लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाएंगे मोदी विरोधी गुजराती नेता?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: February 25, 2019 11:20 PM2019-02-25T23:20:56+5:302019-02-25T23:20:56+5:30
वर्ष 2014 में हिन्दू वोट बैंक पर बीजेपी का एकाधिकार था, किन्तु इन पांच वर्षों में राम मंदिर निर्माण में बीजेपी की उदासीनता को लेकर हिन्दुओं में नाराजगी बढ़ी है.
पीएम मोदी के विरोधी तो गुजरात में 2014 में भी थे, लेकिन तब वे खामोश थे. इन पांच वर्षों में गुजरात की राजनीतिक तस्वीर बहुत बदल गई है. अब- नरेन्द्र मोदी गुजरात का गौरव, जैसी भावनात्मक लहर कमजोर पड़ चुकी है, तो प्रवीण तोगड़िया, हार्दिक पटेल जैसे गुजराती नेता न केवल मोदी के विरोध में गुजरात में सक्रिय हैं, बल्कि गुजरात के बाहर भी लगातार मोदी का विरोध कर रहे हैं. इस बीच बड़ा सवाल यह है कि- बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा पाएंगे, पीएम मोदी विरोधी प्रवीण तोगड़िया, हार्दिक पटेल जैसे गुजराती नेता?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गुजरात में अभी भी पीएम मोदी विरोधी नेताओं के पास इतनी सियासी ताकत नहीं आई है कि वे कोई बहुत बड़ा नुकसान कर दें, परन्तु उनकी सक्रियता से बीजेपी की परेशानियां जरूर बढ़ेंगी. खासकर, ऐसे नेताओं के विरोध के कारण बीजेपी के वोट बैंक में दरार आएगी, जिसका अप्रत्यक्ष फायदा गैर-भाजपाई दलों को होगा.
प्रवीण तोगड़िया जैसे नेता के कारण हिन्दू वोट पर थोड़ा बहुत असर नजर आ सकता है, विशेषरूप से यूपी में पहले से ही परेशान बीजेपी को झटका लग सकता है.
हिन्दुओं में बढ़ी नाराजगी
वर्ष 2014 में हिन्दू वोट बैंक पर बीजेपी का एकाधिकार था, किन्तु इन पांच वर्षों में राम मंदिर निर्माण में बीजेपी की उदासीनता को लेकर हिन्दुओं में नाराजगी बढ़ी है. यही वजह है कि साधु-संतो के भी दो खेमे बन गए हैं, जिनमें से एक बीजेपी के साथ है, तो दूसरा बीजेपी के विरोध में. इसी तरह, प्रवीण तोगड़िया की चुनाव में मौजूदगी, पीएम मोदी के विरोध में खड़े हिन्दू मतदाताओं को एक विकल्प दे सकती है. यूपी में प्रवीण तोगड़िया की पार्टी को कामयाबी मिले या ना मिले, बीजेपी की कामयाबी में रोडा जरूर अटका सकती है.
प्रवीण तोगड़िया की चुनौती
विश्व हिंदू परिषद के पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, इतना ही नहीं, यह भी कहा जा रहा है कि तोगड़िया खुद पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से मैदान में उतर सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि विहिप से अलग होने के बाद तोगड़िया ने अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा करके यूपी की सभी लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की बात तो कही ही थी, वे बीजेपी के प्रमुख मुद्दे राम मंदिर निर्माण को भी प्रमुखता से उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि- अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो एक हफ्ते के अंदर राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा.
क्या है यूपी में रणनीति
यूपी में बीजेपी की रणनीति साफ है. उसे 40 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है तथा गैर-भाजपाई वोटों का बिखराव होता है तो बीजेपी की जीत की राह आसान हो जाती है, लेकिन जहां सपा-बसपा गठबंधन के कारण गैर-भाजपाई वोटों के बिखराव की संभावना कमजोर पड़ रही है, वहीं कुछ हद तक इस बार कांग्रेस, बीजेपी के हिन्दू वोट ले सकती है. यदि तोगड़िया भी बीजेपी के वोट तोड़ने में सफल हो जाते हैं तो बीजेपी के 40 प्रतिशत से ज्यादा वोट हांसिल करने के टार्गेट पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाएगा.
तोगड़िया के अलावा शेष पीएम मोदी विरोधी गुजराती नेता, प्रचार और भाषण तक तो ठीक हैं, लेकिन बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान पहुंचा सकेंगे, इसकी संभावना बेहद कमजोर है.