दुमका लोकसभा चुनाव: 1990 में आडवाणी यहीं हुए थे गिरफ्तार, गुरु शिबू और चेले सुनील में मुकाबला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 16, 2019 11:43 AM2019-05-16T11:43:01+5:302019-05-16T11:44:52+5:30
तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके शिबू सोरेन अपनी परंपरागत सीट दुमका को बरकरार रखने की मशक्कत कर रहे हैं। गुरुजी की सीधी लड़ाई भाजपा के सुनील सोरेन से है।
झारखंड के संथालपरगना इलाके में पड़ने वाला दुमका संसदीय सीट बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और झामुमो नेता शिबू सोरेन के कारण ज्यादा चर्चित है। 1990 में जब बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी रथ यात्रा लेकर संयुक्त बिहार पहुंचे थे तो उन्हें दुमका के मसानजोर डैम के पास ही गिरफ्तार किया गया था।
आडवाणी को मसानजोर में सरकारी गेस्ट हाउस में रखा गया था। मसानजोर का इलाका पश्चिम बंगाल की सीमा से जुड़ा है। पहाड़ी वादियों के लिए मशहूर मसानजोर में आने वाले पर्यटक जरूर उस गेस्ट हाउस में जाते हैं, जहां आडवाणी गिरफ्तारी के बाद रुके थे।
1980 में पहली बार सांसद बने शिबू सोरेन
शिबू सोरेन के पिता की महाजनों से हत्या कर दी थी। इसके बाद उन्होंने लकड़ी बेचने का काम शुरू किया। 1972 में झारखंड के दिग्गज नेता विनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया था। आपातकाल के बाद हुए 1977 चुनाव में शिबू सोरेन को हार का सामना करना पड़ा था। 1980 में सोरेन पहली बार संसद पहुंचे। अब तक वह दुमका से आठ बार सांसद बन चुके हैं।
संथाल परगना में झामुमो का वर्चस्व
मोदी लहर के बावजूद शिबू सोरेन लोकसभा चुनाव 2014 में अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे। आदिवासी बहुल इलाके संथाल परगना में लाखों लोगों ने सोरेन को भगवान का दर्जा दिया हुआ है। उन्हें झारखंड में दिशोम गुरु भी कहा जाता है। शिबू सोरेन की ताकत संथाल आदिवासी हैं, उनके प्रभाव के चलते ही राजमहल सीट भी झामुमो के खाते में रहती है।
मैदान में उनके सामने एक बार फिर पुराने शिष्य सुनील सोरेन हैं, जिन्हें दो चुनाव की हार के बावजूद पार्टी ने मैदान में उतारा है। सुनील गुरुजी को कड़ी टक्कर भी दे रहे हैं।
महागठबंधन में मरांडी भी शामिल
गुरुजी को कांग्रेस, बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा और आरजेडी का पूरा साथ मिल रहा है। पुराने प्रतिद्वंद्वी बाबूलाल मरांडी शिबू सोरेन के पक्ष में कई सभाएं कर चुके हैं। मरांडी एक बार सोरेन को लोकसभा चुनाव में मात भी दे चुके हैं।
झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीटें हैं। कांग्रेस 7, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) 4, झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) 2 और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) एक सीट पर चुनाव लड़ रही है।
विवादों से पुराना नाता
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अपने पहले कार्यकाल में शिबू सोरेन को कोयला मंत्री बनाया था, लेकिन चिरूडीह हत्याकांड में गिरफ्तारी का वारंट जारी होने के बाद सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा था। साल 2005 में झारखंड विधानसभा चुनावों के पश्चात वह विवादस्पद तरीक़े से झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत साबित न कर सकने के कारण कुछ दिन पश्चात ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
1994 में तत्कालीन नरसिंहा राव सरकार को बचाने के आरोप में झामुमो के सांसदों पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था। इस मामले में सोरेन की काफी किरकिरी हुई थी। उन पर अपने निजी सचिव की हत्या का भी मामला चला, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
तीन बार बने झारखंड के सीएम
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। शिबू सोरेन ने 2009 में झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन कुछ महीनों बाद ही बीजेपी से समर्थन न मिलने पर वह बहुमत साबित नहीं कर सके। उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसी साल तमाड़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें झारखंड पार्टी के गोपाल कृष्ण उर्फ राजा पीटर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
छह विधानसभा सीटों में से तीन पर झामुमो का कब्जा
दुमका में विधानसभा की छह सीटें हैं। शिकारीपाड़ा, जामा और नाला में झामुमो का विधायक है, जबकि जामताड़ा में कांग्रेस, दुमका और सारठ में बीजेपी से विधायक है। यहां पर 13.67 लाख मतदाता है। इसमें 7.03 लाख पुरुष और 6.63 महिलाएं वोटर्स शामिल हैं।