लोकसभा चुनाव: केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने लिया चुनावी राजनीति से संन्यास, बीजेपी से इस्तीफे की कर चुके हैं पेशकश

By भाषा | Published: April 26, 2019 06:53 PM2019-04-26T18:53:47+5:302019-04-26T18:53:47+5:30

लोकसभा चुनाव 2019: गौरतलब है कि जाट नेता सिंह के पुत्र हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट से अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं और भाजपा के उम्मीदवार हैं। सिंह ने 2014 आम चुनावों से पहले कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा का दामन थामा था।

lok sabha election 2019: BJP Union minister Birender Singh retires from electoral politics | लोकसभा चुनाव: केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने लिया चुनावी राजनीति से संन्यास, बीजेपी से इस्तीफे की कर चुके हैं पेशकश

लोकसभा चुनाव: केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने लिया चुनावी राजनीति से संन्यास, बीजेपी से इस्तीफे की कर चुके हैं पेशकश

केन्द्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब तक उनके इस्तीफे पर फैसला नहीं किया है लेकिन उन्होंने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का निर्णय कर लिया है और वह ‘‘संन्यास के बाद कोई पद’’ नहीं चाहते हैं। 

गौरतलब है कि जाट नेता सिंह के पुत्र हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट से अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं और भाजपा के उम्मीदवार हैं। सिंह ने 2014 आम चुनावों से पहले कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा का दामन थामा था। सिंह ने साथ ही कहा कि कांग्रेस के ‘‘फिर से उभरने’’ की कोई संभावना नहीं दिखती।

'वंशवाद विरोधी राजनीति' हवाला देकर इस्तीफा की थी पेशकश

केन्द्रीय इस्पात मंत्री और राज्यसभा सदस्य सिंह ने 14 अप्रैल को भाजपा की ‘‘वंशवाद विरोधी राजनीति’’ का हवाला देते हुए दोनों पदों से इस्तीफा देने की पेशकश की थी क्योंकि उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को पार्टी ने हरियाणा के औद्योगिक हब हिसार से अपना उम्मीदवार बनाया था। पीटीआई भाषा से विशेष बातचीत में 73 साल के सिंह ने कहा, ‘‘मुझे जो करना चाहिए था मैंने कर दिया लेकिन पार्टी नेतृत्व ने अब तक कोई फैसला नहीं किया है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘अब चुनाव चल रहे हैं, कई बार इस्तीफों को दूसरी तरह से भी देखा जाता है लेकिन मैंने स्पष्ट कर दिया है कि मैं दोनों पद छोड़ने के लिए तैयार हूं।’’ बड़े किसान नेता छोटू राम के पोते ने कहा कि भाजपा की नीति हमेशा ‘‘वंशवाद विरोधी’’ रही है और ‘‘जहां तक मेरे वंश की बात है तो यह सौ साल से भी पुराना है।’’

संन्यास के बाद किसी पद की चाह नहीं 

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दादा छोटू राम 1922 में देश का पहला चुनाव लड़े थे। इसलिए हमारे परिवार की विरासत है जो किसी भी संगठन के लिए फायदेमंद हो सकती है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘मैंने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया है और साफ कर दिया है कि मैं (राजनीति से) संन्यास के बाद कोई पद नहीं चाहता हूं, चाहे वह राज्यपाल का पद हो या इस तरह का कुछ और।’’ वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले करीब चार दशकों तक कांग्रेस में रहे सिंह एक समय हरियाणा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। सिंह का मानना है कि कांग्रेस ‘‘खुद ही सिकुड़ती’’ जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे पुरानी पार्टी होने के नाते कांग्रेस की पूरे भारत में उपस्थिति थी लेकिन जैसे ही उसने विभिन्न स्थानों पर गठबंधन करना शुरू किया, वे खुद ही सिकुड़ने लगे। अब, कई महीनों बाद, उन्होंने अकेले चलने का फैसला किया। कांग्रेस के फिर से उभरने की कोई गुंजाइश नहीं दिखती।’’ हालांकि, सिंह का मानना है कि भाजपा को भी हरियाणा में बहुत कुछ करना है। 

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद 50 साल में पहली बार सत्ता में आई है लेकिन बहुत कुछ किया जाना है, खासकर कुछ क्षेत्रों में। मैं चाहता हूं कि वे हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में अपना पहचान स्थापित करें।’’ हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर 12 मई को मतदान होना है। हिसार सीट पर बीरेंद्र सिंह के बेटे का मुकाबला वर्तमान सांसद दुष्यंत चौटाला तथा कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई से है। 

Web Title: lok sabha election 2019: BJP Union minister Birender Singh retires from electoral politics



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