद जी तो आदर्श गांव बना रहे हैं लेकिन हमारे यहां के प्रधान नहीं बनने दे रहे हैं। वह जो करने का भेजते हैं.. उसे ये नहीं करते हैं, उसको रोककर बैठ जाते हैं। गांव के एक हिस्से को छोड़कर दूसरे हिस्से पर ध्यान दे रहे हैं।'' 

हमें गांव में कई जगह ऐसे बोर्ड लगे मिले जिन पर प्रधान मोनू त्यागी का नाम और मोबाइल नंबर लिखा मिला। उनके मोबाइल नंबर के जरिये हमने संपर्क करना चाहा लेकिन बात नहीं हो पाई। एक बार फोन काट दिया गया और एक बार उठाया नहीं गया। प्रधान के किसी करीबी ने बताया कि वह गांव से बाहर गए हैं।  

रविंदर त्यागी ने हमें बताया कि आदर्श गांव जैसा तो कुछ भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ''अलग से यहां कोई सुविधा नहीं हुई। न कोई इंटर कॉलेज बना न डिग्री कॉलेज। लड़कियां पढ़ने के लिए दूर जाती हैं। गांव में कोई स्वास्थ्य केंद्र ऐसा नहीं है जहां इलाज हो सके, यहां से 20-25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है इलाज कराने के लिए, चाहे जब तक मरीज मर जाए.. और अलग से कोई योजना नहीं है जी..। बिजली आ रही है, शिक्षा और स्वास्थ्य का ज्यादा अभाव हैं यहां जी..।''

समय सिंह ने कहा, ''हमारे गांव में स्कूल की मान्यता के लिए कहा गया था लेकिन अब तक मिली नहीं। अब लड़कियां बाहर पढ़ने जाती हैं तो डर लगा रहता है। किसी की टांग टूटकर आती है किसी को पैर। चुनाव में मोदी को सपोर्ट करेंगे 101 परसेंट... वीके सिंह को नहीं, मोदी को सपोर्ट करेंगे।''

देवेंदर सिंह ने कहा, ''आदर्श गांव आप जाकर देख लो वहा खंभे पर लाइट नहीं किसी पर भी। वीके सिंह के नाम से वोट नहीं मिल रही है.. वोट मिल रही है मोदी के नाम से..।''

'नालियों की सफाई नहीं होती'

मीरपुर हिंदू गांव की ही रहने वाली मौसीना नाम की गृहणी ने बताया, ''यहां ये रोड भी खुदे पड़े हैं जगह-जगह और नालियों की सफाई भी नहीं हो रही है.. स्कूल चाहिए हमें बारहवीं तक का.. हमारी बेटियां कहां जाएं.. अस्पताल यहां है नहीं.. अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं आता है.. हम बच्चों को लिए फिरते हैं.. कभी लोनी ले जाते हैं कभी गाजियाबाद या शाहदरा ले जाते हैं.. बताओ यहां हमारे सरकारी अस्पताल और स्कूल नहीं चाहिए? 

ग्रामीण
ग्रामीण

गांव के ही बुजुर्ग रईसुद्दीन आंखों से देख नहीं सकते हैं लेकिन उन्होंने अपनी शिकायत हमसे साझा की। उन्होंने कहा, ''दिक्कत क्या है कि सवारी का साधन यहां नहीं मिलता है.. अस्पताल यहां नहीं, डॉक्टर कोई यहां नहीं आता.. सुनता यहां कोई किसी की नहीं.. गांव वाले भैंस रखें लेकिन गोबर के लिए जगह ही नहीं कहीं.. रईसुद्दीन ने आगे कहा कि गांव में सरकार ने किसी गरीब के घर भी नहीं बनवाए। वे बस नाम लिख-लिखकर ले जाते हैं।''

'राशन कार्ड नहीं बना'

गांव की बस्ती से गुजरते हुए एक महिला ओमवती ने हमसे अपनी बात साझा की। ओमवती ने कहा, ''हमारी गली में एक आधा ही राशन कार्ड होगा.. हमने मजदूरी करके अपना घर बनाया.. ये कहते हैं कि तुम्हारा दो मंजिला मकान बन रहा, राशन कार्ड न बनेगा। हमें तो कुछ भी न मिलता। हमारे गांव में अस्पताल नहीं है। मंडोला जाते हैं हम तो खिचड़-खिचड़ के ही जाएं। तो एक गोली भी न मिलती है। 

बुजुर्ग रोहताश ने कहा, ''तुमने गोद ले रखा है ठीक है पर गोद लेकर तो उन्होंने उठाकर के नीचे घेर दिया... अब तो रीढ़ की हड्डी भी टूट गई है। प्रधान काम नहीं कर रहा है। हमारे यहां 100 बीघे तक धरती छूटी है। हम यह कह रहे कि ये बच्चे हमारे जाते हैं मंडोला पढ़ने.. बड़ी परेशानी है.. जो स्कूल आ जाता यहां 12वीं तक का तो हमारी बच्चियों तो परेशानी न होती। 

'बाहर पढ़ने जाती हूं, डर लगता है'

छात्रा निशिका ने कहा, ''समस्या ये हैं कि हमें बहुत मंडोला के स्कूल में पढ़ने जाना पड़ता है... हमारे यहां पे गर्ल्स इंटर कॉलेज बन जाए तो बड़ी अच्छी बात है। बहुत दिक्कत पड़ती है.. दूर बहुत जाना पड़ता है दोपहरी में.. पसीना आता है इतना सारा.. बैग में वजन रहता है तो.. इसकी वजह से बहुत परेशानी पड़ती है.. डर लगता है जब धुंध में जाना पड़ता है।

छात्रा निशिका
छात्रा निशिका

छात्रा सोनिया अभी गांव में पढ़ती हैं लेकिन आगे की पढ़ाई लेकर चिंता है। सोनिया ने बताया, ''अभी तो गांव में ही पढ़ रहे हैं लेकिन अब जाना पड़ेगा बाहर.. मैं चाहती हूं कि अच्छा से स्कूल बने गांव में।''

'सांसद जी नहीं आते गांव'

गांव से गुजरते हुए पंकज शर्मा नाम के शख्स नहीं बताया, ''सांसद जी तो आते नहीं गांव में.. काफी पहले एक बार आए थे.. बस.. पूरे गांव में घूमे थे.. एक मशीन रखवाई हवा से पानी बनाने की.. पानी तो बना नहीं, धरी है तब से।''

बता दें कि 11 अक्टूबर 2014 को लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गावों को आदर्श बनाने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी। सांसदों द्वारा दो चरणों तीन-तीन गांवों को गोद लिया जाना था। सांसद अपने इलाके में कोई भी गांव चुन सकता था जिसमें उसका अपना या ससुराल का गांव गोद नहीं लेना था। कई सांसदों ने गांव गोद लिए थे और वीके सिंह ने भी इसी के तहत मीरपुर हिंदू गांव को गोद लिया था। लगभग पांच होने को हैं लेकिन अब यह गांव आदर्श स्थिति की बाट जोह रहा है। 

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