लोकसभा चुनाव: बीजेपी प्रत्याशी फातिमा रसूल सिद्दकी नहीं करेंगी प्रज्ञा ठाकुर के लिए चुनाव प्रचार, बताई ये वजह
By भाषा | Published: April 25, 2019 07:47 PM2019-04-25T19:47:55+5:302019-04-25T19:47:55+5:30
लोकसभा चुनाव 2019: भाजपा ने उन्हें मुस्लिम बहुल विधानसभा सीट भोपाल उत्तर से कांग्रेस के कद्दावर नेता आरिफ अकील को शिकस्त देने के इरादे से नवंबर 2018 में ही पार्टी में शामिल कर भाजपा का उम्मीदवार बनाया था।
पिछले साल नवंबर में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान राज्य में भाजपा की एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार रहीं फातिमा रसूल सिद्दकी ने भोपाल लोकसभा सीट से पार्टी की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर के ‘‘सांप्रदायिक’’ और ‘‘अप्रिय’’ बयानों के कारण उनके चुनाव प्रचार में शामिल नहीं होने की घोषणा की है।
फातिमा भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के आरिफ अकील से चुनाव हार गयी थीं। फातिमा (35) ने बृस्पतिवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैं उनके (प्रज्ञा सिंह ठाकुर) लिए चुनाव प्रचार नहीं कर रही हूं, क्योंकि उन्होंने धर्म युद्ध छेड़ने जैसे बयान दिए हैं। 26/11 को मुम्बई के आतंकी हमले में शहीद होने वाले पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के खिलाफ उनका विवादास्पद बयान भी मुझे बुरी तरह आहत कर गया।’’
शहीद हेमंत करकरे पर बयान से नाराज हैं फातिमा
उन्होंने कहा, "धर्मयुद्ध और करकरे के खिलाफ प्रज्ञा का बयान मेरे समुदाय में भी अच्छा नहीं रहा है।" मध्य प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री मरहूम रसूल अहमद सिद्दीकी की बेटी फातिमा ने कहा, "उनके बयान से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि खराब हुई है, जिनका मुसलमानों से अच्छा संपर्क है।" उन्होंने कहा कि चौहान गंगा जमुनी तहज़ीब (धर्मनिरपेक्ष संस्कृति) के एक मजबूत समर्थक हैं। भाजपा नेता ने कहा, "मेरे समुदाय के लोगों में उनके (शिवराज चौहान के) प्रति बहुत सम्मान है।"
कांग्रेस में शामिल होने से किया इनकार
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने पिता की पार्टी कांग्रेस में शामिल होने जा रही हैं, फातिमा ने कहा, "नहीं"। डेन्टिस्ट की पढ़ाई कर रही फातिमा राजनीति में कुछ समय पहले ही आयी हैं। भाजपा ने उन्हें मुस्लिम बहुल विधानसभा सीट भोपाल उत्तर से कांग्रेस के कद्दावर नेता आरिफ अकील को शिकस्त देने के इरादे से नवंबर 2018 में ही पार्टी में शामिल कर भाजपा का उम्मीदवार बनाया था।
फातिमा के पक्ष में अच्छी संख्या में मुस्लिम महिलाओं के प्रचार में शामिल होने के बावजूद वह यह चुनाव अकील से 34,857 मतों के अंतर से हार गयी थीं। अकील मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मुस्लिम समुदाय के अकेले मंत्री हैं।