यह लोकसभा सीट रही है कांग्रेस का गढ़, BJP सिर्फ दो बार ही कर सकी है जीत हासिल
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 9, 2019 08:23 AM2019-04-09T08:23:35+5:302019-04-09T08:23:35+5:30
लातूर लोकसभा सीट: 16 वीं लोकसभा के लिए 2014 के चुनाव में मोदी लहर का असर रहा और इस पर भाजपा ने कब्जा किया. इस चुनाव क्षेत्र के अधिकांश मुस्लिम व दलित वोटर कांग्रेस के पक्ष में रहे हैं. 2014 के चुनाव में दलित व मुस्लिम समुदाय के कुछ मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया.
महाराष्ट्र की लातूर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. वर्ष 1977 के पहले लोकसभा चुनाव में शेतकरी कामगार पार्टी जीती थी, जबकि 1980 से 1999 और 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस का कब्जा रहा है. कांग्रेस के इस अभियान को भारतीय जनता पार्टी ने 2004 में रोक दिया. 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर के चलते इस सीट पर दूसरी बार 'कमल' खिला.
इस प्रकार लातूर सीट पर शेकापा को सिर्फ एक बार ही जीत का स्वाद चखने को मिला, जबकि भाजपा दो बार यहां से जीती है. 2009 के आम चुनाव से पहले चुनाव क्षेत्र के परिसीमन में लातूर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुई़ आरक्षित सीट के लिए पहले चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी.
16 वीं लोकसभा के लिए 2014 के चुनाव में मोदी लहर का असर रहा और इस पर भाजपा ने कब्जा किया. इस चुनाव क्षेत्र के अधिकांश मुस्लिम व दलित वोटर कांग्रेस के पक्ष में रहे हैं. 2014 के चुनाव में दलित व मुस्लिम समुदाय के कुछ मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया.
अब 2019 के चुनाव प्रचार का रणसंग्राम शुरू हो गया है. इस चुनाव में वंचित विकास मोर्चा का उम्मीदवार भी मैदान में हैं. इससे मोर्चा का असर कांग्रेस व भाजपा उम्मीदवारों पर पड़ने की संभावना है. दलित व मुस्लिम मतदाता मोर्चा की ओर जाने पर कांग्रेस को अधिक नुकसान हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि लातूर पहले लत्तलूर के नाम से जाना जाता था. इसके बाद रत्नापुर और अब लातूर के नाम से मशहूर है. लातूर का शिक्षा पैटर्न, व्यापार और दो बड़े राजनीतिक नेताओं के चलते लातूर को देश व विश्व स्तर पर पहचान मिली.