BJP के इस लोकल नेता ने कर दिया था कांग्रेसी दिग्गज सचिन पायलट को चित, अबकी बार कांग्रेस किस पर खेलेगी दांव?
By रामदीप मिश्रा | Published: January 25, 2019 02:41 PM2019-01-25T14:41:54+5:302019-01-25T15:47:04+5:30
आज हम जिस लोकसभा सीट की बात करने जा रहे हैं वह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन 1989 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ऐसा पासा पलटा कि कांग्रेस को सीट कब्जाने के लिए हर चुनाव में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव-2019 नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियां चुनावी मोड में नजर आते दिखाई देने लगी हैं। अभी हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली है, जिसकी वजह से वह आत्मविश्वास से भरपूर नजर आ रही है, लेकिन आज हम जिस लोकसभा सीट की बात करने जा रहे हैं वह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन 1989 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ऐसा पासा पलटा कि कांग्रेस को सीट कब्जाने के लिए हर चुनाव में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है।
यह जगह है बेहद खूबसूरत
दरअसल, हम बात कर रहे हैं राजस्थान की अजमेर लोकसभा सीट की। अगर शहर की बात करें तो यह प्राकृतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की वजह से खूबसूरत माना जाता है। शहर अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है। इस नगर को सातवीं शताब्दी में अजयराज सिंह नामक एक चौहान राजा द्वारा बसाया गया था। इसके उत्तर में अनासागर और कुछ आगे फ्वायसागर नामक कृत्रिम झीलें हैं और प्रसिद्ध मुसलमान फकीर मुइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा है, जोकि विश्व प्रसिद्ध है।
कांग्रेस ने जीत के साथ खोला खाता
इस लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था और कांग्रेस ने जीत दर्ज कर खाता खोला था। इसके बाद उसने 1962, 1967 और 1971 तक कब्जा जमाए रखा। फिर 1977 में भारतीय लोक दल (बीएलडी) ने कांग्रेस के जीत के सफर पर विराम लगाया और खुद सीट पर कब्जा किया। हालांकि इसके बाद फिर 1980 में कांग्रेस ने जीत हासिल की और फिर लगातार दो बार विजयी पताका फहराया। साथ ही साथ 1989 तक इस सीट को उसका गढ़ माना जाता था, लेकिन फिर बीजेपी ने पासा पलट दिया।
बीजेपी ने कांग्रेस के लिए खड़ी की मुश्किलें
बीजेपी ने 1989 में पहली बार यहां जीत हासिल की और उसके उम्मीदवार रासा सिंह रावत ने कांग्रेस के उम्मीदवार गोविंद सिंह को हराया। इसके बाद बीजेपी ने 1991 और 1996 के लोकसभा चुनावों में जीत को बरकरार रखा। वहीं, रासा सिंह लगातार तीन बार सांसद बने। हालांकि, 1998 में हुए चुनाव में कांग्रेस के प्रभा ठाकुर ने रासा सिंह को मात दे दी। लेकिन इसके एक साल बाद 1999 में फिर से चुनाव हुए और रासा सिंह ने दोबारा इस सीट पर कब्जा जमा लिया और लगातार दो बार 2009 तक सांसद रहे। वह इस सीट पर सबसे ज्यादा पांच बार सांसद रहे।
सचिन पायलट बने 2009 में सांसद
अजमेर लोकसभा सीट पर 2009 में राजस्थान के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने जीत हासिल की। लेकिन, 2014 के चुनाव में सांवर लाल जाट ने उन्हें करारी शिकस्त दी। हालांकि इस बार देखने वाली बात यह होगी कि बीजेपी इस सीट पर कब्जा बरकरार रख पाती है कि नहीं। वहीं, साल 2017 में सांवर लाल जाट का निधन हो गया था, जिसके बाद इस सीट पर बीते साल उप चुनाव करवाए गए थे, जिसमें सचिन पायलट ने बड़ा दांव खेला था और अपनी जगह डॉ. रघु शर्मा को मैदान में उतारा था। उन्होंने बीजेपी के रामस्वरूप लांबा को 84 हजार, 4 सौ, चौदह वोटों के अंतर से हरा दिया था और जीत का सेहरा अपने नाम कर लिया था। रघु शर्मा को करीब 611514 वोट मिले थे। अब कांग्रेस एक और नए प्रत्याशी पर अपना भाग्य आजमाएगी क्योंकि रघु शर्मा विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए हैं।
पिछले चुनाव के आंकड़े
अजमेर लोकसभा सीट सामान्य है। चुनाव आयोग के मुताबिक, इस सीट पर साल 2014 के लोकसभा चुनाव में वोटरों की संख्या 35 लाख, 20 हजार, 766 थी। जिसमें, 23 लाख, 60 हजार, 711 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। साथ ही साथ 67.05 फीसदी वोटिंग हुई थी। बीजेपी की और से सांवर लाल जाट मैदान में थे और कांग्रेस ने सचिन पायलट पर फिर भाग्य आजमाया था, लेकिन उन्हें हार का समान करना पड़ा था। बीजेपी के खाते में 6 लाख, 37 हजार, 874 वोट पड़े थे, जबकि कांग्रेस के खाते में 4 लाख, 65 हजार, 891 वोट पड़े थे। बीजेपी प्रत्याशी सांवर लाल जाट ने कांग्रेस के प्रत्याशी सचिन पायलट को एक लाख, 71 हजार, 983 वोटों से हराया था।